धर्म संस्कृति : तुलसी का साहित्य जहां भक्ति-भावना जागृत करता है वही सामाजिक चेतना का प्रसार भी
⚫ तुलसी किंकर मनु दुबे ने कहा
⚫ ब्राह्मण कल्याण सभा ने तुलसीदास की जन्मस्थली पर मनाई जयंती
⚫ बाबा तुलसीदास ने घर घर पहुंचाया राम की भक्ति को : महेरे
⚫ प्रतिमा स्थल के आसपास की गई विद्युत सज्जा
हरमुद्दा के लिए प्रशांत चौधरी
सोरों, 24 अगस्त। तुलसीदास भक्तिकाल की राम काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि है। तुलसीदास की सामाजिक और लोकवादी दृष्टि मध्यकाल के अन्य कवियों से अधिक व्यापक और गहरी है। तुलसी अपने काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक स्थिति को अनदेखा नहीं करते हैं, वह उस पर भी अपनी कलम चलाते हैं। जहाँ तुलसी का साहित्य भक्ति-भावना जागृत करता है, वही सामाजिक चेतना का भी प्रसार करता है।
यह विचार तुलसी किंकर मनु दुबे ने व्यक्त किए। श्री दुबे ब्राह्मण कल्याण सभा द्वारा आयोजित तुलसी जयंती महोत्सव में संबोधित कर रहे थे। गंगा घाट पर प्रतिमा स्थल के आसपास आकर्षक की गई। नगर पालिका अध्यक्ष रामेश्वर दयाल महेरे ने कहा तुलसी ने रामचरितमानस के ज़रिए भगवान राम की भक्ति को घर-घर तक पहुँचाया है।
सर्वाधिक पढ़ा जाता है हनुमान चालीसा
पंडित दिलीप चौधरी ने कहा कि तुलसीदास द्वारा लिखा गया महाकाव्य रामचरितमानस अवधी भाषा में संस्कृत रामायण का पुनर्लेखन है। तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की भी रचना की थी, जो सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली चालीसा है।
श्रीराम भक्ति के लिए प्रसिद्ध है तुलसीदास
गंगा सभा अध्यक्ष सुनील तिवारी ने कहा तुलसीदास भगवान राम के प्रति अपनी महान भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं।बाबा तुलसीदास जी की भक्ति अनुकरणीय है। प्राज्ञेश द्विवेदी ने कहा रामचरितमानस तुलसीदास की सबसे प्रमुख और लोकप्रिय कृति है।
प्रारंभ में किया माल्यार्पण कर दी प्रज्वलित
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों के साथ मौजूद सभी ने तुलसीदास जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी प्रज्वलित किया कार्यक्रम के अंत में आरती कर प्रसाद का वितरण किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में सौरभ उपाध्याय, दुर्गाशंकर तिवारी, राधेश्याम फर्सेवार, कन्हैयालाल त्रिवेदी, अतुल निर्भय, पण्डित नरेश बरवारिया, उमेश पाठक सहित अन्य जन मौजूद थे।