हर दौर में नारी सशक्त थी, सशक्त है और हमेशा सशक्त रहेगी, कोई ताकत नारी को नहीं कर सकती निशक्त
🔲 स्वामी विवेकानंद व्याख्यानमाला में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा
🔲 व्याख्यानमाला का समापन रविवार को
🔲 “स्वराज्य से स्वतंत्रता की ओर” विषय पर व्याख्यान देंगे जे. नंद कुमार
हरमुद्दा
रतलाम, 6 मार्च। आदि अनादि काल से समाज में नारी का स्थान सर्वोच्च रहा है। नारी हर दौर में सशक्त थी, सशक्त है और सशक्त रहेगी। कोई ताकत नारी को निशक्त नहीं कर सकती। घर, परिवार, समाज और राष्ट्र हित में नारियों के निर्णय सर्वमान्य हुए हैं और हो रहे हैं। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पाश्चात्य के कुप्रभाव के कारण भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने वाली नारी भ्रमित जरूर हुई है लेकिन अपनी अस्मिता और राष्ट्र भक्ति को सदैव अक्षुण्ण बनाए रखने में समर्थ है। पन्नाधाय, जीजाबाई, देवी अहिल्या सहित कई अनगिनत नाम है जोकि समाज, देश को सशक्त बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है जो कभी भुलाया नहीं जा सकता।
यह विचार डॉ. हर्षवर्धन ने व्यक्त किए। डॉ. हर्षवर्धन स्वामी विवेकानंद व्याख्यानमाला समिति द्वारा शनिवार को प्रारंभ हुए दो दिवसीय व्याख्यानमाला के पहले दिन बतौर मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद थे। समता शीतल पैलेस छोटू भाई की बगीची पर शुरू हुई व्याख्यानमाला में मंच पर पद्मश्री डॉ. लीला जोशी एवं व्याख्यानमाला समिति के अध्यक्ष विम्पी छाबड़ा आसीन थे।
दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से शुरुआत
प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में कृतिका जोशी, ईशी राठौर, मृणाली आठे, इशिका सोलंकी, लक्की सोलंकी, प्रद्युम्न शक्तावत ने सरस्वती वंदना “जयति वीणा वादिनी” प्रस्तुत की। जोकि राग यमन पर आधारित थी । संगीत शिक्षक तल्लीन त्रिवेदी के मार्गदर्शन में तबले पर राजकुमार और हारमोनियम पर परमजीत गांधी ने संगत की। रुचि चितले ने गीत प्रस्तुत किया। अतिथि परिचय व्याख्यानमाला समिति के सचिव डॉ. हितेश पाठक ने दिया। अतिथि को स्मृति चिह्न सुनील दुबे ने भेंट किया। संचालन वैदेही कोठारी ने किया। आभार समिति अध्यक्ष विम्पी छाबड़ा ने माना। वंदे मातरम के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। आयोजन में काफी संख्या में महिला पुरुष एवं युवक युवतियां मौजूद थे।
कहने भर को पुरुष प्रधान समाज लेकिन निर्णय महिलाओं के ही मान्य
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मात्र कहने भर को पुरुष प्रधान समाज है मगर महिलाओं का ही वर्चस्व परिवार और समाज में कायम है। घर परिवार के छोटे बड़े निर्णय, बिना महिला की सहमति के नहीं लिए जाते हैं। महिलाओं के निर्णय को ही अंतिम और सर्वमान्य माना जाता है। भले ही वह नहीं बोलती है लेकिन इशारों ही इशारों में अपनी सहमति और असहमति व्यक्त करती है। प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कार हमेशा से ही महिलाओं को सशक्त ही बना रहा है। महिलाओं को उनकी शक्ति और सामर्थ्य का अनुभव कराता रहा है ताकि नारी हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला करें वह किसी भी मोर्चे पर असफल ना हो।
भारतीय संस्कार से श्रेष्ठ और कुछ नहीं
डॉ. हर्षवर्धन ने दृष्टांत देते हुए कहा कि एक पंडित जी गाय के बिछड़े को उठाकर जा रहे थे। तभी तीन धूर्त ने पंडितजी को भ्रमित करने का फैसला किया। पहले ने पंडित जी को कहा कुत्ते को लिए कहां घूम रहे हो पंडित जी। पंडित जी ने कहा गाय का बछड़ा है कुत्ता नहीं। और आगे बढ़ गए। कुछ दूरी के बाद फिर दूसरा धूर्त मिला और कहने लगा पंडित जी कुत्ते को लिए कहां घूम रहे हो। पंडित जी के मन में शक पैदा हुआ कि आखिर दो लोगों ने गाय के बछड़े कुत्ता क्यों कह दिया। कहीं यह कुत्ता तो नहीं। फिर वे आगे चल दिए। फिर तीसरा धूर्त मिला। उसने भी यही कहा कुत्ते को लिए कहां घूम रहे हो पंडित जी। अब तो पंडित जी को विश्वास हो गया कि जब सब लोग इसे कुत्ता कह रहे हैं तो वास्तव में कुत्ता ही होगा। गाय के बछड़े को नीचे रखकर पंडित जी आगे चले गए। पाश्चात्य संस्कृति के लोग भी भारतीय संस्कृति और संस्कार के प्रति कुठाराघात करते हुए ऐसा ही कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। देश में पाश्चात्य के धूर्त ने जरूर भारतीय संस्कृति को मानने वालों के मन मस्तिष्क पर अपना कुप्रभाव डाला है। इसके कारण भारतीय संस्कृति मानने वाले भ्रमित हुए हैं लेकिन वे समझ गए हैं कि भारतीय संस्कार से श्रेष्ठ और कुछ नहीं है।
धुएं के छल्ले उड़ाने वाली नहीं पर्यावरण को बढ़ावा देने वाली तुलसी है देश की आइकॉन
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकर जामफल खाने और सिगरेट के छल्ले बनाने वाले मेरे देश के आइकॉन नहीं बन सकते। आइकॉन तो पर्यावरण को बढ़ावा देने वाली तुलसी गौदा, रतलाम की डॉ लीला जोशी जैसी महिला ही बन सकती है।
“स्वराज्य से स्वतंत्रता की ओर” विषय पर व्याख्यान के साथ होगा समापन
व्याख्यानमाला समिति के अध्यक्ष श्री छाबड़ा एवं सचिव डॉ. पाठक ने बताया कि स्वामी विवेकानंद व्याख्यानमाला का समापन रविवार को होगा। शाम 7 बजे से आयोजित व्याख्यानमाला में प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंद कुमार “स्वराज्य से स्वतंत्रता की ओर” विषय पर व्याख्यान देंगे।