सामाजिक सरोकार : विचारों को सशक्त बनाने के लिए जीवन में अध्यात्म व राजयोग जरूरी, समाज में मूल्य निष्ठ सकारात्मक पत्रकारिता की आवश्यकता
⚫ भाजपा अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और सांसद डॉ. भोला सिंह ने
⚫ पांच दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में देशभर से पहुंचे 1500 मीडिया कर्मी
⚫ पत्रकारिता में मूल्य होंगे तो समाज भी बनेगा मूल्यवान : प्रो. द्विवेदी
⚫ जब मीडियाकर्मी सशक्त तो समाज सशक्त : डॉ. मानसिंह परमार
⚫ राजयोगी बीके निरवैर भाई ने मीडिया कर्मियों से अच्छाई को बढ़ावा देने का किया आह्वान
⚫राष्ट्रीय मीडिया कांफ्रेंस का समापन 12 सितंबर को
हरमुद्दा
आबू रोड, 9 सितंबर। यहां पर शांति की जो अनुभूति होती है, वह बाहर की दुनिया में नहीं। हम जैसा सोचते हैं, विचार करते हैं, वैसे बनते जाते हैं। यदि हमारे विचारों में शांति है तो हम वैसा ही बोलते हैं। समाज को आध्यात्मिक ज्ञान की बहुत आवश्यकता है। अपने विचारों को सकारात्मक और सशक्त बनाने के लिए जीवन में अध्यात्म और राजयोग अपनाना बहुत जरूरी है।
यह विचार उप्र के बुलंदशहर से आए भाजपा अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और सांसद डॉ. भोला सिंह ने व्यक्त किए। डॉ. सिंह “वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए सशक्त मीडिया” विषय पर शनिवार सुबह हुए आयोजन फोटो मुख्य वक्ता मौजूद थे। दीप प्रज्वलन के साथ पहले सत्र की शुरुआत हुई। उल्लेखनीय की ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के शांतिवन परिसर में पांच दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया कांफ्रेंस का शुभारंभ शुक्रवार की शाम को हुआ।
देशभर से शामिल हुए 1500 मीडिया कर्मी
राष्ट्रीय मीडिया कांफ्रेंस में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया, वेब, रेडियो से जुड़े विभिन्न समाचार पत्रों, टीवी चैनल के संपादक, ब्यूरो चीफ, संवाददाता, रिपोर्टर 1500 शामिल हुए हैं। “वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए सशक्त मीडिया” विषय पर में सुबह और शाम दो सत्रों में वक्तागण विचार मंथन-चिंतन कर रहे हैं। 5 दिनी कॉन्फ्रेंस का समापन 12 सितंबर को होगा। राष्ट्रीय समन्वयक बीके शांतनु भाई ने स्वागत भाषण दिया
पत्रकारिता में मूल्य होंगे तो समाज भी बनेगा मूल्यवान
सारी दुनिया में हिंदुस्तान को यदि आदर्श रूप में देखा जाता है तो उसका कारण है हमारी संस्कृति और मूल्य। आज पत्रकारिता में सकारात्मक और मूल्य निष्ठ पत्रकारिता की आवश्यकता है। पत्रकारिता में मूल्य होंगे तो समाज भी मूल्यवान बनेगा। जब हम नैतिक बनेंगे तो संस्कृति और मूल्यों पर खड़े रहेंगे। मीडिया की शिक्षा आत्मनिर्भरता की शिक्षा है। मीडियाकर्मी कभी सेवानिवृत्त नहीं होते क्योंकि वह विचार की यात्रा पर होते हैं। हम सर्व भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामय को लेकर चलने वाले हैं। ब्रह्माकुमारीज़ में मनुष्य बनने की यात्रा पर ले जाया जाता है। आज सभी को राजयोग अपनाने की जरूरत है।
⚫ प्रो. संजय द्विवेदी, पूर्व निदेशक, आईआईएमसी नई दिल्ली
जब मीडियाकर्मी सशक्त तो समाज सशक्त
भारतीय संस्कृति बहुत समृद्ध रही है। हम वसुधैव कुटुम्बकम् की सोच और चिंतन वाले हैं। एक धरा, एक विश्व और एक परिवार का नारा तभी साकार होगा, जब हम शांति की ओर बढ़ेंगे। आज विश्व में शांति पत्रकारिता की जरूरत है। कुछ समाचार पत्र सप्ताह में एक दिन सिर्फ सकारात्मक खबरें ही छापते हैं, यह बदलाव आज समाज में आने लगे हैं। ऐसे बदलावों के लिए ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का बड़ा योगदान है। जब मीडियाकर्मी सशक्त होंगे तो समाज सशक्त होगा। आज जो पत्रकारिता का स्वरूप है, उस पर चिंतन करने की जरूरत है। हमारी पत्रकारिता लोक कल्याण, राष्ट्रीय एकता और अखंडता से ओतप्रोत हो।
⚫ प्रो. डॉ. मानसिंह परमार, पूर्व कुलपति, कुशाभाऊ ठाकरे जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी, रायपुर
मीडिया कर्मियों से अच्छाई को बढ़ावा देने का आह्वान
मेरा मीडिया के भाई-बहनों से अनुरोध है कि विश्व को अपनी कलम से, रिपोर्टिंग से अच्छाई को बढ़ावा दें। परमात्मा ने हम सबको इस धरा पर अच्छा किरदार निभाने के लिए भेजा है। इसलिए आप सभी आपके पास जो पावर है, उसका उपयोग समाज कल्याण, विश्व शांति के लिए करें।
⚫ राजयोगी बीके निरवैर भाई, महासचिव, ब्रह्मा कुमारीज, आबू रोड
यहां पढ़ाया जाता है आत्मा का पाठ
ब्रह्माकुमारीज़ में एक गुरुकुल शिक्षा के रूप में शिक्षा दी जाती है। यहां के ज्ञान से मैंने पहली बार पाठ सीखा कि हम सभी आत्माएं हैं। इसके बाद मेरी सोच बदल गई। संस्था यही संदेश पूरे विश्व में देने के लिए समर्पित है कि हम सभी एक चैतन्य आत्मा हैं और परमपिता परमात्मा की संतान हैं। सर्व आत्माओं के पिता, परमपिता, परमेश्वर शिव ही हैं, जिन्हें सभी धर्मों में किसी न किसी रूप में माना जाता है। ईश्वर एक है। राजयोग मेडिटेशन यहां की मुख्य शिक्षा है।
⚫ राजयोगी बीके करुणा भाई, मीडिया निदेशक
मेडिटेशन की कराई गहन अनुभूति
गुजरात वलसाड से आईं बीके रंजन बहन ने राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति कराते हुए कहा कि मैं आत्मा सर्व शक्तिमान की संतान… परम पवित्र, शांत स्वरूप आत्मा हूं। परमात्मा की छत्रछाया में प्रेम, शक्ति, आनंद का अनुभव कराया।
आपस में रखें भ्रातत्व की भावना
संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी डॉ. निर्मला दीदी ने कहा कि हम सभी आत्मिक रूप से भाई-भाई हैं। सभी एक ईश्वर की संतान हैं। आज हम सभी सुख-शांति चाहते हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम आपस में भ्रातत्व की भावना रखें।मीडिया विंग के उपाध्यक्ष बीके आतमप्रकाश भाई, राष्ट्रीय समन्वयक बीके सुशांत भाई, पीआरओ बीके कोमल भाई, राष्ट्रीय समन्वयक बीके सरला बहन ने भी विचार व्यक्त किए।संचालन जयपुर से आईं जोनल को-ऑर्डिनेटर बीके चंद्रकला ने किया।