धर्म संस्कृति : दिव्य विभूति जिन्होंने सारे विश्व को प्रेम का पाठ पढ़ाया वे हैं दादी प्रकाशमणि
⚫ सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा
⚫ दादी प्रकाशमणि जी की 16 वीं पुण्य स्मृति दिवस मनाया विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में
⚫ मौजूद लोगों ने किए श्रद्धा सुमन अर्पित
हरमुद्दा
रतलाम, 24 अगस्त। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के डोंगरे नगर स्थित दिव्य दर्शन भवन सेवा केंद्र पर ब्रह्मा कुमारीज की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि जी के 16 वीं पुण्य स्मृति दिवस को विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया गया।
सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि एक महान हस्ती एक दिव्य विभूति जिन्होंने सारे विश्व को प्रेम का पाठ पढ़ाया और अनेकों आत्माओं को ईश्वरीय अनुभूति कराई। ऐसी विलक्षण व्यक्तित्व की धनी दादी प्रकाशमणि।
हमने फॉलोअर नहीं लीडर्स किए हैं तैयार
बीके सविता दीदी ने दादी की विशेषताओं से सभी को अवगत कराते हुए बताया कि दादी जी के जीवन का मौलिक सिद्धांत रहा, नेकी करो और भूल जाओ। वह निंदा ग्लानि करने वालों को सहर्ष गले लगा लेती थी। अपकारी पर भी उनका सतत उपकार बरसा। इतना ही नहीं अपराध बोध ग्रस्त व्यक्ति को दादी ने मन परिवर्तन कर महान जीवन भी प्रदान किया। दादी जी अत्यंत क्षमाशील थी। वह सदा कहते थे हमने अपने फॉलोअर्स तैयार नहीं किए बल्कि हमारे तो सभी भाई-बहन हैं, जो एक एक स्वयं में लीडर्स हैं। गुणमूर्त दादी मां का ऐसा कुशल प्रशासन जो सभी के मन मस्तिष्क पर ही नहीं अपितु सभी के हृदय पर भी था। कभी भी उनके नेतृत्व पर किसी को तनिक भी संदेह नहीं हुआ। ना ही असुरक्षा की लेश मात्र छाया पड़ी।
मुख्य प्रशासनिक का होने के बावजूद नहीं छू पाया हम
बीके सविता दीदी ने कहा कि दादी जी में रमणिकता व गंभीरता का सदा समान संतुलन रहा। सभी की बातों का और विशेषताओं का वह बड़ा आदर करती थी। यही मुख्य वजह थी कि दादी जी का भी सभी अत्यंत सम्मान करते थे। एक विश्व व्यापी आध्यात्मिक संस्था की मुख्य प्रशासिका होते भी अहम उन्हें किसी भी प्रकार से छू नहीं पाया था। दादी जी के सफल एवं कुशल नेतृत्व में सभी ने जीवन के शाश्वत सुखों का आभास एवं अनुभव किया। अंत में सभी भाई बहनों ने दादी जी को श्रद्धासुमन अर्पित किए ।