धर्म संस्कृति : सौराष्ट्र में श्री माँ बगलामुखी देवी प्राकट्य भूमि पर भव्य मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव, देश की विभिन्न क्षेत्रों की ख्यातनाम हस्तियां होगी शामिल

श्री रघुनाथ येमुल गुरूजी, आईपीएस अनंत ताकवले और युवराज भावनगर ने उठाया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का बीड़ा

⚫ वैशाख सुदी अष्टमी 28 अप्रैल को माँ बगलामुखी जयंती पर होगी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विधि-विधान के साथ

⚫ ग्राम भट्टबावड़ी में भट्ट परिवार द्वारा वर्षों से चल रही पूजा

नीलेश सोनी

जूनागढ़, 27 अप्रैल। सहस्रों वर्ष पूर्व सौराष्ट्र की पावन जूनागढ़ की तीर्थ-तपो भूमि पर श्री माँ बगलामुखी का प्राकट्य हुआ था, उसी पुण्य धरा पर अति प्राचीन मन्दिर के जीर्णोद्वार के लिए तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा उत्सव आयोजित है। वैशाख सुदी अष्टमी 28 अप्रैल को माँ बगलामुखी जयंती पर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विधिविधान के साथ होगी। यहां भव्य मन्दिर के साथ ही सेवा प्रकल्प के रूप में यज्ञशाला, गौशाला, अन्नक्षेत्र, अस्पताल और ध्यान केंद्र का निर्माण के लिए भी पूजन किया जाएगा। महोत्सव में देश की विभिन्न क्षेत्रों की ख्यातनाम हस्तियां शामिल होगी।

विश्वस्तर पर बनेगी पहचान

माँ बगलामुखी का प्राकट्य धरा पर अतिप्राचीन मन्दिर के जीर्णोद्वार एवं विभिन्न सेवा प्रकल्प निर्माण का बीड़ा उठाने वाले नीति सम्प्रदाय प्रचारक श्री रघुनाथ येमुल गुरूजी ने सम्पूर्ण परिकल्पना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस पवित्र स्थान का वर्तमान में माँ बगलामुखी उपासक श्रीमती गायत्री देवी एवं शांतिपीठ बगलामुखी उपासक गायत्री देवी चेरीटेबल ट्र्स्ट द्वारा संचालन किया जाता है। उन्ही के सहयोग से हम इस दिव्य स्थान को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने के लिए हम संकल्पित है। रघुनाथ येमुल गुरुजी विगत 25 वर्षों से समाज सेवा के विभिन्न सेवा प्रकल्पों से जुड़े है। अब उन्होंने मां बगलामुखी के प्राकट्य स्थल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का बीड़ा उठाया है।

महोत्सव अंतर्गत श्री गायत्री देवी एवं रघुनाथ येमुल गुरुजी पूजन करते हुए।

राजस्थान से पहुंची प्रतिमाएं

गुजरात के सौराष्ट्र काठियावाड़ क्षेत्र में जूनागढ़ जिले के विसवदर तालुका के ग्राम भट्ट बावड़ी में स्थानीय भट्ट परिवार द्वारा वर्षों से बाल स्वरूप में माँ बगलामुखी माता की पूजा की जा रही है। अब इसी स्थान पर माताजी का भव्य मन्दिर का निर्माण होने जा रहा है। जिसके लिए राजस्थान से माँ बगलामुखी, माँ त्रिपुरा सुंदरी, श्री विष्णु जी, श्री गणेश जी, श्रीयंत्र आदि देवताओं की प्रतिमा निर्माण करवाई गई है। तीन दिनी महोत्सव में शोभायात्रा, देवता पूजन प्रतिष्ठा हवन, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा एवं महाप्रसादी का कार्यक्रम रखा गया है।

साधना के साथ सेवा प्रकल्प भी

श्री येमुल गुरूजी ने बताया कि माँ बगलामुखी मन्दिर के साथ ही यंहा यज्ञशाला, गौशाला, अन्नक्षेत्र , अस्पताल और ध्यान केंद्र का निर्माण भी जल्द होगा । निकट भविष्य में इस तीर्थ क्षेत्र में साधना के साथ ही सेवा प्रकल्प भी मानव सेवा के लिए समर्पित किये जायेंगे। जिसका लाभ इस तीर्थ क्षेत्र में आने वाले हजारों दर्शनार्थियों के साथ क्षेत्रीय रहवासियों को भी मिलेगा। अंतराष्ट्रीय स्तर पर श्री माँ बगलामुखी का प्राकट्य स्थल विश्व में शांति और सदभावना के साथ लोकसेवा की दिशा में अपनी विशिष्ट पहचान कायम करेगा।

