विश्व हिन्दी दिवस पर हुई अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी : देशों को जोड़ने वाली हिंदी से एकता का विकास : राज्यसभा सदस्य
⚫ हिंदी के वैश्विक प्रसार को निश्चित रूप से एक मिली एक पहचान : किशन बद्रुका
⚫ दुनिया के कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित हो रही हिंदी
⚫ ऑनलाइन अतिथि के रूप में मौजूद थे आक्स्फोर्ड बिज़नेस कालेज लंदन के डायरेक्टर डॉक्टर पद्मेश गुप्ता
⚫ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय हिंदी विद्वानों के वक्तव्यों से हिंदी भाषा के सुनहरे भविष्य के प्रति सुनिश्चितता हुई प्रकट
⚫ हिंदी संवर्धन के लिए कार्य करने वाले को किया सम्मानित
हरमुद्दा
हैदराबाद, 12 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदी को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा है। इससे देश की एकता का विकास होता है। इसीलिए सभी को हिंदी सीखनी चाहिए। हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच और बद्रुका महाविद्यालय का कार्यक्रम इस दिशा में सराहनीय है।
यह विचार राज्य सभा के सदस्य डॉ. के लक्ष्मण ने व्यक्त किए। डॉ. लक्ष्मण हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच और बद्रुका वाणिज्य एवं कला महाविद्यालय, काचीगुड़ा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित उद्घाटन समारोह में विश्व हिंदी दिवस की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच के महासचिव डॉ. डी विद्याधर ने बताया महाविद्यालय परिसर में हुए
उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री किशन बद्रुका ने की। विशेष अतिथि के रूप में अशोक तिवारी मौजूद थे। ऑनलाइन अतिथि के रूप में आक्स्फोर्ड बिज़नेस कालेज लंदन के डायरेक्टर डॉक्टर पद्मेश गुप्ता थे। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय हिंदी विद्वानों के वक्तव्यों से हिंदी भाषा के सुनहरे भविष्य के प्रति सुनिश्चितता प्रकट हुई।
अपनी सरलता और सुगमता के कारण हिन्दी की दुनिया में पहचान
श्री किशन बद्रुका ने कहा कि विश्व भर में हिंदी को जो स्थान आज मिल रहा है, 10 साल पहले ऐसा नहीं था । अपनी सरलता और सुगमता के कारण हिन्दी की पहचान दुनिया की वैज्ञानिक भाषाओं के रूप में भी होती है। आज हिंदी भारत से बाहर दुनिया के कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित हो रही है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बहुभाषावाद पर भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए हिंदी भाषा को अपनी प्रमुख भाषाओं में समाहित कर लिया है। पहले संयुक्त राष्ट्र में अरबी, चीनी, अंग्रेजी, रूसी, स्पेनिश और फ्रेंच जैसी कुल छह आधिकारिक भाषाएं ही थीं। अब यूएन के समस्त कार्यों और उसके उद्देश्यों की जानकारी हिन्दी में उपलब्ध होगी और इससे हिंदी के वैश्विक प्रसार को निश्चित रूप से एक नयी पहचान मिलेगी।
भारत के बाहर कई देशों में भी हिंदी बोली और समझी जाती
श्री बद्रुका ने कहा कि आज ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में ‘Bada Din’, (बड़ा दिन) ‘Surya Namaskar’ (सूर्य नमस्कार), योग (Yog) जैसे कई हिंदी के शब्द शामिल किए गए हैं। कंप्यूटर के प्रचलन के बाद हिंदी का प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से हुआ है। कई तकनीकी विषयों की हिंदी में पढ़ाई होने से हिंदी के प्रसार को नई पहचान मिली है। हमारे देश में 77 प्रतिशत लोग हिंदी समझते और पढ़ते हैं। भारत के बाहर कई देशों में भी हिंदी बोली और समझी जाती है।
मातृभाषा के महत्व और अनुवाद पर जोर
उद्घाटन सत्र में विशेष अतिथि अशोक तिवारी ने मातृभाषा के महत्व और अनुवाद पर जोर दिया। ऑनलाइन अतिथि के रूप में आक्स्फोर्ड बिज़नेस कालेज लंदन के डायरेक्टर डॉक्टर पद्मेश गुप्ता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के विकास के महत्व को रेखांकित किया।
हिंदीतर प्रांतों में हिंदी विकास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के लिए कार्य
हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच के परामर्शदाता डॉक्टर ऋषभदेव शर्मा ने हिंदीतर प्रांतों में हिंदी विकास और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की कार्य क्षमता की प्रशंसा की। शिक्षा के क्षेत्र में अनुवाद पर बल दिया।
