वरिष्ठ वैज्ञानिक एन वलारमथी का निधन, चंद्रयान को रवाना करने के लिए काउंटडाउन में दी थी वलारमथी ने ही आवाज
⚫ श्रीहरिकोटा से इसरो के भविष्य के मिशनों की उलटी गिनती के लिए वलारमथी मैडम की आवाज अब सुनाई नहीं देगी
⚫ देश के पहले स्वदेशी रडार इमेजिंग सेटेलाइट रिसैट की परियोजना निदेशक थीं दिवंगत वैज्ञानिक
हरमुद्दा
सोमवार, 4 सितंबर। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की वरिष्ठ वैज्ञानिक एन वलारमथी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। चेन्नई में अपने जीवन की आखिरी सांस ली। उन्होंने भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में अहम भूमिका निभाई थी।
चंद्रयान को रवाना करने के लिए काउंटडाउन में वलारमथी ने ही आवाज दी थी। वह देश के पहले स्वदेशी रडार इमेजिंग सेटेलाइट (रिसैट) की परियोजना निदेशक थीं। उनके निधन पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ व अन्य वैज्ञानिकों और सहायक स्टाफ ने दुख जताया है।
अब नहीं सुनाई देगी वलारमथी मैडम की आवाज
पूर्व वैज्ञानिक वेंकटकृष्ण ने ‘एक्स’ पर की एक पोस्ट में वलारमथी के निधन की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए बेहद दुख का क्षण है। अब हमारे बीच वलारमथी मैडम नहीं रहीं। उन्होंने कहा कि श्रीहरिकोटा से इसरो के आगामी मिशनों में अब वलारमथी मैडम की आवाज सुनाई नहीं देगी। मिशन चंद्रयान-3 उनका अंतिम काउंटडाउन था। उनके निधन से हम सभी लोगों गहरा दुःख हुआ है।
वलारमथी ने 30 जुलाई को की थी आखिरी घोषणा
वलारमथी तमिलनाडु के अरियालुर की रहने वाली थीं। उन्होंने इसरो वैज्ञानिक के रूप में आखिरी घोषणा 30 जुलाई को की थी, जब पीएसएलवी-सी56 रॉकेट एक वाणिज्यिक मिशन के तहत सिंगापुर के सात उपग्रहों को लेकर रवाना हुआ था। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। इसके काउन्टडाउन की आवाज भी वरिष्ठ वैज्ञानिक वलारमथी की थी।
चंद्रयान-3 मिशन में खास सदस्य थी वलारमथी
चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी सतह पर उतरा था। इस सफलता के साथ ही भारत दुनिया का चौथा देश बन गया, जिसने चांद पर अपने मिशन को सफल बनाया। वहीं भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग कराई है। निधन पर ISRO के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर पीवी वेंकट कृष्ण ने दुख जताया है।