कुछ खरी-खरी : पुलिस नहीं देती है ध्यान तो उनके होते हैं हौसले बुलंद, आम जनता को भुगतना पड़ता है दंड, उनके जाते ही फिर से फल वाले ठेले आ गए सड़कों पर
⚫ हेमंत भट्ट
अक्सर यही होता आया है कि फरियादी केवल फरियादी ही रह जाता है और उनके हौसले बुलंद होते रहते हैं, जो गलत काम को अंजाम देते रहते हैं। लोगों को परेशान करते रहते हैं। चाहे शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर हो या फिर हर मंगलवार को लगने वाले जनसुनवाई मेले में। कार्रवाई उसी पर मिलती है, जिसमें अधिकारी को वाह ! वाही मिले। उन पर तो जिम्मेदारों का आशीष रहता है, मगर आमजन जो शिकायत करता है, उसे केवल और केवल दंड मिलता है कि उसकी बात का समाधान नहीं कर सके जिम्मेदार। उन पर पहले से ही नकेल नहीं कसी जाती है। इसीलिए बड़े-बड़े घटनाक्रम घटित हो जाते हैं।…. ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर लोगों की मनमानी। कान फोड़ू शोरगुल। शांति की तलाश करते शहरवासी को कब मिलेगी चैन की नींद। …. उनके आने के पहले से पुलिस चाक-चौबंद थी। चांदनी चौक में ठेला गाड़ी पर फल सहित अन्य सामग्री बेचने वाले पीछे की ओर कर दिए गए। और महामहिम के जाते ही फिर अपना राज और सड़कों पर आ गए।
कोई माने या ना माने मगर यह बात सच है कि पुलिस जान कर भी अंजान बनी रहती है। नतीजतन विवाद की स्थिति निर्मित होती है। सांप्रदायिक तनाव पैदा हो जाता है। छोटी मोटी घटनाएं इसी तरह से होती रहती है जबकि पुलिस गश्त भी करती है। चिता फोर्स रहती है। डायल हंड्रेड भी तैनात रहती है। बावजूद इसके उनका कोई तब तक कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, जब तक बड़ा घटनाक्रम या हादसा ना हो जाए इतने में वरदहस्त में पलते रहते हैं वे।
ध्वनि प्रदूषण शोरगुल, पुलिस की चुप्पी
ध्वनि विस्तारक यंत्रों से लोग खासे परेशान हैं। खासकर 10 के बाद तक तेज आवाज में डीजे पर लोग थिरक रहे हैं मगर उनको रोकने में पुलिस प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। देख कर भी अंजान बन कर चले जाते हैं। जब डायल हंड्रेड पर शिकायत की जाती है तो संबंधित पूछता है कि गाने बज रहे हैं तो आपको दिक्कत क्या है रात को 1:00 बजे भी जब शोर शराबा होता रहे तो आमजन कैसे सो पाए। आवाज भी इतनी तेज कि घर के सारे खिड़की दरवाजे बंद कर दो। कपड़े ठूंस दो फिर भी आवाज कम नहीं होती। सो नहीं पाते। विद्यार्थी पढ़ नहीं पाते हैं। परीक्षा उनके सिर पर है। न दिन में सुकून है ना रात में चैन है। जिम्मेदारों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। बीते रविवार से बुधवार तक हर रात 1 बजे के बात तक कान फोडू तेज आवाज में गाने बजाते रहे। लोग थिरकते रहे। बुधवार की रात को 12:17 पर पुलिस सायरन बजाती हुई आई, फिर सायरन बजाती हुई चली गई लेकिन तेज आवाज को बंद कराने की हिमाकत नहीं की।
नहीं किया उन्होंने कोई रीकॉल भी
पुलिस अधीक्षक को भी फोन लगाया उन्होंने उसे उठाने की जहमत नहीं उठाई। नाही संबंधित व्यक्ति से अगले दिन उन्होंने फोन करके जानना चाहा कि आधी रात को फोन क्यों किया था? जबकि वे खुद ही कहते हैं कि जनता कभी भी फोन करे, हम उनकी सेवा में तत्पर है, लेकिन ऐसा कुछ देखने में नहीं आया। देशभक्ति जनसेवा बेमानी सा लगने लगा है। एसपी और कलेक्टर को व्हाट्सएप पर मैसेज भी किए। उस पर ध्यान नहीं दिया।
उनके लिए सब कुछ, आमजन के लिए क्या? चालानी कार्रवाई
रविवार को कर्नाटक के राज्यपाल का नगर आगमन क्या हुआ? चांदनी चौक क्षेत्र में ठेले से फल सहित अन्य सामग्री बेचने वाले बिल्कुल पीछे की तरफ हट गए। रास्ते छोड़ दिए। मगर वे अपने स्वविवेक से नहीं हटे। उन्हें पुलिस वालों ने हटाया। पुलिस वाले वहां पर मौजूद रहे। चांदनी चौक महावीर मार्ग से लेकर आयोजन स्थल तक गली गली के मुहाने पर पुलिस बल तैनात था। यातायात बिलकुल सुगम था। कई क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात थे। चौराहे पर मुस्तैदी के साथ खड़े थे।
यहां तक कि 12 बजे शहर सराय में बेंच पर बैठकर भोजन भी ग्रहण कर रहे थे। वह महामहिम की सेवा में जो लगे हुए थे, अब समझ में यह नहीं आता है कि पुलिस और प्रशासन केवल और केवल वीआईपी के लिए है या आम जनता के लिए। कहने को तो देशभक्ति जनसेवा उद्देश्य है लेकिन जनसेवा को नजरअंदाज किया जा रहा है। जनता परेशान होती रहती है। उनके लिए सब कुछ, आमजन के लिए क्या? चालानी कार्रवाई। बस नेता परेशान नहीं होने चाहिए। नेता की चाकरी हो गई तो इनाम पक्का। अधिकारी की गुड लिस्ट में शामिल।
फिर वैसा का वैसा ही
जब तक वह जब तक वह क्षेत्र में रहे तब तक स्थिति ठीक थी, लेकिन जैसे ही वह क्षेत्र से रवाना हुए पुनः ढाक के तीन पात वाली कहावत को चरितार्थ करते रहे। यातायात जाम करते रहे।