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निर्वाचन विशेष : ईवीएम से निर्वाचन हुआ सुरक्षित, मितव्ययी, पारदर्शी और विश्वसनीय

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डॉ. शालिनी श्रीवास्तव

अधिक जनसंख्या वाले लोकतांत्रिक देशों में निर्वाचन सम्पन्न कराया जाना अपने बहुत बड़ी चुनौती है। मतपत्र वाली पांरपरिक रीति से मतदान का स्थान अब ईवीएम आप में ने ले लिया है और निर्वाचन प्रक्रिया में लगने वाले अत्यधिक मानव श्रम और समय की बचत की है। मशीनों के आधुनिक युग में निर्वाचन सम्पन्न कराने में ईवीएम ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। ईवीएम की सबसे बडी विशेषता यह है कि इससे ना केवल मानवीय त्रुटियों की संभावनाए समाप्त हो जाती है बल्कि मतगणना में भी बहुत ही कम समय लगता है।

मिलान करना हो जाता है आसान

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन दो यूनिट से तैयार होती है। कन्ट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट कन्ट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है और बैलेट यूनिट वीवीपैट (Voter Verifiable Paper Audit Trail) के साथ मतदाताओं द्वारा मत डालने के लिए वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर रखा जाता है। बैलेट यूनिट पर अभ्यर्थी के नाम और प्रतीक चिह्नों की एक सूची उपलब्ध होती है, जिसके माध्यम से मतदाता अपना वोट कास्ट करते हैं। वीवीपैट से मतदाताओं के समक्ष यह सत्यापन हो पाता है कि उन्होने अपनी पसंद के जिस उम्मीदवार को वोट दिया है वह उनकी इच्छा के अनुरूप पड़ा है या नही? वीवीपैट के माध्यम से 7 सेकेण्ड के लिए पारदर्शी खिड़की में डाले गए वोट के संबंध में छपी हुई पर्ची का डिस्पले होता है जो बाद में ड्रापबॉक्स में एकत्रित हो जाती है और कुल पड़े मतों की संख्या से उनका मिलान करना संभव हो पाता है।

एक्सस्टर्नल डिवाईस से कनेक्ट नहीं होती ईवीएम

दरअसल सुरक्षित, मुक्त और पारदर्शी तरीके से चुनाव सम्पन्न कराने में ईवीएम की महत्वपूर्ण भूमिका है। ईवीएम वन टाईम प्रोग्रामिंग चीप से संचालित होती है जो किसी ओर एक्सस्टर्नल डिवाईस से कनेक्ट नहीं हो सकती और ना ही यह इंटरनेट, वाईफाई. यूएसबी और ब्लूटूथ या किसी अन्य रेडियो फ्रीक्वेंसी से कनेक्ट हो सकती है। इसके गिरने से टूटने का भी भय नहीं है। यही कारण है कि यह अत्यधिक विश्वसनीय है और सहज रूप से निर्वाचन सम्पन्न कराने में महत्वपूर्ण है।

मतदान के पहले कई चरणों से गुजरती है ईवीएम

किसी भी मतदान केन्द्र पर पहुँचने से पूर्व ईवीएम अनेक स्तरों पर विभिन्न प्रकार की चैकिंग, रेंडमाईजेशन कमीशनिंग आदि चरणों से गुजरती है। सर्वप्रथम निर्माता कंपनियों के अधिकृत इंजीनियरों द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में जिला निर्वाचन अधिकारी के नियंत्रण और उप जिला निर्वाचन अधिकारी की निगरानी में मशीनों की फर्स्ट लेवल चैकिंग जिला स्तर पर की जाती है और इसमें सही पाई गई मशीनों को अलग से स्ट्रॉंग रूम में डबल लॉक में रखा जाता है। फर्स्ट लेवल रेंडमाईजेशन जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा कराया जाकर मशीनों को कम्प्यूटराईज्ड प्रणाली से विधानसभावार आवंटित किया जाता है और इसके बाद द्वितीय रेंडमाईजेशन विधानसभा स्तर पर रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा संबंधित अभ्यर्थियों की उपस्थिति में किया जाता है। सेकेण्ड रेंडमाईजेशन के उपरांत मशीनों की कमीशनिंग की जाकर उन्हें मतदान दिवस के लिए तैयार किया जाता है।

कैमरे की निगरानी में पारदर्शिता के साथ होती है सभी प्रक्रियाएं

यह समस्त प्रक्रिया कैमरे की निगरानी में पारदर्शिता के साथ की जाती है तथा भण्डारण के वेयर हाउस में भी सीसीटीवी कैमरा और पर्याप्त सुरक्षा बल का इंतजाम होता है। वेयर हाउस खोलने से पहले हमेशा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को आहूत कर उनके समक्ष प्रक्रिया सम्पन्न कराए जाने का प्रोटोकॉल निभाया जाता है। मतदान दिवस पर भी मतदान आरंभ करने से पहले अभ्यर्थियों की उपस्थिति में मॉक पोल कराया जाता है तथा मतदान के उपरांत भी मशीने सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में डबल लॉक में रखी जाती है। प्रशिक्षण और जन जागरूकता की मशीने मतदान में प्रयुक्त होने वाली मशीनों से हमेशा अलग रखी जाती है और अलग-अलग उपयोग की मशीनों के अलग-अलग वेयर हाउस बनाए जाते है।

वन लाईन फैक्टस

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), बैंगलोर तथा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (ECIL), हैदराबाद के सहयोग से निर्वाचन आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति द्वारा ईवीएम को डिजाईन किया गया है और ईवीएम का निर्माण इन दोनो उपक्रमों के द्वारा ही किया जाता है।

⚫ ईवीएम का पहली बार उपयोग 1982 में केरल के पारूर विधानसभा क्षेत्र में किया गया था और वीवीपैट युक्त ईवीएम का पहली बार उपयोग नागालैण्ड के नोकसेन (अजजा) विधानसभा क्षेत्र में उप निर्वाचन के लिए किया गया था।

⚫ भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उपयोग की जा रही ईवीएम में एक बार में अधिकतम 2000 वोट डाले जा सकते है।

⚫ वर्ष 2013 के पश्चात् एम-3 प्रकार के ईवीएम से चौबीस बैलेटिंग इकाईयों को जोडकर नोटा सहित अधिकतम 384 अभ्यर्थीयों का निर्वाचन कराया जा सकता है।

⚫ जिन क्षेत्रों में बिजली नही है वहा भी ईवीएम का उपयोग किया जा सकता है। ईवीएम के लिए बिजली की आवश्यकता नही होती है वह साधारण बैटरी से संचालित है।

⚫ आयोग द्वारा निर्वाचन से पूर्व स्वीप एक्टिविटी के तहत प्रचार-प्रसार वाहन तथा ईवीएम डेमोंस्ट्रेशन सेंटर (EDC) स्थापित कर इन मशीनों के संबंध में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते है। निर्वाचन की घोषणा के तत्काल बाद ईवीएम का प्रदर्शन प्रतिबंधित कर दिया जाता है।

डॉ. शालिनी श्रीवास्तव

(लेखिका वर्तमान में अपर कलेक्टर एवं उपजिला निर्वाचन अधिकारी रतलाम पदस्थ है)

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