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खरी-खरी : ना तो जन नजर आए और न ही दिखा आक्रोश, कांग्रेसियों ने किया खुशी-खुशी स्वागत, सुखद संकेत नजर आया परिवर्तन का

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⚫ और हो गई महंगाई की जन आक्रोश रैली

⚫ पूर्व मुख्यमंत्री ने कार में करवाया जगह-जगह स्वागत

हरमुद्दा
रतलाम 22 अप्रैल। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शुक्रवार को रतलाम आए। कांग्रेस ने तो यही ढिंढोरा पीटा था कि जन आक्रोश रैली महंगाई के विरोध में बंजली से कालिका माता तक निकाली जाएगी, लेकिन हकीकत में रैली कहीं नजर नहीं आई। न तो जन नजर आए, नहीं आक्रोश। हां विभिन्न मंचों के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री का स्वागत जरूर खुशी-खुशी किया गया। खास बात यह रही कि स्वागत मंच बनाए गए थे लेकिन मंच पर जाने की जहमत पूर्व मुख्यमंत्री में नहीं उठाई।

हाथ मिलाकर अभिवादन करते हुए श्री नाथ

बंजली से 10:45 बजे शुरू हुआ काफिला 11:15 बजे तक कालिका माता गुलाब चक्कर तक पहुंच चुका था। जगह-जगह श्रीनाथ के लिए स्वागत मंच बनाए गए थे लेकिन उन पर नहीं गए। न ही उन्होंने हार पहने। हार हाथ में जरूर ले लिए। फूल फेंकने से तो बिल्कुल ही मना कर दिया सुरक्षा गार्ड ने। इसलिए फूल धरे रह गए।

मुख्यमंत्री श्रीनाथ को माता जी की तस्वीर भेंट करते हुए श्री राठौर

श्री कालिका माता मंदिर में दर्शन पूजन कर माता जी से आशीर्वाद लिया। यहां पर श्रीनाथ को कालिका माता की तस्वीर कांग्रेस महामंत्री भेरूलाल राठौर ने भेंट की।

भारत में हो रहे परिवर्तन का सुखद संकेत

खास बात यह रही कि जब प्रेस कॉन्फ्रेंस स्थल दयाल वाटिका जा रहे थे। उस समय महाराणा प्रताप चौक से सैलाना मार्ग का दृश्य भारत में हो रहे परिवर्तन का सुखद संकेत दे रहा था। दृश्य यह था कि कांग्रेस के नेता श्रीनाथ का शुक्रवार को रतलाम आगमन हो रहा है। अतः परम्परा अनुसार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने स्वागत के लिए मंच और बैनर कई स्थानों पर लगाए। महत्वपूर्ण यह है कि सभी मंचो पर कहीं हनुमान चालीसा तो कहीं राम भजन गूँज रहे थे। और तो और किसी भी बैनर पर कांग्रेस के किसी मुस्लिम नेता अथवा कार्यकर्ता का फोटो भी नहीं था। मंच पर भी कांग्रेसी का और मजदूर ज्यादा नजर आ रहे थे। इफ्तार पसंद पार्टी की यह स्थिति देखकर समझ में आ गया कि देश के हिंदुओं के जागरण ने सेक्युलरिज्म के सूरमाओं को सांप्रदायिक बना दिया। अब बेचारे मुसलमानों को भी बेसहारा छोड़ दिया। रामायण का वह प्रसंग याद आ गया, ” मारीच स्वर्ण मृग बनकर आया है”।

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