कुछ खरी-खरी : बनना है भगवान से बड़ा तो भाजपा में आइए श्रीमान, भगवान का मंजूर है अपमान, मुख्यमंत्री को पूरा चाहिए सम्मान, नहीं दिखाई जन भावनाओं के प्रति हिम्मत
हेमंत भट्ट
⚫ भारतीय संस्कृति और भगवान के बल पर भाजपा देश, प्रदेश, शहर में सिरमौर रही। अब इसी भाजपा में भगवान से बड़े बनने वाले श्रीमान नजर आ रहे हैं। भाजपा वाले करेंगे तो भगवान का सह लेंगे पूरा-पूरा अपमान, लेकिन मुख्यमंत्री को दूसरी पार्टी के लोगों से चाहिए बदस्तूर सम्मान। जिस मुद्दे से देश भर में बवाल मचा, उस पर भाजपा से नैतिकता की उम्मीद करना तो सूरज से चांद की शीतलता चाहने के समान है।… आमजन को हिम्मत से आस बंधी थी लेकिन उनकी निष्ठा भगवान से ज्यादा पार्टी में नजर आई।… यहां तो हर दिन धुलेटी ही मनती है। क्योंकि धूल धूसरित शहर में है रतलाम का नाम, शुमार है।… बढ़ती जा रही है भाजपा में दादागिरी और दबंगई। आमजन हो भले ही परेशान चौराहे पर मनाएंगे जन्मदिन श्रीमान। ⚫
समय बताएगा मतदाता का मौन आक्रोश
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के अनन्य भक्त वीर हनुमान बजरंगबली का रतलाम में हुआ अपमान का मुद्दा देश प्रदेश में गरमाया, पुतला दहन भी हुआ हिंदू संगठन ने विरोध का बिगुल भी बजाया, राष्ट्रीय चैनल पर मुद्दा छाया, लेकिन जिम्मेदारों ने नैतिकता का निर्वहन नहीं किया। लगता है माफी मांगने से उनका कद छोटा हो जाता। उनके लिए भगवान नहीं पार्टी ही सर्वोपरि है। जब यही घमंड सर चढ़कर बोलता है तो सिहासन जरूर डोलता है। पहले भी पहले भी इसी घमंड के चलते मुंह से निकल गया था, कोई माई का लाल हरा नहीं सकता और हश्र सभी के सामने आया था। मतदाता भगवान का अपमान बिल्कुल सहन नहीं करेंगे। इसका जवाब जरूर दिया जाएगा। यह तो समय बताएगा कि मतदाता मौन में कितने आक्रोशित थे। हालांकि जनता की भावनाओं को समझने वाले जननेता हनुमान चालीसा के दौरान मौजूद रहे, लेकिन जननेता ने भी जन भावनाओं का तिरस्कार करते हुए पार्टी को ही सर्वोपरि माना। अभी भी उनमें पार्टी से लालसा है। जबकि यह मौका मील का पत्थर साबित हो सकता था। मगर क्या करें ? जन भावनाओं के आगे हिम्मत पस्त हो गई।
मुख्यमंत्री का सम्मान में अपशब्द, एक्शन का तुरंत रिएक्शन
मुख्यमंत्री के सम्मान में अपशब्द सरकार सहन नहीं करेगी। यह भी साबित कर दिया और बोलने वाले को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा हालांकि जमानत पर बाहर आ गए हैं लेकिन मुख्यमंत्री का अपमान शासन प्रशासन के आला अफसर सहन नहीं करते हैं और तत्काल कार्रवाई होती है लेकिन उनके लिए ही जो उनकी पार्टी में नहीं है गैर पार्टी वालों पर तत्काल एक्शन का रिएक्शन होता है। इसी हठधर्मिता के चलते पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। पार्टी में रहकर आप कुछ भी कर सकते हैं पार्टी से बाहर वाले कुछ नहीं यदि कुछ किया तो कार्रवाई की गाज जरूर गिरेगी और पार्टी वाले कुछ भी करेंगे तो सर पर वरद हस्त रहेगा ही।
फिर भी दागदारों को दिखानी अपनी स्वच्छ छवि आका मौला के सामने
भले ही मोदी बाबा कितना ही सुधारे लेकिन कार्यकर्ताओं की दबंगई और दादागिरी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भारतीय संस्कृति और संस्कार की दुहाई देने वाली पार्टी के जनप्रतिनिधि अधिकारियों को अपशब्द कहते हैं। रिकॉर्ड भी होते हैं, प्रकरण भी दर्ज होता है लेकिन गिरफ्तारी नहीं होती क्योंकि गिरफ्तार करने वाले धृतराष्ट्र जो बने हुए हैं। भाजपा के दबंगों के कारण ही कई बार तो एफआईआर भी दर्ज नहीं होती। क्योंकि वह पार्टी से जो जुड़े हुए हैं और उन्हें पार्टी से और बहुत कुछ हासिल भी करना है चाहे उनमें कितनी ही खामियां हो, कमियां हो लेकिन उन्हें तो पद चाहिए ही। उनकी छवि आका मौला के सामने स्वच्छ दिखानी जो है।
पूरे साल धुलेटी
भले ही शहर विधायक शहर की सड़कों के लिए करोड़ों रुपए मंजूर कर ले लेकिन आमजन तो पूरे साल धुलेटी ही मनानी पड़ती है। शहर में चारों और धूल धूसरित वातावरण ही है। चाहे दो पहिया वाहन हो या फिर चार पहिया वाहन उसके पीछे चलने वाले धूल में नहाने को मजबूर होते ही हैं। धूल में नहाना और धूल खाना तो दैनिक दिनचर्या बन गई है।
उनको शहर से नहीं कोई सरोकार
केवल मुझे देखना मेरे शहर को नहीं, इसी उद्देश्य और भावनाओं के साथ शहर का प्रथम नागरिक होने का तमगा हासिल करने वाले महापौर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनको शहर की जनता से कोई सरोकार नहीं है उन्हें तो बस अपना नाम चाहिए, शोहरत ही कमाना है। आवागमन बाधित कर चौराहों पर जन्मदिन मना कर साबित कर दिया कि जनता परेशान हो तो उनकी बला से। हम तो स्वच्छता सेवा दिवस के रूप में जन्मदिन मनाएंगे और कचरा उड़ाएंगे, फिर कुछ कचरा से समेटने की नौटंकी भी करेंगे और इसमें सहयोग करेंगे एम आई सी के सदस्य भी, जिनके जिम्मे हैं शहर की सफाई व्यवस्था। व्यापारियों का तो यही कहना था कि कचरा तो काफी किया लेकिन सफाई की हुई केवल रस्म अदायगी। चारों ओर तेज हवा में कचरा उड़ता रहा। काफी समय तक यातायात जाम होता रहा। यहां तक कि एंबुलेंस को निकलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। चाहे किसी का मरण दिन बन जाए, लेकिन जन्मदिन ऐसे ही मनेगा।