प्रथम सत्र
प्रथम सत्र में कार्यक्रम की अध्यक्षता अर्वाचीन विश्वविद्यालय इथोपिया के प्रोफेसर गोपाल शर्मा ने की। डॉक्टर बेला ने विषय प्रवर्तन किया। डॉ. संगीता व्यास, प्रोफेसर करण सिंह, डॉ. कामेश्वरी , डॉक्टर कोकिला, डॉ. श्रद्धा तिवारी, डॉ. शक्ति द्विवेदी ने प्रपत्र वाचन किया। मंचासीन अतिथियों ने प्रशस्ति पत्र भेंट कर अभिनंदन किया।
द्वितीय सत्र
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर गंगाधर ने की। विशेष अतिथि के रूप में डॉ. घनश्याम, विषय प्रवर्तक के रूप में डॉ. प्रवीणा ने किया।
हुआ समापन समारोह
समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महेश कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रमेश कुमार बंग थे। अध्यक्षता के बद्रुका महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.बी मोहन कुमार ने की। विशेष अतिथि के रूप में बद्रुका महाविद्यालय के महानिदेशक प्रो. एस. अभिरामकृष्ण, डॉ. डी. विद्याधर, डॉ. राजेश अग्रवाल और रियाजुल अंसारी मंचासिन रहे।
भारतीयों की रग-रग में बसती है हिंदी
मुख्य अतिथि रमेश कुमार बंग ने कहा कि हिंदी हमारे देश की पहचान है। यह हर एक भारतीयों के रग-रग में बसती है। इस भाषा की बोली में एक अलग प्रकार का मिठास है। एक अपनापन सा लगता है जब हम विदेश में हो और हमें हिंदी बोलने वाले कोई साथी मिल जाए। हमारे पूरे शरीर में उमंग की एक तरंग सी दौड़ जाती है अपनी भाषा सुनकर। हिंदी दिवस और अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस अलग तारीखों पर मनाया जाता है। हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है और विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। हालांकि दोनों दिवस का उद्देश्य और मक़सद एक ही रहता है कि कैसे हिंदी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी हैं हम विश्व मैंत्री मंच और बद्रुका वाणिज्य विद्यालय के प्रति उनका सहयोग सदैव रहयोग रहेगा। दोनों संस्थाएँ हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण कार्य कर रहीं हैं।
संस्था का योगदान गर्व की बात
विशेष अतिथि प्रो. एस अभिरामकृष्ण ने इस अवसर पर सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए अपनी गर्वानुभूति प्रकट की कि बद्रुका महाविद्यालय इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजक बना। ऐसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में संस्था का योगदान हमारे महाविद्यालय के बड़े गर्व की बात है।
मन गदगद हो गया सुबह से शाम तक हिंदी विद्वानों को सुनकर
अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी मोहन कुमार ने कहा कि सुबह से लेकर देर शाम तक हिंदी प्रेमियों और विद्वानों के विचार सुनकर और सभागार में उपस्थिति देखकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है। महाविद्यालय हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच के साथ जुड़कर इस तरह के कार्यक्रम करने में गर्व की अनुभूति करता है। हमारा सहयोग भविष्य में सदा बना रहेगा।
विस्तार से समझाया प्रयास के बारे में
बद्रुका महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश अग्रवाल ने मुख्य अतिथि रमेश कुमार बंग का परिचय दिया। साथ ही हिंदी की बढ़ोतरी के लिए महाविद्यालय के द्वारा किए जा रहे सहयोग व प्रयासों के बारे में सविस्तार समझाया।
ऐसे ही आयोजन के दिया आश्वासन
हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच के महासचिव डॉ. डी. विद्याधर ने मंच द्वारा पिछले कई वर्षों से दक्षिण भारत में हिंदी के अंतरराष्ट्रीय कार्यों का सविस्तार वर्णन किया और भविष्य में भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का आश्वासन दिया।
उद्देश्य और महत्व को समझाया
हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. रियाजुल अंसारी ने मंच के उद्देश्यों एवं महत्व का विस्तृत परिचय देते हुए कार्यक्रम में उपस्थितों धन्यवाद व्यक्त किया।
यह थे मौजूद
कार्यक्रम में संयोजक मंडल के सदस्य डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा, डॉ. सुषमा, डॉ. जयप्रदा, डॉ. लीलावती, रईसी अफ़रोज़, प्रो. ऋषभदेव शर्मा भी उपस्थित थे।