खरी खरी : धोखा, धोखा, धोखा, फोरलेन के नाम पर धोखा, मुख्यमंत्री जी आप के विधायक के साथ कर सकते हैं मतदाता धोखा, यदि भेदभाव नहीं रोका
⚫ अमूमन कम से कम फोरलेन की चौड़ाई 27 मीटर होती है। फुटपाथ, नाली, डिवाइडर मिलाकर 45 मीटर तक होती है लेकिन चांदनी चौक से चौमुखी पुल तक बनने वाली फोरलेन की चौड़ाई केवल और केवल 12 मीटर ही है। यह धोखा नहीं तो और क्या है? फोरलेन के नाम पर जो राशि स्वीकृत हुई है, उसमें बड़े घोटाले की आशंका ने जन्म ले लिया है।⚫
हेमंत भट्ट
यह कोई नई बात नहीं है कि रतलाम के बाशिंदों के साथ दशकों से छलावा हो रहा है। एक के बाद एक धोखे दिए जा रहे हैं। जिधर देखो उधर धोखा, धोखा, धोखा ही नजर आ रहा है। शहरवासियों के साथ धोखाधड़ी की फेहरिस्त काफी लंबी हो चुकी है या यूं कहें कि धोखाधड़ी का ज्वालामुखी फटने के कगार पर है। ऐसा ना हो कि मुख्यमंत्री जी रतलाम की जनता आप के विधायक के साथ धोखा कर दे, फिर यह ना कहना कि हमें मौका न दिया। मौका तो काफी बार दिया लेकिन आम जनता को मिला केवल धोखा, धोखा और धोखा। मौका चाहे फोरलेन का हो, साफ सफाई का हो, सुविधाओं का हो, सड़कों का हो, यातायात का हो, जल वितरण का हो, हमेशा हमेशा धोखा ही मिला है। रतलामवासियों ने तो हमेशा भाजपा पर ही विश्वास जताया लेकिन भाजपा के जन प्रतिनिधियों ने हमेशा की तरह ही मतदाताओं के साथ केवल और केवल धोखा ही किया है। भाजपाई जनप्रतिनिधियों ने मौका दिया है तो सिर्फ कुबेरपतियों को। आमजन को नहीं।
दशकों से कुप्रथा का दस्तूर कायम
साल के अंतिम माह दिसंबर में शहर के बाहरी क्षेत्रों में जोर-शोर से अतिक्रमण मुहिम चलाई गई। लोगों के अतिक्रमण तोड़े गए कहा गया कि फोरलेन बनेगी। शहर के विकास में उन्होंने अपना योगदान दे दिया। उसी समय शहर के जागरूक लोगों ने प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा था कि यही अतिक्रमण मुहिम चांदनी चौक चौमुखी पुल क्षेत्र में भी चलेगी या नहीं या सिर्फ दिखावा साबित होगी। जिला प्रशासन इस मामले में पीछे तो नहीं हटेगा और वही हुआ। बाजार में आते ही अतिक्रमण हटाओ मुहिम एक बार फिर टाय टाय फिस्स हो गई जो कि दशकों का दस्तूर है। धन्ना सेठों के अतिक्रमण नहीं हटते हैं। दशकों से यह कुप्रथा चल रही है। निरंतर चल रही है।
फोरलेन में बड़े घोटाले की आशंका
बस अतिक्रमण नहीं हटाने की बात पर ही फोरलेन का धोखा शुरू होता है। मिनी स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर में फोरलेन बनाने का शगुफा दिया जा रहा है लेकिन इसमें धोखा भी दिया जा रहा है अमूमन कम से कम फोरलेन की चौड़ाई 27 मीटर होती है। फुटपाथ, नाली, डिवाइडर मिलाकर 45 मीटर तक होती है लेकिन चांदनी चौक से चौमुखी पुल तक बनने वाली फोरलेन की चौड़ाई केवल और केवल 12 मीटर ही है। यह धोखा नहीं तो और क्या है। फोरलेन के नाम पर जो राशि स्वीकृत हुई है, उसमें बड़े घोटाले की आशंका ने जन्म ले लिया है। नाम तो फोरलेन का लिया जा रहा है लेकिन वह तो टूलेन भी पूरी नहीं बन पा रही है। शहर में अब तक कई क्षेत्रों में फोरलेन के निर्माण हुए चाहे वह न्यू रोड हो, शास्त्री नगर हो, पावर हाउस रोड हो, सज्जन मिल रोड हो। सभी फोरलेन की साइज याने की चौड़ाई अलग अलग ही है। कॉन्वेंट स्कूल से महाराजा सज्जन सिंह जी प्रतिमा स्थल तक बनाई गई फोरलेन भी कई जगह से सिकुड़ गई है। फोरलेन की सुविधा 2 लेन में तब्दील हो गई है लेकिन इस ओर कोई ध्यान देने वाला नहीं है लेकिन मतदाता तो जरूर जागरूक है और वे ध्यान दे रहे हैं और इसका हिसाब किताब वह जरूर लेंगे। किस तरह से लेंगे यह उन्होंने ट्रेलर में दिखा दिया है। और यदि विधायक जी इस मुगालते में हैं कि नगर निगम के पार्षद और महापौर से उनको लाभ होगा तो यह दिवास्वप्न के अलावा और कुछ नहीं। क्योंकि किसी भी पार्षद में इतनी कुबत नहीं है कि वह 10 वोट भी दिला सके।
… और इन्हें आना है सफाई में भी अव्वल
यूं तो सड़क की साफ-सफाई, नालियों की सफाई, कचरे को उठाना डंप करना दैनिक प्रक्रिया होती है, लेकिन रतलाम नगर निगम इसे अभियान के रूप में करती है। जिस क्षेत्र में एक बार नाली की सफाई हो गई तो फिर महीनों तक उधर सुध लेने वाले कोई नहीं। कार्यस्थल से अनुपस्थित रहना तो सफाई कर्मचारियों की आदत में शुमार है। लगभग 1 साल होने को आया है हर दिन दर्जनों सफाई कर्मचारियों के वेतन काटने की जानकारी जनसंपर्क विभाग देता है। इसके साथ ही यह भी बताता है कि आज फला क्षेत्र में नाली की सफाई की। जेसीबी से नाले की गंदगी हटाई गई। जबकि यह कार्य तो नित्य प्रतिदिन का है। इसमें क्या बड़ा तीर मार लिया है। समझ से परे है आखिर यह सब क्या हो रहा है?
