मुद्दे की बात : देश को भारत नाम कैसे मिला ?

हम हजारों साल पहले उस काल से जुड़ जाते हैं जिसमें ज्ञान, त्याग, तप, शुचिता, प्रेम और “सर्वे भवन्तु सुखिनः”की एक सम्मोहक महक आच्छादित है। भारत को भारतीय दृष्टिकोण से समझना हमारा गौरव बढ़ाता है। हमारे देश के प्राचीन काल में अन्य नाम भी प्रचलित रहे हैं। देश को भारत नाम कैसे मिला, हमें जानना चाहिए।

त्रिभुवनेश भारद्वाज

पिछले दिनों एक लगभग राष्ट्रीय सरोकारों को संजोते एक कार्यक्रम में जाना हुआ ।कार्यक्रम परिचर्चा जैसा तैयार किया गया था जिसमें इंडिया और भारत के “कॉन्सेप्ट”पर एक प्रश्न के उत्तर में अतिथि वक्ताओं ने भारत को रामायण और महाभारत काल के आसपास ले जाते हुए भारत की व्याख्यायित किया लेकिन इनमें से किसी भी विद्वान ने जम्बूद्वीप के भारत बनने के पीछे दुष्यंत पुत्र “भरत” के नाम का उल्लेख करना मुनासिब नहीं समझा।

उनके संकेत पर काम करती थी प्रकृति

वस्तुतःहमारा देश दुष्यंत पुत्र भरत का भारत है। जिस भरत का बाल्यकाल सिंहों के साथ खेलते व्यतीत हुआ जो इतने सिद्ध थे कि प्रकृति उनके संकेतों पर काम करती थी।इतिहास चन्द्रगुप्त मौर्य को प्रथम हिन्दू राजा मानता है लेकिन प्रागैतिहासिक तथ्य दुष्यंत शकुंतला के पुत्र भरत को पहला हिन्दू राजा बताते हैं।महाकाव्य महा भारत में इस सम्बंध में रोचक कथानक वर्णित है।भारत को आज हिंदुस्तान ,इंडिया जैसे नामों से भी जाना जाता है लेकिन इनमें भारत ही एक ऐसा नाम है जिसमें सभ्यता के साथ हमारी अति प्राचीन श्रेष्ठ संस्कृति का गौरवमयी परिचय मिलता है।हमें आनन्द अनुभव होता है भारत सम्बोधन में।

अभिन्न पक्ष अछूता नहीं था भारत का

हम हजारों साल पहले उस काल से जुड़ जाते हैं जिसमें ज्ञान, त्याग, तप, शुचिता, प्रेम और “सर्वे भवन्तु सुखिनः”की एक सम्मोहक महक आच्छादित है। भारत को भारतीय दृष्टिकोण से समझना हमारा गौरव बढ़ाता है। हमारे देश के प्राचीन काल में अन्य नाम भी प्रचलित रहे हैं। देश को भारत नाम कैसे मिला, हमें जानना चाहिए। भारत को पुरातनकाल में जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान भी कहते थे।अंग्रेज काल में इंडिया चलन में आया इसका इतिहास अलग है ।इन सभी नामों में से “भारत “ही सबसे ज्यादा लोकमान्य और प्रचलित रहा है। इस नाम के पीछे की कई कथाएं मिलती हैं लेकिन भारत को भारत नाम मिलने की सबसे लोकप्रिय और प्रचलित कहानी राजा भरत से जुड़ी है, जो राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे।परिचर्चा अनेक सन्दर्भो को एकत्रित कर आगे बढ़ रही थी लेकिन भारत का अभिन्न पक्ष अछूता ही था।

मानवता को संस्कारित करने की पवित्र भावना है भारत

संभवतया अनेक बिंदुओं पर विमर्श करते हुए कभी कभी मूल रिक्त रह जाता है ।किसी भी अतिथि विद्वान ने भरत से भारत की परिचय यात्रा पर प्रकाश नहीं डाला।भारत युगों से उच्च स्तरीय ज्ञान के कारण विश्व गुरु रहा है और विलक्षण प्रतिभाओं के द्वारा सृजित दुर्लभ ज्ञान सम्पदा के कारण भारत सदा ही विश्व नायक रहेगा।यह सही है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “इंडिया”के विरुद्ध भारत को स्थापित करने में गहन रुचि दिखाई और कोई आश्चर्य नहीं कि राज व्यवस्था में इंडिया के स्थान पर भारत ही उपयोग किया जाएगा। विद्वजन “भासृ दीप्तो”कहते हुए सदा ज्ञान में अभिरत रहने वाले देश को भारत करते है।जो ज्ञान श्रेष्ठ है वह भारत है जिसके हृदय में समूचे विश्व की मानवता को संस्कारित और अभिरक्षित करने की पवित्र भावना है वो भारत है।

संभावनाओं को नष्ट करने का प्रयास

आज हमारे भारतीय समाज में अतीत के गौरव और पुराणों के कथानकों को जानने की जिज्ञासा नहीं रही। टीवी का विस्तार होने लगा और लोग इसके सामने ज्यादा समय व्यतीत करने लगे जिसे कभी सुधीजनों ने इसे समय की बर्बादी और बुद्धू बक्सा कहा था आज तो समय विनाशक मोबाइल सबके हाथ में है इसे व्यक्तिगत खर्चे पर अपनी समस्त संभावनाओं को नष्ट करने का प्रयास कहा जा सकता है।

शायद ही कोई बता सके उनके बारे में

आज आप पूछिये किसी युवा से कि कौन हैं दुष्यंत शकुंतला और संसार की इस अदभुत प्रेम कथा और गन्धर्व विवाह का क्या परिणाम हुआ ,शायद ही कोई बता सके।खुद रामायण नाम के भवन में रहने वाले राम,लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न नाम के चार भाइयों के परिवार और लवकुश जैसे राम पुत्रों के नामधारी पुत्रों वाले बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सुनाक्षी “कौन बनेगा करोड़ पति “कार्यक्रम में हनुमान संजीवनी बूटी किसके लिए लाए थे जैसे मामूली सवाल का जबाब नहीं दे सकी तब अमिताभ ने चुटकी ली थी कि आप जिस घर में रहती है वो रामायण और पिता  शत्रुघ्न है फिर भी आपको इस आसन से सवाल का जबाब मालूम नहीं ।मालूम हो भी कैसे ।घर का नाम रामायण रख लिया लेकिन कभी घर में रामायण की चर्चा तो होती नहीं और नहीं घर में राम जैसा कोई चरित्र रहता है। भरत भी एक ऐसा पात्र है जिसे लोक सूचना में अबकी तरह कभी फैलाया नहीं गया। दरअसल पौराणिक कथाओं के अनुसार दुष्यंत चंद्रवंशी राजा थे और शकुंतला ऋषि विश्वामित्र और स्वर्ग की अप्सरा मेनका की पुत्री थीं। वासना और उपासना का समन्वय इस कथा में मिलता है।मेनका शकुंतला को जन्म देकर स्वर्ग लौट गई थी। इसके बाद ऋषि कण्व ने ही शकुंतला का पालन पोषण किया।

महान चरित्रों ने अपना सर्वश्रेष्ठ निभाया

देश का परिचय भारत महान भरत से बना है जिसका शौर्य और महानता के अनेक कथानक ,लोक स्मृति और पुराणों में आते हैं।हम पढ़ते ही नहीं तो पता भी नहीं कि भारत का गौरव अभिवर्धित करने के कितने कितने महान चरित्रों ने अपना सर्व श्रेष्ठ निभाया है।

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