निर्वाचन व्यय पर होगी कड़ी नज़र : धनबल के दुरुपयोग को रोकना, महापौर, पार्षद के लिए व्यय सीमा निर्धारित
⚫ नगरीय निकाय निर्वाचन व्यय लेखा प्रबंध प्रशिक्षण
हरमुद्दा
रतलाम, 10 जून। नगरीय निकाय निर्वाचन में व्यय सीमा निर्धारित करने का उद्देश्य धनबल के दुरुपयोग को रोकना है। ऐसे में व्यय लेखा परीक्षण टीम का दायित्व महत्वपूर्ण हो जाता है। धन बल की अनिष्टकारी भूमिका से मतदाताओं को भ्रमित न किया जाए तथा मताधिकार की ताक़त का मतदाता निर्भीक और निष्पक्ष रुप से प्रयोग करें, ऐसी परिस्थितियां और वातावरण निर्मित करना तथा निर्वाचन व्यय पर कड़ी नज़र रखना, लेखा टीम सुनिश्चित करें ।
उक्त निर्देश त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन एवं नगरीय निकाय निर्वाचन अंतर्गत राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त प्रेक्षक, मध्यप्रदेश शासन के पूर्व सचिव और भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अशोक भार्गव ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित नगरीय निकाय निर्वाचन व्यय लेखा प्रबंध प्रशिक्षण में व्यय लेखा टीम सदस्यों को संबोधित करते हुए दिए। प्रशिक्षण में संयुक्त कलेक्टर श्री अभिषेक गेहलोत, व्यय लेखा नोडल अधिकारी तरुण त्रिपाठी, जिला मास्टर ट्रेनर डॉ. सुरेश कटारिया भी मौजूद थे। प्रशिक्षण में जिले के नगरीय निकाय निर्वाचन हेतु व्यय लेखा टीम में सम्मिलित 75 से अधिक कर्मचारी उपस्थित रहे।
सभी लोग सेवक निभा रहे हैं अपना दायित्व
डॉ. भार्गव ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से आप सभी लोक सेवक के रूप में अपना दायित्व निभा रहे हैं, इसलिए आपके आचरण और व्यवहार में पारदर्शिता परिलक्षित होना चाहिए। निर्वाचन कार्य की गरिमा को बनाए रखने का दायित्व हम सभी का है। निर्वाचन व्यय की जानकारी को निर्धारित पंजी में दर्ज करना और निर्वाचन व्यय पर नज़र रखना या आपका उद्देश्य है। इस कार्य को पूर्ण पारदर्शिता एवं गंभीरता के साथ करें । यह कार्य बहुत सहज है और इसमें अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग करें। किसी तरह का संशय होने पर अपने नोडल अधिकारी से संपर्क करें। निर्वाचन अवधि के दौरान पूरी तरह सचेत एवं सतर्क रहें। राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें।
जरूरी है तीन बार मिलान
अपर कलेक्टर अभिषेक गहलोत ने कहा कि सभी टीम के सदस्य रिटर्निंग अधिकारी एवं सहायक रिटर्निंग अधिकारी से संपर्क में रहें। आपका मुख्य कार्य व्यय की निगरानी करना है। अपना रजिस्टर संधारित रखें । प्रत्याशी और आपके रजिस्टर का तीन बार मिलान होगा। उन्होंने कहा कि टीम के सभी सदस्य अपने-अपने दायित्व को निभाते हुए व्यय पर निगरानी रखते हुए अपना दायित्व निभाएंगे। इस दौरान उपस्थित टीम सदस्यों द्वारा व्यक्त की गई जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया । व्यय लेखा परीक्षण के नोडल अधिकारी श्री तरुण त्रिपाठी ने उपस्थित सदस्यों को संधारित किए जाने वाले दस्तावेज एवं पंजी से संबंधित जानकारी दी।
महापौर, पार्षद के लिए व्यय सीमा निर्धारित
उपस्थित व्यय लेखा टीम सदस्यों को प्रशिक्षण देते हुए मास्टर ट्रेनर डॉ. सुरेश कटारिया ने कहा कि नगर पालिक निगम रतलाम महापौर पद के प्रत्याशी के लिए निर्धारित व्यय सीमा 15 लाख रुपए, नगर पालिक निगम रतलाम पार्षद पद के प्रत्याशी के लिए 3. 75 लाख रुपए, नगर पालिका परिषद जावरा के पार्षद पद के प्रत्याशी के लिए 1.5 लाख रुपए तथा नगर परिषदों के पार्षद पद प्रत्याशी के लिए 75 हज़ार रुपए व्यय सीमा निर्धारित है। उन्होंने बताया कि निर्वाचन में अनुवीक्षण को लेकर सभी अपनी जानकारी स्पष्ट रखें । नाम निर्दिष्ट करने की दिनांक से निर्वाचन परिणाम की घोषणा तक सभी व्यय का ब्यौरा प्रत्येक प्रत्याशी को देना होगा। निर्वाचन व्यय का लेखा निर्वाचन की तारीख से तीस दिन के अंदर आयोग द्वारा अधिसूचित अधिकारी के पास दाखिल किया जाएगा। वीडियो निगरानी दल, वीडियो अवलोकन दल, मीडिया प्रमाणन और अनुविक्षण समिति, शिकायत अनुवीक्षण नियंत्रण एवं लेखा टीम का गठन इसी उद्देश्य से किया गया है।
5000 से अधिक का भुगतान चेक किया आरटीजीएस से
उन्होंने बताया कि निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण के मुख्य उद्देश्य अनुमति प्रदत्त व्यय का आंकलन करना तो है ही, नियमानुसार उसका हिसाब रखना भी है और अवैध धन के उपयोग नियमानुसार कार्रवाई करते हुए इसे व्यय के लेखे में शामिल करना भी है। डॉ. कटारिया ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश के अनुसार महापौर पद के प्रत्याशी को राष्ट्रीय कृत बैंक की शाखा में पृथक से इस कार्य हेतु एक खाता खोलना होगा। पांच हज़ार रुपए से अधिक का भुगतान चेक अथवा आरटीजीएस के माध्यम से किया जाएगा। इससे कम का भुगतान नगद किया जा सकता है। व्यय लेखा रजिस्टर में नगद एवं चेक आदि के माध्यम से किया गया विवरण दाखिल किया जाएगा।