नारी, शक्ति और मां : मां की मुक्ति के लिए नहीं कांपे दोनों बेटियों के हाथ, किया अंतिम संस्कार, छूट गया मां का साथ
⚫ मासूमों को मां के सहारे छोड़कर पिता चले गए थे अंतिम सफर पर
⚫ अनुकंपा नियुक्ति के बाद चलाया घर, किया दायित्व का निर्वहन और बसाया बेटियों का घर संसार
हरमुद्दा
रतलाम, 3 अक्टूबर। पिता का साया तो मासूमों के सर से बचपन में ही छिन गया था। मां ने अनुकंपा नियुक्ति लेकर बेटियों को न केवल बड़ा किया अपितु उनका घर संसार भी बसाया। पिता का भी फर्ज निभाया। अपने कर्तव्य का निर्वाह करने वाली मां बेटियों को छोड़कर चली गई तो बेटियों के भी मां की मुक्ति के लिए हाथ नहीं कांपे। अंतिम संस्कार किया। मगर पिता का प्यार और मां का दुलार देने वाली साथ छूट गया।
दरअसल मंडल रेल कार्यालय में प्रकाश मीणा पदस्थ थे। 2003 में उनके अचानक निधन के पश्चात पत्नी मीरा मीणा की अनुकंपा नियुक्ति पर पदस्थ हुई। उस समय दोनों बेटियां वर्षा और हिना छोटी छोटी थी। मां ने पिता के फर्ज का भी निर्वहन करते हुए बेटियों को संस्कारित कर शिक्षित किया। दांपत्य सूत्र में बंधवाया। बेटी वर्षा की भी दो बेटियां हैं। हिना का एक बेटा है।
तबीयत बिगड़ी, बेटियों को लेकर आए दामाद
मीरा मीणा (55) की गत दिनों तबीयत बिगड़ी। ससुराल में दोनों बेटियों को भोपाल खबर की। दामाद के साथ बेटियां आई। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें इंदौर उपचार के लिए ले जाया गया लेकिन दूसरी बार भी उनको हृदयाघात हुआ और बचाया नहीं जा सका।
सभी क्रियाएं की बेटियों ने
दिवंगत मीरा मीणा को घर लाया गया। सारी क्रियाएं घर पर की गई। बेटियों ने कंधा देकर मुक्तिधाम तक पहुंचाया और मुखाग्नि देकर मां को मुक्ति दिलाई। इस दौरान बेटियों को ढांढस बंधाने के लिए अन्य महिलाएं भी मुक्तिधाम में मौजूद रही। दोनों बेटियों ने साबित किया कि वह भी बेटों से कम नहीं है। नारी है, शक्ति है और वह मां भी है।