ख्याति प्राप्त हस्तियों को आमन्त्रण

आपने बताया तीन दिवसीय महोत्सव अतिथि के रूप में देश की विभिन्न क्षेत्रों की ख्याति प्राप्त हस्तियों को आमंत्रित किया गया है, जिनमे से भावनगर के युवराज श्रीमंत जयवीरराजसिंह गोहिल, गणेश हाऊसिंग कार्पो.लि.अहमदाबाद के चेयरमेन दीपक पटेल, महंत पीर श्री योगी सोमनाथ बापू, गिरनार एवं चेयरमेन NAFCARD डॉलर भाई कोटेच्च्या के आगमन की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।

माँ बगलामुखी माता की उत्पत्ति का इतिहास

पुराणों के अनुसार सतयुग में भयंकर तूफान आया और संसार का विनाश होने लगा। भगवान विष्णु यह दृश्य देखकर चिंतित हो गए। तब भगवान शिव का स्मरण करने पर उन्होंने भगवान विष्णु से कहा इस विनाशकारी तूफान को रोकने के लिए देवी शक्ति को प्रसन्न करें । उस समय गुजरात में सौराष्ट्र के काठियावाड़ क्षेत्र में जूनागढ़ जिले के विसावदर तालुका के भट्ट बावडी गाँव की तलहटी में भगवान विष्णु हरिद्रा सरोवर, जिसे अब सोनायादी नदी के नाम से जाना जाता है। इस तलहटी में भगवान विष्णु ने तपस्या की। यहां विद्याश्रीयंत्र और माता त्रिपुरसुंदरी की शक्ति से प्रसन्न हुई। हरिद्रा सरोवर सोनारदी नदी में जलक्रीड़ा करते समय पीताम्बर देवी के हृदय से बगलामुखी देवी के प्रकट होने पर तूफान थम गया। इसी समय वैशाख सुद अष्टमी पर बगलामुखी माताजी प्रकट हुईं। तब से इस दिन को बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है। बगलामुखी देवी को पीला रंग बहुत प्रिय है, यह देवी दस विद्याओं में आठवें स्थान पर हैं। मध्यप्रदेश में नलखेड़ा और दतिया एवं हिमाचल में कांगड़ा में माँ के मन्दिर प्रसिद्ध है। माँ क प्रकटीकरण स्थल पर पहली बार भव्य मन्दिर का निर्माण होने जा रहा है ।

महाशिवरात्रि से हुआ श्रीगणेश

ग्राम भट्टबावड़ी में स्थानीय भट्ट परिवार द्वारा वर्षो से चल रही पूजा के दौरान एक नवरात्रि में परिवार की प्रमुख
गायत्री बहन को स्वप्न आया कि मेरे भक्त के हाथों इस शुभ स्थान का नवनिर्माण होगा। नवरात्रि के नौवें दिन मां बगलामुखी देवी की कृपा और आशीर्वाद से श्री रघुनाथ येमुल गुरुजी ने मां बगलामुखी देवी की सन्मुख गायत्री बहन के परिवार के साथ मंदिर निर्माण और मूर्ति स्थापित करने का शुभ संकल्प लिया। उन्होंने गांव के लोगों और भक्तों के सहयोग से महाशिवरात्रि के दिन डीआईजी अनंत ताकवाले के मार्गदर्शन में शांतिपीठ का काम शुरू किया गया। अब माँ बगलामुखी देवी की जयंती पर प्राण प्रतिष्ठा उत्सव आयोजित होने का शुभ अवसर आया है।

शांतिपीठ अंतराष्ट्रीय स्तर पर होगा विख्यात

रघुनाथ येमुल गुरूजी

जूनागढ़ में श्री माँ बगलामुखी की प्राकट्य भूमि पर प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह शांतिपीठ अंतराष्ट्रीय स्तर पर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बने। हमारा यही सद्प्रयास है। मन्दिर के साथ ही सेवा प्रकल्प के रूप में यज्ञशाला, गौशाला, अन्नक्षेत्र, अस्पताल और ध्यान केंद्र का निर्माण भी इस भव्य स्वरूप प्रदान करेगा।

रघुनाथ येमुल गुरूजी, प्रचारक नीति सम्प्रदाय

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