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पंचायत चुनाव : सरकार के प्रस्ताव के बाद राज्य निर्वाचन आयोग कानून की शरण में

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 जिला पंचायत चुनाव का जब प्रावधान नहीं तो फिर चुनाव भी नहीं

 कानून के जानकारों से ले रहा है सलाह

हरमुद्दा
भोपाल, 27 दिसंबर। पंचायत चुनाव रद्द कराने के प्रस्ताव को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा लगाई गई मुहर के बाद राज्यपाल ने भी हामी भर दी। अब पंचायत चुनाव निरस्त करने का फैसला राज्य निर्वाचन आयोग को लेना है, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग कानून की शरण में है। वह कानून के जानकारों से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा है कि पंचायत चुनाव निरस्त करने चाहिए या नहीं।

राज्य निर्वाचन आयोग की बैठक में राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास उमाकांत उमराव, सचिव राज्य निर्वाचन आयोग बीएस जामोद सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। उमाकांत उमराव में पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अध्यादेश वापस लिए जाने के फैसले से जुड़ी जानकारी राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह को दी।

मौजूदा प्रक्रिया को लेकर हुआ विचार विमर्श

बैठक में मौजूदा चुनाव प्रक्रिया को लेकर विचार किया गया। अब आयोग अध्यादेश वापस लेने से उत्पन्न परिस्थितियों के मद्देनजर विधिक सलाह ले रहा है। चुनाव को लेकर आयोग निर्णय विधिक सलाह मिलने के बाद लेगा।

जब प्रावधान नहीं रहेगा तो चुनाव भी संभव नहीं

राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित (पंच, सरपंच, जनपद और जिला पंचायत सदस्य) पदों को छोड़कर चुनाव करा रहा था। चूंकि जिस अध्यादेश के आधार पर चुनाव कार्यक्रम घोषित हुआ था, सरकार ने उसे ही वापस ले लिया है। इसलिए चुनाव प्रक्रिया को स्थगित करना पड़ेगा। विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसराणी का कहना है कि जिस प्रावधान से चुनाव कराए जा रहे थे, जब वो ही नहीं रहेगा तो फिर चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं।

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