उत्सव के उल्लास में सृजन : मेरे राम आए है…

“हदय बन गया सितार,
धड़कनों के छेड़े तार,
गीत कुछ आज अनूठे,
स्वागत में गाए हैं,
राम आए है,मेरे राम आए है..।”

यशपाल तंँवर

हदय बन गया सितार,
धड़कनों के छेड़े तार,
गीत कुछ आज अनूठे,
स्वागत में गाए हैं,
राम आए है,मेरे राम आए है..।

मन प्रफुल्लित और बेचैन,
दर्शन को तरसे ये नैन,
बरसों बाद घड़ी है आई,
शायद अब मिले सुख चैन,
नयनाभिराम छवि से सबको,
तृप्त करने आए है,
राम आए है,मेरे राम आए है..।

सुंदर सजी है राहें सारी,
सुगंधित-सुगंधित फुलवारी,
गा रही पवन झूमके,
हर्षित हो उठे नर-नारी,
चरण रज से अवध के,
भाग जगाने आए है,
राम आए है,मेरे राम आए है..।

यशपाल तंँवर
( फ़िल्म गीतकार,कवि,लघुकथा लेखक और मालवी रचनाकार ), अलकापुरी, रतलाम, मध्यप्रदेश

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