परीक्षा पे चर्चा : 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प के रूप में ये आयोजन अविस्मरणीय और युवा पीढ़ी के लिए सीख देने वाला

परीक्षा पे चर्चा शुरू करने के पहले विद्यार्थियों के बनाये हुए जल, थल, नभ, स्पेस से जुड़े नवीनतम तकनीकों को प्रधानमंत्री ने अवलोकन किया तथा भविष्य की चुनौतियों से निपटने में उनकी भूमिका पर मार्गदर्शन दिया।

गजेंद्र सिंह राठौर

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जनवरी को प्रातः 11:00 बजे देशभर के विद्यार्थियों से परीक्षा पर चर्चा की। परीक्षा पे चर्चा का यह सातवां संस्करण था। करोड़ों विद्यार्थी माननीय प्रधानमंत्री जी के साथ इस परीक्षा पर चर्चा से लाइव जुड़े। माय जीओवी पोर्टल पर पंजीकृत हुए करोड़ो विद्यार्थी और शिक्षको के अलावा सीधे स्कूल्स से भी शिक्षा जगत जुड़ा रहा।

2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प के रूप में ये आयोजन अविस्मरणीय और युवा पीढ़ी के लिए सीख देने वाला था। परीक्षा पे चर्चा शुरू करने के पहले विद्यार्थियों के बनाये हुए जल, थल, नभ, स्पेस से जुड़े नवीनतम तकनीकों को प्रधानमंत्री ने अवलोकन किया तथा भविष्य की चुनौतियों से निपटने में उनकी भूमिका पर मार्गदर्शन दिया।


किस बात की है चिंता, आओ परीक्षा पे करो चर्चा गीत के साथ प्रधानमंत्रीजी ने प्रश्नों के पूछने और सुनने का सहज वातावरण प्रदान किया।

गैजेट के जमाने मे लिखने की आदत छुटी

गैजेट के जमाने मे लिखने की आदत छूटने को भी इस चर्चा में महत्वपूर्ण स्थान मिला। प्रधानमंत्री जी ने बताया कि परीक्षा में जब लिखना चुनौती है तो लिखने का नियमित अभ्यास उसका समाधान है। लिखने से विचारों में शार्पनेस आती है जिसे उन्होंने उदाहरणों द्वारा रेखांकित किया।
देश भर के शिक्षको, विद्यार्थियों के सवालों में शारीरिक स्वास्थ्य, आहार का संतुलन, टूथ ब्रश की तरह नियमित व्यायाम के महत्व को भी उन्होंने बताया।

अनिर्णायकता की स्थिति से उबरने का आग्रह

परीक्षा पे चर्चा में केरियर से जुड़े सवालों पर उन्होंने जिस तरह अनिर्णायकता की स्थिति से उबरने का आग्रह किया वो अनुकरणीय है। नई शिक्षा नीति में विषयों को चुनने की स्वतंत्रता से उन्होंने केरियर विकल्पों में नई सोच को अपनाने का आग्रह करके निर्णायक बनने को महत्वपूर्ण बताया।उन्होंने निर्णय के सारे पहलुओं के अध्ययन पर विचार का भी आग्रह किया।

स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का महत्वपूर्ण

छात्रों की आपसी प्रतिस्पर्धा पर पूछे गए प्रश्न पर प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का महत्व बताया और पेरेंट्स से आग्रह किया कि तुलना करने की प्रवृत्ति और पुनिरावृति द्वेष को जन्म देती है। बालक की प्रतिस्पर्धा स्वयं से ही होती है।उसी दौरान उन्होंने सामर्थ्यवान दोस्त के महत्व को भी बताया।

शिक्षक का काम जिंदगी बदलना

संगीत के माध्यम से तनाव मुक्ति के साथ इस परीक्षा पे चर्चा में विद्यार्थी-शिक्षक संबंधों पर मोदीजी ने भरपूर आत्मीयता का आग्रह किया। जीवन भर के संबंधों की बुनियाद स्कूल में आपसी संबंधों से बननी चाहिए। शिक्षक का काम केवल नौकरी करना नहीं जिंदगी बदलना है।

परीक्षा के दिनों में रखें स्वयं को सहज

परीक्षा के दिन अन्य सामान्य दिनों से अलग नहीं समझना चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने ये सीख इस रूप में विद्यार्थियों, पालकों को प्रदान की कि वे उन दिनों में कुछ नया न करें।वस्तुत: परीक्षा पे चर्चा का ये एपिसोड समग्र रूप से पालक, शिक्षक और विद्यार्थी को मिलकर चलने का सबक था जिसमें विद्यार्थी का कम्फर्ट रहना, आनंद के पल तलाशना, एग्जाम की चिंता की बजाय उसके कारणों को समझना और स्वयं को सहज रखना शामिल था।

क्षमता के अनुसार नियमित स्वाध्याय जरूरी

पहले ही प्रश्न में प्रधानमंत्री जी ने परीक्षा में सहायक और सकारात्मक वातावरण बनाने में शिक्षको की भूमिका को रेखांकित कर बताया कि एग्जाम प्रेशर हर आने वाले विद्यार्थी के लिए चुनोती है जिसे एक स्ट्रेटजी के तहत कम किया जाना चाहिए। मन को तैयार करने से स्वयं पर दबाव कम हो जाएगा।स्वयं से संतुलित अपेक्षाएं और क्षमता अनुसार नियमित स्वाध्याय का उन्होंने आग्रह किया। माता-पिता परिवार, टीचर्स सभी विद्यार्थियों के दबाव झेलने की प्रक्रिया में सकारात्मक रहें।

प्रौद्योगिकी का समझदारी से करें इस्तेमाल

प्रधानमंत्री मोदी जी ने सभी से प्रौद्योगिकी का समझदारी से इस्तेमाल करने की सलाह दी।टेक्नोलॉजी से बच नहीं सकते ,उसका सदुपयोग करें ये उनका वाक्य था जिसमें उन्होंने अलर्ट टूल को अपनाने की सलाह दी।
निश्चित ही परीक्षा पे चर्चा शिक्षकों,पालको और विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित होगी, जिसमें प्राथमिकताओं को तय करना, गलती को सबक के रूप में लेना और स्वयं पर विश्वास सहित जीवन मूल्यों को अपनाने की सलाह उनके लिए कारगर सिद्ध होगी।

भरोसा कायम रखने पर दिया बल

ट्रस्ट डेफिसिट पर पहली बार परीक्षा में चर्चा पे मोदीजी ने खुलकर चर्चा की जिसमे उन्होंने तीनों पेरेंट्स, शिक्षको और विद्यार्थियों को विश्लेषण की सलाह दी। भरोसा उठने की वजहों को तलाश करके भरोसा कायम रखने पर बल दिया।ट्रस्ट डेफिसिट से डिप्रेशन आता है परन्तु विवेकपूर्ण तरीके से की गई थोड़ी सी प्रशंसा से सहजता आ जाती है।

गजेंद्र सिंह राठौर, उप प्राचार्य
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक

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