अमृत महोत्सव : शौर्य का प्रतिमान तिरंगा ! जीत का निशान तिरंगा ! झुकना नहीं चाहिए, किसी भी हाल में तिरंगा !
⚫ मंजुला पांडे
शौर्य का प्रतिमान तिरंगा!
जीत का निशान तिरंगा!
झुकना नहीं चाहिए,
किसी भी हाल में तिरंगा!!
कल भी हो अर्श पर तिरंगा!
जैसे है आज ,हर हुस्ध तिरंगा!
दिखना नहीं चाहिए बिछा,
कल कहीं फर्श पर तिरंगा!!
शांति का प्रतीक है ये तिरंगा!
अरे-चौबीसों चौकसी,संकेत तिरंगा!
प्रयास रहना चाहिए ना बने,
कभी नफरतों का प्रतीक तिरंगा!!
मैं नहीं! हमारी आन!है तिरंगा!
हमारा सकल मान है तिरंगा!
कोई दुर्भाव नहीं चाहिए,
सुविचार अभिप्राय है तिरंगा!!
हुकूमत-ए-पक्ष है तिरंगा!
हुकूमत-ए-विपक्ष है तिरंगा!
लहराने का अधिकार मुझे ,
मिला है पूर्ण हक तिरंगा!!
हिन्दू का है ये तिरंगा!
हर मुस्लिम का है ये तिरंगा!
निशा बनना नहीं चाहिए,
कभी एक सम्प्रदाय का तिरंगा!!
भारत की गहन शान तिरंगा!
भारत का है अभिमान तिरंगा!
अनेकता को एकता सूत्र में गूंथे,
भारत विश्व विशिष्ट बनाता तिरंगा!!
झूम कर लहराये तिरंगा!
बुलंदियों को पाये तिरंगा!
कल के प्रतिक्षण पल-पल में ,
वृहद विस्तार पाये तिरंगा!!
आजादी की हिरक जयंती में
हर घर फर-फर लहराये तिरंगा!
बीते पल की कुर्बानियों की,
हर क्षण याद दिलाये तिरंगा!
आजादी के अमृत महोत्सव में,
दफ्न शहादतों का इतिहास!
नव पीढ़ी को सुनाये तिरंगा!!
⚫ मंजुला पांडे
पिथौरागढ़ (उत्तराखंड)