रतलाम के कुपोषण मुक्त अभियान के मॉडल को लागू किया जाएगा प्रदेश में : मंत्री कुशवाह

 काश्यप फाउण्डेशन की सराहना प्रदेश में

हरमुद्दा
भोपाल/रतलाम, 16 मार्च। बुधवार को राज्य विधानसभा में राज्य मंत्री भारतसिंह कुशवाह ने काश्यप फाउण्डेशन रतलाम की सराहना की। उन्होनें कहा कि कुपोषण के विरूद्ध अभियान में फाउण्डेशन ने बहुत अच्छा काम किया है। इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जब फाउण्डेशन अच्छा काम कर रहा है तो सरकार फाउण्डेशन के मॉडल को क्यों नहीं अपनाती? इस पर श्री कुशवाह ने कहा कि विधायकजी से चर्चा कर उनके सुझावों के अनुरूप फाउण्डेशन द्वारा संचालित कुपोषण मुक्त अभियान के मॉडल को प्रदेश में लागू करेंगे।

विधायक चैतन्य काश्यप

श्री कुशवाह सदन में मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह से विधायक काश्यप द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब दे रहे थे। मंत्री ने कहा कि प्रदेश में अटल बाल मिशन और मुख्यमंत्री बाल आरोग्य कार्यक्रम एवं कुपोषण अभियान के तहत काम हो रहा है। इसके तहत 6 लाख 30 हजार से ज्यादा बच्चों को गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के रूप में चिन्हित किया है। उन्होनें कहा कि सरकार इस अभियान में काश्यप फाउण्डेशन जैसी निजी क्षेत्र की संस्थाओं की सहभागिता को प्रोत्साहित करेगी और उनके अनुभवों एवं सुझावों को स्वीकार कर निकट भविष्य में कुपोषण को न्यूनतम स्तर पर लाने का काम करेंगी।

विधायक काश्यप ने सवाल के माध्यम से सदन में इस महत्वपूर्ण मामले को उठाया। उन्होनें चाइल्ड बजट लाने के लिये मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए सदन को बताया कि काश्यप फाउण्डेशन ने वर्ष 2018 और 2019 में रतलाम में कुपोषण के विरूध्द अभियान चलाया था जिसमें 2700 बच्चों में से 1400 को कुपोषण से मुक्त किया। अभियान की सफलता को देखते हुये दिसंबर 2019 में तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती ईमरती देवी ने भी फाउण्डेशन की सराहना की। यही नहीं उन्होनें फाउण्डेशन के कुपोषण मुक्त अभियान की कार्य प्रक्रिया को अपनाकर पूरे प्रदेश में अभियान चलाने के दिशा-निर्देश और परिपत्र जारी कर दिये जाने की जानकारी भी दी। श्री काश्यप ने कहा कि वर्तमान में जो अभियान चल रहा है, लगता है उसमें फाउण्डेशन के कार्य-प्रक्रिया का समावेश नहीं किया गया है। सरकार का अभियान 10 प्रतिशत अति कुपोषित बच्चों तक केन्द्रित है। उसमें 90 प्रतिशत कम कुपोषित बच्चों को शामिल नहीं किया गया है। जब तक कम कुपोषित बच्चों को भी इस अभियान में शामिल नहीं किया जाता तब तक कुपोषण समाप्त नहीं किया जा सकता। इसी संदर्भ में उन्होनें मालवा में प्रचलित कहावत ’’जन्म मांदा तो, कभी नहीं सांठा’’ का उल्लेख किया और समझाने का प्रयास किया कि जन्म के तत्काल बाद यदि बच्चा कुपोषित हो जाये तो जीवन भर वह बीमार ही बना रहता है। इसलिए प्रारंभिक अवस्था में ही उन्हें कुपोषण से मुक्त करना आवश्यक है, तभी कुपोषण का कलंक मिटेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *