लोक मंगलकारी रचनाओं के शिल्पी है तुलसीदास
⚫ श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ में साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने कहा
हरमुद्दा
रतलाम 4 अगस्त। महाकवि तुलसीदास का साहित्य लोक मंगलकारी था। उन्होंने अपनी रचनाओं , दोहों के माध्यम से आम व्यक्ति के जीवन का वर्णन किया है। सही अर्थों में तुलसीदास की रचनाएं जीवन में उतारना चाहिए।
यह विचार साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने गुरुवार को तुलसी जयंती के अवसर पर ब्रह्मणवास स्थित श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ में व्यक्त किए।
प्रलोभन से दूर था तुलसीदास का साहित्य
उन्होंने कहा कि तुलसीदास का साहित्य प्रलोभन से दूर था। जब अकबर ने उन्हें अपने नौ रत्नों में शामिल होने का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने इंकार कर दिया। तुलसीदास भारतीय सनातन संस्कृति की भक्ति के प्रतीक थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अभाव एवं संघर्ष में व्यतीत किया। लेकिन सुविधाओं के प्रभाव में नहीं आए और प्रभु राम की भक्ति में लीन होकर रामचरितमानस की रचना कर दी। उनका जीवन आदर्श है।
माल्यार्पण से शुरुआत
विशेष अतिथि के रूप में पत्रकार हेमंत भट्ट मंचासीन थेl प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती व तुलसीदास की तस्वीर पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य माधुरी सिंगार ने किया। स्वागत उद्बोधन सहसचिव सतीश त्रिपाठी ने दिया। विद्यार्थियों ने तुलसी का जीवन परिचय व दोहे प्रस्तुत किए। संचालन शिक्षिका मुक्ता गादिया ने किया।