धर्म संस्कृति : बंधु बेलड़ी के शिष्य पं. श्री प्रसन्नचन्द्रसागर एवं श्री विरागचन्द्रसागर म.सा. को आचार्य पद प्रदान

⚫ अयोध्यापुरम तीर्थ सालगिरह एवं पदवी महोत्सव में मालवा से पहुंचे श्रद्धालु

हरमुद्दा के लिए नीलेश सोनी
अयोध्यापुरम, 14 फरवरी। बंधु बेलड़ी आचार्य श्री जिन-हेम हेमचंद्रसागरसूरिश्वर जी म.सा. के शिष्यरत्न पंन्यास श्री प्रसन्नचन्द्रसागर जी एवं पंन्यास श्री विरागचन्द्रसागर जी म.सा. को गुजरात के प्रसिद्ध अयोध्यापुरम तीर्थ में आचार्य पदवी प्रदान की गई। तीर्थ का 20 वां सालगिरह एवं पदवी महोत्सव उत्सव-उल्लास-उमंग के साथ हुआ ।  पांच दिनी उत्सव में मालवा अंचल सहित देश विदेश से आये हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।

संपूर्ण मालवा से समाजजन पहुंचे

तीर्थ ट्रस्टी इन्दरमल जैन, रतलाम ने बताया की आचार्य पदवी महोत्सव के अवसर पर पावन निश्रा प्रदाता आचार्य श्री जिन-हेम-लब्धिचंद्रसागरसूरिश्वर जी म.सा ने दोनों ही पंन्यासश्री को विधि विधान के साथ पदवी प्रदान की। इसके दो दिन पहले उन्हें उपाध्याय पदवी दी गई।समारोह में रतलाम, सैलाना,बाजना,जावरा, रावटी, मंदसौर, नीमच, उज्जैन, इंदौर सहित अन्य स्थानों के श्रीसंघों से भारी संख्या में समाजजन शामिल हुए।  महोत्सव की शुरुआत भव्य सामैया के साथ हुई। ढोल – नगाड़ों, हाथी, घोड़े, बैंड बाजे के साथ सामैया पदवी स्थल पर पहुंचकर महोत्सव में परिवर्तित हुआ। लगभग सात घंटे से अधिक समय तक चले महोत्सव में मंदसौर और इंदौर श्रीसंघों ने आचार्य श्री से आगामी चातुर्मास प्रदान करने की भावभरी विनती की। 

विचार व्यक्त करते हुए आचार्य श्री

तीर्थ पर 20 वी ध्वजा लहराई

इसके पूर्व तीर्थ की 20 वीं सालगिरह के प्रसंग पर ध्वजा चढाई गई। पांच दिनी उत्सव में पहली बार प्रतिमा प्राग्टयोत्सव, भव्याति भव्य रथयात्रा, ज्ञानवीरों के लिए नया अनुष्ठान “कृपा सूत्र”, आचार्य पद की महिमा को दर्शाता अनूठा उत्सव ‘सूरिमंत्र महिमा’ महोत्सव एवं बारह से अधिक ख्यातनाम संगीतकारों की एक मंच से अभिनव प्रस्तुति ‘जैन कन्सर्ट’ को सभी खूब सराहा। नवीन पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

मालवा में दस चातुर्मास किए

धर्म सभा में मौजूद श्रद्धालुजन

नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचन्द्रसागर जी म.सा. मालवा अंचल में विख्यात है। उन्होंने अपने 33 वर्ष के संयम पर्याय में दस चातुर्मास मालवा में किये है। जिनमे रतलाम,सैलाना,मंदसौर एवं इंदौर प्रमुख शामिल है। इन स्थानों पर उन्होंने तप,आराधना,व्याख्यान, युवा शिविर, प्रेरक प्रवचन से समाजजनों में नवऊर्जा का संचार किया है। मालवा की भूमि पर उन्होंने साहित्य सृजन का कार्य भी बखूबी किया है। जिनालय निर्माण एवं तीर्थोद्वार में  निष्णात शिल्प एवं कला मनीषी नूतन आचार्य श्री ने रतलाम के  करमचंद जी मंदिर, सगोदिया तीर्थ, बोरी (झाबुआ) सहित अन्य स्थानों पर मार्गदर्शन प्रदान किया है। दोनों ही नूतन आचार्य श्री को वर्ष 2018 में मालवा के मंदसौर में पन्यास पदवी प्रदान की गई थी, जिसके बाद अब अयोध्यापुरम तीर्थ में आचार्य पदवी दी गई।

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