सुब्ह चलें और शाम चलें, भारत के हर गाम चलें, आज़ादी का जश्न है ये, आओ तिरंगा थाम चलें
⚫ मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा ज़िलेवार गतिविधि “सिलसिला” के अंतर्गत रतलाम में “साहित्यिक गोष्ठी” आयोजित
हरमुद्दा
रतलाम, 3 अक्टूबर। देश की आजादी के 75 वर्ष के अवसर अमृत महोत्सव के अंतर्गत मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश में संभागीय मुख्यालयों पर नवोदित रचनाकारों पर आधारित “तलाशे जौहर” कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद अब ज़िला मुख्यालयों पर स्थापित एवं वरिष्ठ रचनाकारों के लिए “सिलसिला” के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इस कड़ी का अठारहवां कार्यक्रम होटल स्वीट एवेन्यू हॉल, डी आर एम ऑफ़िस के सामने, रतलाम में “शेरी व अदबी नशिस्त” का आयोजन ज़िला समन्वयक अब्दुल सलाम खोकर के सहयोग से किया गया।
अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी के अनुसार उर्दू अकादमी द्वारा अपने ज़िला समन्वयकों के माध्यम से प्रदेश के सभी ज़िलों में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत “सिलसिला” के अन्तर्गत व्याख्यान, विमर्श व काव्य गोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं। ज़िला मुख्यालयों पर आयोजित होने वाली गोष्ठियों में सम्बंधित ज़िलों के अन्तर्गत आने वाले गाँवों, तहसीलों, बस्तियों इत्यादि के ऐसे रचनाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है जिन्हें अभी तक अकादमी के कार्यक्रमों में प्रस्तुति का अवसर नहीं मिला है अथवा कम मिला है।
इन जगह हो चुके हैं अब तक आयोजन
इस सिलसिले के सत्रह कार्यक्रम भोपाल, खण्डवा, विदिशा, धार, शाजापुर टीकमगढ़, सागर एवं सतना, रीवा, सतना सीधी, रायसेन, सिवनी, नरसिंहपुर नर्मदापुरम दमोह, शिवपुरी, ग्वालियर, बुरहानपुर एवं देवास में आयोजित हो चुके हैं और आज यह कार्यक्रम रतलाम में आयोजित हुआ जिसमें रतलाम एवं मंदसौर ज़िले के रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत प्रस्तुत कीं।
10 शायरों ने की शिरकत
रतलाम ज़िले के समन्वयक अब्दुल सलाम खोकर ने बताया कि रतलाम में आयोजित साहित्यिक गोष्ठी में 10 शायरों और साहित्यकारों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता रतलाम के वरिष्ठ शायर मो. शफ़ी बेलिम साहिर रतलामी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में इरशाद गौरी (SDMM पश्चिम रेलवे), एवं विशिष्ट अतिथियों के रूप में डॉ मनोहर जैन एवं एडवोकेट यूसुफ़ जावेदी मंच पर उपस्थित रहे।
जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर इस प्रकार हैं।
मो.शफ़ी बेलिम साहिर रतलामी
पहले ज़मीन पर ही ज़रा घर में सँवर लो।
फिर शौक से तुम चांद सितारों की ख़बर लो।।
सिद्दीक़ रतलामी
ज़िंदगानी का सफ़र जब मौतबर हो जाएगा।
राह का पत्थर भी मेरा हमसफ़र हो जाएगा।।
अब्दुल सलाम खोकर
सुब्ह चलें और शाम चलें, भारत के हर गाम चलें।
आज़ादी का जश्न है ये,आओ तिरंगा थाम चलें।
अमीरुद्दीन शेख़’अमीर ‘ सैलाना
ये तो बस यार की निशानी है
जख्मे दिल क्या भला रफू करना
लक्ष्मण पाठक रतलाम
बोला यह हमसे एक गुले-तर खिला हुआ
मिसरा अगर कहो तो कहो बोलता हुआ
आरिफ़ अली आरिफ़ जावरा
इंसानियत के कर्ब को लफ़्ज़ों में ढालकर
तरमीम हमने की है ग़ज़ल के निसाब में।
युसूफ खान ‘सहर’ जावरा
जवान होते ही मां-बाप को भुला देना
अभी तो एब है आगे हुनर न हो जाए
शाकिर रज़ा जावरा
आजा सनम के दिल नहीं लगता तेरे बग़ैर
कब तक करूंगा अपना गुज़ारा तेरे बग़ैर ।।
आशीष दशोत्तर रतलाम
सारी दुनिया को वोही भाता है
दिल जो दिल के क़रीब लाता है
यशवंत पाटीदार मंदसौर
ए देश मेरे क्या फ़िक़्र तुझे तूने शेर के जबड़े फाड़े हैं।
मेरे देश के वो सैनिक हैं जो सिंहों से तेज़ दहाड़े हैं ।।
शेरी नशिस्त का संचालन अब्दुल सलाम खोकर ने qकर ने सभी का आभार माना।