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शिव भक्त ने खोला गुस्से का तीसरा नेत्र : हजारों लोग आ रहे हैं सुनने शिव पुराण, हो रहे हैं अव्यवस्थाओं से परेशान, प्रशासन बन रहा है अनजान

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⚫ कथाकार प्रदीप मिश्रा हो गए नाराज, उठ गए व्यास गादी से

⚫ गर्मी में पैदल चलने को मजबूर भक्तजन

⚫ पार्किंग की जगह पर लगा दिया मेला

⚫ जमीन देने वाले लोग हुए नाराज

हरमुद्दा
रतलाम, 25 अप्रैल। शिव महापुराण के प्रसिद्ध कथाकार पंडित प्रदीप मिश्रा ने अवस्थाओं के मद्देनजर गुस्से का तीसरा नेत्र खोला और आयोजक पर बरस पड़े। कथा सुनने आने वाले हजारों लोगों को कथा सुनने में दिक्कत हो रही है। साउंड सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है। यह चेतावनी पहले दिन देने के बावजूद आयोजक ने ध्यान नहीं दिया। कथा के तीसरे दिन पंडित मिश्रा क्रोधित हुए और तथा समाप्ति के 1 घंटे पहले ही नाराज होते हुए व्यास गादी से उठ गए।

पंडित प्रदीप मिश्रा

उल्लेखनीय है कि 23 अप्रैल से शिव महापुराण कथा का निजी आयोजन अरविंद पाटीदार की स्मृति में रविंद्र पाटीदार द्वारा कनेरी में करवाया जा रहा है। मुख्य यजमान पाटीदार ने प्रेस वार्ता में स्पष्ट कहा था कि हम केवल कथा श्रवण कराने के लिए शामियाना लगाएंगे और पीने के पानी की व्यवस्था करेंगे। बाकी कोई व्यवस्था और सुरक्षा हमारे जिम्मे नहीं रहेगी। रुपया खर्च करना पड़ेगा सुविधाओं के लिए। रविवार को ही शामियाना उड़ने के कारण तीन घायल हो गए हैं। और आयोजक द्वारा मेला भी लगाया गया और दुकानदारों को रुपए लेकर जमीन भी दी है।

त्रिवेणी मेला प्रांगण पर रोका जा रहा है ऑटो रिक्शा को

खास बात यह है कि कथा सुनने के लिए आने वालों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन द्वारा ऑटो रिक्शा सहित अन्य वाहनों को त्रिवेणी मेला प्रांगण पर रोका जा रहा है। जहां से धर्मालु जन पैदल-पैदल कथा स्थल तक जाने को मजबूर हैं जबकि उस दौरान धूप भी 42 डिग्री सेल्सियस की सीधी ऊपर गिर रही है। लेकिन मजबूरी के कारण भक्तजन जा रहे हैं। निजी चार पहिया और दोपहिया वाहन वालों को भी दूर पार्किंग दे रखी है, जहां से पैदल जाने में वह भी परेशान हो रहे हैं। धर्मालुओं की सेवा में विभिन्न समाज के लोग तन मन धन से सहयोग कर रहे। शीतल पेय सहित अन्य सेवा की जा रही है लेकिन लगता है आयोजक कमाई के मूड में ही हैं।

जहां पर होना थी पार्किंग, वहां लगवा दिया मेला और दुकाने

कथा पंडाल के पास ही जगह पर आयोजक ने मेला लगा दिया और जमीनों को आयोजन तक के लिए किराए से दिया है। दुकानदारों का कहना है कि आयोजक ने सभी से मोटी रकम वसूल की है जबकि जमीन देने वालों का कहना है कि यह जमीन हमने कथा सुनने वाले भक्तों की पार्किंग के लिए निशुल्क दी थी। धार्मिक आयोजन के लिए जमीन का उपयोग करने के लिए अनुमति दी थी जबकि आयोजक ने ऐसा नहीं किया और धर्म प्रेमी लोगों के प्रति विश्वासघात किया। जमीन देने वाले सभी लोग खासे नाराज हैं।

प्रशासन को करना चाहिए इस मामले में हस्तक्षेप

सूत्रों से जानकारी मिली है कि बीती रात दुकानदार भड़क गए थे और अपनी राशि दिलाने के लिए पुलिस को भी कहा है। दुकानदारों का कहना है कि जिस कारण हमने दुकानें ली वह कमाई हमारी नहीं हो रही है। प्रशासन को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। प्रशासन जन सुविधाओं को नजरअंदाज कर रहा है। सोमवार को उन लोगों ने भी आवाज बुलंद कर ली जिन्होंने अपनी जमीन पार्किंग स्थल के लिए दी थी लेकिन आयोजक में मनमानी करते हुए वहां पर मेला लगा लिया और दुकानें के लिए रुपए वसूल लिए। ऐसे जमीदारों का कहना है कि दुकानदारों को आयोजक रुपए लौटाए अन्यथा ठीक नहीं होगा।

गांव जाने वालों को रोक रहे हैं पुलिस वाले

ज्ञातव्य है कि कथा शुरू होने के 2 से 3 घंटे पहले ही वाहनों का आवागमन रोका जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस कारण हरथली, लालगुवाड़ी सहित अन्य गांव में जाने वालों को रोका जा रहा है, उन्हें काफी दिक्कतें हो रही है। इस मामले में तैनात पुलिसकर्मी गांव वालों की एक नहीं सुन रहे हैं। उधर रानीसिंग से रावटी, लालगुवाड़ी, कनेरी आने वाले मार्ग पर भी बेरी गेट्स लगाकर रोक दिया गया है।

प्रशासन की मिलीभगत, आयोजक के साथ

कथा श्रवण करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि इतनी दूर ऑटो रिक्शा को रोक कर श्रद्धालुओं को परेशान किया जा रहा है जबकि ऐसे वाहनों का पार्किंग स्थल कथा पंडाल के पास ही होना चाहिए था, लेकिन प्रशासन की मिलीभगत के चलते धर्मालुओं को परेशान किया जा रहा है, ताकि कथा के आयोजक कमाई कर सके।
लोगों का यह भी कहना है कि पहले भी कथा के आयोजन हुए लेकिन पांडाल तक इतनी दूर उतर कर नहीं जाना पड़ता था। यह साजिश और षड्यंत्र का ही नतीजा है कि लोग परेशान हो रहे हैं और प्रशासन मौन बैठा हुआ है। लोगों ने तो यह भी कहा कि बाजना बस स्टैंड से त्रिवेणी मार्ग जाने वाला रास्ता काफी खराब है बड़े-बड़े गड्ढे हो रहे हैं। धूल उड़ रही है लेकिन आयोजन की पूर्व तैयारियों के मद्देनजर प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया, जबकि योजना के अनुसार इस मार्ग का उपयोग भी कथा आयोजन स्थल तक जाने के लिए दर्शाया गया है।

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