व्यंग्य : ‘भाव’ भरा आमंत्रण
⚫ तू आएगी न, तो फिर बहुत मज़ा आएगा। इधर के बारे में तूने पूछा तो अब क्या बताऊं? सब मज़े में तो हैं, लेकिन ये टमाटर हैं न इन्होंने परेशान कर रखा है। आज तेरे जीजू बता रहे थे कि अब पहले जैसा नहीं रहा। ज़माना कितना बदल गया है न! पर तू तो आ जा, सखि । अपन मस्ती में घूमेंगे। ख़ूब मज़े करेंगे। इस ‘भाव’ भरे आमंत्रण को पा कर वह सोच रही थी, जाए या नहीं !⚫
⚫ आशीष दशोत्तर
तू आ रही है यह जानकर मुझे इत्ती खुशी हुई कि बता नहीं सकती। जैसे ही तेरा संदेसा मिला, मुझे तो वही पुरानी याद आ गई, जब तू यहां एक माह के लिए आई थी। कित्ते मजे किए थे न अपन ने। घूमे- फिरे, देव दर्शन किए, पार्टी भी की, मेले में भी गए, ख़ूब मौज मस्ती की थी। अब किसी के पास आने-जाने का समय ही कहां है। आएंगे तो भी एक -दो दिन के लिए।
तू आएगी न, तो फिर बहुत मज़ा आएगा। इधर के बारे में तूने पूछा तो अब क्या बताऊं? सब मज़े में तो हैं, लेकिन ये टमाटर हैं न इन्होंने परेशान कर रखा है। इधर तो सौ के ऊपर चले गए हैं। हरी सब्जी की तो पूछ ही मत । एक बार सब्जी लेने जाओ तो पांच सौ का नोट ख़त्म हो जाता है। सब्ज़ी वाला धनिया तक मुफ़्त में नहीं देता। सब्ज़ियों के इतने भाव बढ़ गए हैं कि आजकल हमने एक टाइम तो सब्ज़ी बनाना ही बंद कर दिया है। एक समय दाल बनाते हैं और दूसरे समय सब्ज़ी।
दाल भी कहां सस्ती है! बहुत महंगी हो गई है। इसलिए कभी-कभी दाल की जगह कढ़ी बना लेते हैं । बेसन के भी तो हाल ऐसे ही हैं। दाल महंगी तो बेसन तो महंगा होगा ही। लेकिन तू आएगी न, तो अपन भजिए ज़रूर बनाएंगे। पता है तुझे ? पिछली बार भजिए और दहीबड़े अपन ने कितने खाए थे! गैस सिलेंडर भी अचानक ख़त्म हो गया था, तो पास से मांग कर लाए थे । अब तो गैस सिलेंडर के भाव भी कितना हो गए हैं न। हज़ार के नीचे तो बात ही मत करो।
तुझे याद है वो जो जगह जहां अपन घूमने गए थे? देव दर्शन के लिए ! वह बस कित्ती बड़ी थी। सभी मंदिरों के दर्शन कर लिए थे उसमें बैठ कर। अब तो तू पूछ ही मत । उस बस के टिकट ही 300 रूपए से ऊपर हो गए हैं ।दर्शन के भी रेट तय हो गए हैं । लेकिन तू आ जा । अपन दर्शन करने ज़रूर चलेंगे ।
तेरे जीजू बता रहे थे कि अपन पिछली बार जिस गार्डन में गए थे। उस गार्डन में अब एंट्री फीस शुरू कर दी है। पचास रूपए के बग़ैर आप अंदर नहीं जा सकते । अब ज़रा सोचो चार-पांच लोग एक साथ गए तो ढाई-तीन सौ तो अंदर जाने के ही हो जाएं। फिर दूसरा खर्चा अलग। तेरे जीजू ही बता रहे थे कि जहां अपन ने पिक्चर देखी थी, वहां अब मल्टीप्लेक्स बन गया है। तीन सौ का एक टिकट। तेरे साथ जो पिक्चर देखी थी, उसके बाद से वहां जाने की हिम्मत ही नहीं हुई। जाएं भी क्या? आजकल पेट्रोल भी बहुत महंगा हो गया है । दिन भर में 500 से कम का पेट्रोल नहीं जलता । ऐसे में कोई आ जाए तो और आना-जाना होता है । दूरियां भी इतनी हो गई है कि पैदल भी नहीं जा सकते।
पता है न तुझे, तेरी वापसी का रिजर्वेशन टिकट लेने के लिए तेरे जीजू को तीन घंटे लाइन में खड़े रहना पड़ा था। आज तेरे जीजू बता रहे थे कि अब पहले जैसा नहीं रहा। अब तो व्यक्ति यात्रा शुरू करने से पहले ही आने – जाने का ऑनलाइन रिजर्वेशन करवा लेता है। ज़माना कितना बदल गया है न! पर तू तो आ जा, सखि । अपन मस्ती में घूमेंगे। ख़ूब मज़े करेंगे।
इस ‘भाव’ भरे आमंत्रण को पा कर वह सोच रही थी, जाए या नहीं !
⚫ 12/2, कोमल नगर, बरवड रोड
रतलाम -457001