व्यवहार का असर : तोड़फोड़ कर धमाल मचाने वाला, किसी के काबू में नहीं आया, लेकिन समाजसेवी काकानी को देखते ही गिर गया पैरों में
⚫ प्रेम में हारा तो ट्रेन के सामने आत्महत्या करने में हुआ घायल
⚫ 5 महीने पहले निकला था घर से
⚫ प्रेम में दीवाने मनोरोगी को घर भेजा बिहार
⚫ जिंदगी भर नहीं भूलेंगे भाई को मिलाने का एहसान
हरमुद्दा
रतलाम, 1 अगस्त। पूरे जिला अस्पताल में धमाल मचा दी| आइसोलेशन वार्ड के भर्ती मनोरोगी ने कमरों में बिजली के तार, खिड़की, दरवाजे ,पलंग सब कुछ तोड़ दिया। वार्ड से धमाल मचाते हुए अस्पताल पुलिस चौकी के सामने स्वास्थ्य कर्मी का गले का ताबीज पकड़ लिया। हर कोई छुड़ाने की कोशिश कर रहा है परंतु पकड़ इतनी मजबूत कोई छुड़ा नहीं सकते ऐसे में अस्पताल पुलिस चौकी से आरक्षक मुकेश का सहयोग के लिए गोविंद काकानी से मदद की अपेक्षा की।
समाजसेवी काकानी तत्काल वहां पहुंचे और इकट्ठा भीड़ को हटाते हुए मनोरोगी को अपने आत्मीय प्रेम भरे व्यवहार से अस्पताल चौकी में ले गए। मनोरोगी काकानी के पैरों में बैठकर कान पकड़कर माफी मांगने लगा। उपस्थित सब लोग एकदम चकित हो गए कहां इतना उत्तेजित होकर किसी के बस में नहीं आ रहा और एक दम शांत होकर नीचे बैठा।
आत्महत्या करने के इरादे से हुआ था घायल
बात कर रहे हैं 26 तारीख को ट्रेन के सामने आत्महत्या करने के इरादे से घायल 22 वर्षीय व्यक्ति वाजिद अली पिता स्वर्गीय निजामुद्दीन शाह निवासी ग्राम पहाड़िया सफी छपरा, जिला सिवान, बिहार को बांगरोद से 108 से लाकर जिला चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा गई थी।
5 महीने पहले घर से निकला था तोड़फोड़ करके
मनोरोगी मरीज वाजिद 5 माह पूर्व घर से तोड़फोड़ कर निकल गया था। तब से परिवार वाले इसे ढूंढ रहे थे। परंतु इसका कोई अता पता उन्हें नहीं मिला। 6 दिन बाद ठीक होने पर अस्पताल से उसके परिवार वालों को संपर्क किया, तब उसका बड़ा भाई मोहम्मद नबी उसे लेने के लिए आया। मोबाइल पर वीडियो कॉलिंग से मां एवं परिवार के सदस्यों जब बात कराई तो पूरा परिवार सभी को दुआएं देने लगा।
मजदूरी करके चलाते हैं घर
भाई मोहम्मद नबी ने बताया कि परिवार मैं पिता का स्वर्गवास हो गया है। मां नूरजहां खातून, हम चार भाई भाई और तीन बहन जिनकी शादी हो गई है। गांव में रहते हैं। हमारा परिवार बहुत गरीब है जैसे तैसे मजदूरी कर घर चला रही मां के साथ में मजदूरी करता हूं। वाजिद को हम पढ़ा लिखा कर बड़ा बनाना चाहते थे। वाजिद दसवीं तक पढ़ा है। परंतु ना जाने इसे क्या हुआ और यह इस प्रकार की हरकत करने लगा।
एक तरफा प्यार में दे रहा था जान
समाजसेवी काकानी ने इन 5 दिनों में उसे अपने अनुभव के प्रयोग द्वारा जानकारी एकत्रित की। उसमें मनोरोगी वाजिद ने बताया कि वह गांव की किसी लड़की से बहुत प्यार करता है। परंतु वह उसे नहीं चाहती है। इसी कारण मेरा दिमाग खराब हो गया। मैं घर से कब निकला मुझे नहीं मालूम। जब उससे पूछा तुम ट्रेन के आगे क्यों चले गए थे। तब उसने बताया मैं मरना चाहता था।
डॉक्टर से परीक्षण करवा कर दी दवाई 1 महीने की
तब उसे भाई के सामने ऐसा कुछ कभी नहीं करने की समझाइश देकर कसम दिलवाई और आगे पढ़ाई वापस शुरू करने के लिए समाजसेवी काकानी द्वारा प्रेरित किया। आइसोलेशन वार्ड में वार्ड बॉय गोलू भाई, सिस्टर के सहयोग से डॉक्टर निर्मल जैन से चेकअप करवा कर एक माह की दवाई दिलवाई।
ट्रेन में बैठा कर किया रवाना घर के लिए
सुबह बिहार घर रवाना करने के लिए स्टेशन पर उसे दो वक्त का भोजन, रतलाम की सेव और यात्रा के लिए आवश्यक राशि देकर कुली लक्ष्मण एवं फिरोज के सहयोग से ट्रेन में व्यवस्थित बिठाकर रवाना किया। स्टेशन पर भाई मोहम्मद नबी ने समाजसेवी काकानी, अस्पताल प्रशासन के वार्ड बॉय, सिस्टर, डॉक्टर, अस्पताल पुलिस चौकी सभी का ह्रदय से धन्यवाद देते हुए एहसान जिंदगी भर ना भूलने का बार-बार बोलता रहा।