चित्रकारी का संदेश : जनता रहे कीचड़ में, जनप्रतिनिधि बनने कमल का फूल
स्वच्छता अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लाखों रुपए दीवारों को रंगने में खर्च हो रहे हैं। शहर के कई क्षेत्रों की दीवारों पर कमल के फूल के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा है। दीनदयाल नगर शॉपिंग कांप्लेक्स के आसपास दीवारों पर कमल के फूल आसानी से देखे जा सकते हैं। जबकि चित्रकारी संदेश मूलक होनी चाहिए। स्वच्छता को प्रेरित करने वाली होनी चाहिए। कमल के फूल की चित्रकारी तो यही संदेश दे रही है कि आम जनता कीचड़ में रहे जनप्रतिनिधि कमल के फूल की तरह दिखे।
30 दिन की बजाए 13 दिन
चाहे जल वितरण हो या फिर कचरा संग्रहण। महीने में केवल 13 दिन ही होता है। शहर में स्वच्छता अभियान के तहत हर दिन नगर निगम के वाहनों को घरों से कचरा एकत्र करना है लेकिन शहर में ऐसा नहीं हो रहा है। 1 दिन छोड़कर कचरा एकत्र करना तो नियम में है, वही रविवार का अवकाश। इसके अलावा अन्य कोई त्यौहार आ जाए तो फिर अवकाश। तो फिर कचरे का संग्रहण 30 दिन की बजाय मात्र 12-13 दिन ही रह जाता है। शहरवासियों को गंदगी को संभाल कर रखना पड़ता है, जिससे बीमारियां उनके घर में ही बढ़ रही है। 2 दिन बाद कचरा वाहन के साथ आने वाले भी आमजन से ऐसे बात करते जैसे वे मेहरबानी कर रहे हो। आम जनता और महिलाओं से हुज्जत करते हैं। यही आलम सड़कों की सफाई का भी है। सफाई कर्मचारी 2 और 3 दिन में आते हैं। कहीं झाड़ू लगी कहीं नहीं लगी और चले जाते हैं, इतिश्री करके। हो गई सफाई। इन्हें भी जब कुछ कहा जाता है तो यह सीधे क्षेत्र के लोगों पर आरोप लगा देते हैं कि नहीं रखते।
मुख्यमंत्री की घोषणा, केवल घोषणा तक सीमित
जब जब रतलाम में मुख्यमंत्री आए तब तक उन्होंने कहा कि 30 दिन जल वितरण होगा लेकिन उनकी बात जिम्मेदारों की खोपड़ी में नहीं आई। कई सालों से अब तक महीने में केवल 15 दिन जल वितरण के हैं और उसमें भी 2-3 दिन तो लाइन खराब हो गई। संपवेल खराब हो गया, धोलावाड़ में फाल्ट हो गया, पंपिंग स्टेशन में गड़बड़ी हो गई। इन सभी बहानों के चलते शहरवासियों को वही 12 से 13 दिन पानी मिलता है और वसूली होती है महीने भर की। कई क्षेत्रों में तो गंदा पानी पेयजल के नाम पर वितरण हो रहा है। सीवर लाइन और पेयजल लाइन अंदर ही अंदर फूट रही और मिल रही है।
… चूक रहे अवसर
आखिर इन सब बातों का हिसाब किताब तो होगा ही। कांग्रेसियों को तो घेरने के बहुत सारे मौके भाजपाई दे रहे हैं लेकिन कांग्रेसी न जाने किस की गोद में बैठे हैं। कांग्रेसी मौका भूनाने के हर एक अवसर चूक रहे हैं।