आनंददायक बुढ़ापे के दो मंत्र एक हाथ में माला और दूसरा मुंह पर ताला : मुनिराज श्री

⚫ अन्नपूर्णा अन्नश्रेत्र में मनाया अ.भा.जैन श्वेताम्बर सोशल ग्रुप रतलाम का फेडरेशन डे

हरमुद्दा
रतलाम, 10 जून। वृद्धावस्था जीवन का वह अनमोल वरदान है, जब आप आप परमात्मा के ज्यादा करीब जा सकते है । कई लोगों का सारा जीवन भागमभाग में ही निकल जाता है लेकिन वे धन्य भागी होते है जो अपना जीवन का शेष समय परमात्मा की भक्ति से संवार लेते है। लेकिन उम्र के इस पढ़ाव पर आपको दो काम जरुर करना चाहिए। एक तो हाथ में माला और दूसरा मुंह पर ताला। इससे आप बहुत सारे विवाद और तनाव से बच जायेंगे और बुढ़ापा आनंददायक बन जाएगा।

यह प्रेरक विचार पूज्य आचार्य बंधु बेलड़ी के शिष्यरत्न युवा मुनिराज श्री मनकचन्द्रसागरजी म.सा. ने व्यक्त किये। वे अन्नपूर्णा अन्नश्रेत्र में अ.भा.जैन श्वेताम्बर सोशल ग्रुप रतलाम के फेडरेशन डे के अवसर पर वृद्धाश्रम में आयोजित कार्यक्रम में व्याख्यान दे रहे थे।

बुजुर्ग अनुभव के वटवृक्ष

आपने बताया कि जीवन में संत समागम से अमिट पुण्यों की प्राप्ति होती है। संतों के सानिध्य से ही पापो का क्षय और पुण्योदय होता है। कई बुजुर्ग उम्र के इस पढ़ाव पर आकर दुखी होते है लेकिन यह समय दुखी होने का नहीं है। यह समय तो ज्यादा से ज्यादा परमात्मा की भक्ति में बीताने का होता है। आपने कहा कि बुजुर्ग अनुभव के वट वृक्ष होते है, जिनकी छाया में आकर जीवन का उपवन खिल उठता है। इसलिए बुजुर्गों के अनुभवों का समाज को लाभ लेना चाहिए।

गरिमापूर्ण उपस्थिति

आयोजन में मौजूद समाज जन

इस अवसर पर  श्री अन्नपूर्णा अन्न क्षेत्र के व्यवस्थापक ट्रस्टी सुरेंद्र सुरेका, श्री पाटनी  एवं अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। अखिल भारतीय जैन श्वेतांबर सोशल ग्रुप फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत कोठारी ने ग्रुप की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
रतलाम ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर सोनी, अध्यक्ष नीलेश पोरवाल, सचिव श्रीमती सुनीता श्रीनिवास जैन, कोषाध्यक्ष अनिल गांधी, अजय जैन, जय नाहर, ऋषभ गांधी, श्री मूणत,  श्री तलेरा आदि पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित थे। संचालन प्रदीप डाँगी ने एव आभार सुनीता श्रीनिवास ने माना।

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