घोटाला : मजदूरों के नाम पर बन गई कंपनियां, करोड़ों का हुआ लेनदेन
⚫ देश के कई राज्यों की 40 से 50 कंपनियों के साथ हुआ लेनदेन रुपयों का
⚫ पुलिस के हत्थे चढ़े राजस्थान निवास तीन आरोपी
⚫ बैंक अधिकारियों की चुप्पी पर भी घूम रही शक की सुई
⚫ बड़े घोटालेबाजों तक पहुंचाने की तैयारी में पुलिस
हरमुद्दा
रतलाम,1 फरवरी। कोई सब्जी बेचने वाला तो, कोई मजदूरी करने वाला। कोई प्रिंटिंग प्रेस पर काम कर रोजी-रोटी चलने वाला। तो कोई फास्ट फूड की दुकान पर वेटर का काम करने वाला। यह सभी वे लोग हैं जिनके नाम पर न सिर्फ बैंक में खाते खुले। अपितु फर्जी कंपनियां भी बनाई गई, जिनके माध्यम से करोड़ों का लेनदेन हुआ। देश के कई राज्यों में 40 से 50 कंपनियों के साथ लेनदेन हुआ। पुलिस ने तीन को गिरफ्तार किया है जिनसे पूछताछ की जा रही है। तीनों मूल रूप से राजस्थान के निवासी हैं। इनके कब्जे से पुलिस ने चेक बुक सिम, मोबाइल मिले हैं। पूरे मामले में सात बैंक अधिकारियों की चुप्पी पर भी शंका की सुई घूम रही है। इस मामले में पुलिस बड़े घोटाले बाजों तक पहुंचाने की फिराक में है।
पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढा ने गुरुवार शाम को पत्रकारों से चर्चा के दौरान खुलासा करते हुए बताया कि तीन दिन पूर्व सूरज पिता रामकिशोर चौरे नामक एक फरियादी ने पुलिस को बताया कि वह मूलरूप से इन्दौर का रहने वाला है और वर्तमान में रतलाम में रहकर फास्ट फूड का ठेला लगाता है। सूरज की मुलाकात तुलसीराम नामक एक व्यक्ति से हुई थी ,जिसने सूरज को हर महीने पन्द्रह हजार रुपए देने का लालच दिया और पन्द्रह हजार रुपए के बदले सूरज के नाम से बैैंक खाता खुलवाया। इसके साथ ही सूरज के नाम से एक कंपनी भी रजिस्टर्ड करवाई गई और इस कंपनी के नाम से भी बैैंक खाता खोला गया। प्रेस वार्ता में औद्योगिक थाना क्षेत्र प्रभारी राजेंद्र वर्मा भी मौजूद थे।
करोड़ों का लेनदेन होने पर हुई सूरज को शंका
उक्त व्यक्ति ने बैैंक खाते खुलवाने के बाद बैैंक की चैक बुक, खाते की सारी डिटेल और खाते से जुडी मोबाइल सिम इत्यादि तुलसीराम ने अपने पास रख ली। इसके बाद सूरज को अचानक से पता चला कि उसके बैैंक खातों से पिछले मात्र एक डेढ माह में करोडों का लेन देन हो चुका है। यह जानकारी मिलने पर सूरज को शंका हुई कि मामले में कुछ ना कुछ गडबड है। सूरज ने बैैंक में जाकर अपने खाते को फ्रीज करवाया और इस बात की शिकायत पुलिस को की। सूरज की शिकायत पर औद्योगिक क्षेत्र पुलिस ने आपराधिक प्रकरण दर्ज कर मामले की जांच प्रारंभ की। जांच में आगे बढने पर पुलिस के हाथ कई चौंकाने वाली जानकारियां आई,जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह पूरा मामला बेहद बडे घोटाले का एक छोटा हिस्सा है।
तीन आरोपी गिरफ्तार
बैैंक खातों के फ्राड को देखते हुए पुलिस अधीक्षक श्री लोढा ने औद्योगिक क्षेत्र पुलिस और सायबर सेल की संयुक्त टीम गठित कर उन्हे मामले की जांच के निर्देश दिए। पुलिस को पता चला कि गरीब लोगों को हर महीने कमाई का लालच देकर उनके नाम के बैैंक खाते खुलवाने और कंपनिया बनाने के इस काम में आरोपी तुलसीराम के अलावा दो अन्य लोग योगेश शर्मा और सूर्यप्रकाश त्रिपाठी भी शामिल है। इन तीनों ने अपना वर्तमान पता शक्ति नगर रतलाम को बता रखा है, लेकिन असल में ये राजस्थान के भीलवाडा और अजमेर इलाको के रहने वाले है। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
यह मिला आरोपियों के कब्जे से
पुलिस ने इनके कब्जे से एयू बैैंक पीएनबी बैैंक और स्टेट बैैंक की कुल बारह चैकबुक बरामद की है। इन सभी चैक बुक्स पर खाताधारकों के साइन पहले से करवा कर रखे गए थे। इसके अलावा पुलिस ने एक लैपटाप और मबाइल भी जब्त किया है।
चार कंपनियों के नौ बैैंक खाते
पुलिस की जांच में अब तक चार ऐसे व्यक्तियों की जानकारी सामने आई है,जिनके नाम पर अलग अलग कंपनिया बनाकर नौ बैक खाते चलाए जा रहे थे और इन बैैंक खातों मे करोडों रुपए का लेन देन हो चुका है। फरियादी सूरज चौरे के नाम पर अग्नि ट्रैडर्स नाम की कंपनी बनाई गई है और इसके दो बैैंक खाते स्टेट बैैंक और पंजाब नेशनल बैैंक में खुलवाए गए थे। इसी तरह मजदूरी करने वाले राहूल भालिया नामक व्यक्ति के नाम पर आस्था इम्पैक्स नाम की कंपनी बनाई गई और इसके तीन बैैंक खाते यस बैैंक, स्टेट बैैंक और फिनेकल में खुलवाए गए थे। इसके अलावा प्रिन्टिंग प्रेस पर काम करने वाले अजय राठौड के नाम पर रौनक इंटरप्राईजेस नामक कंपनी बनाई गई,जिसके दो बैैंक खाते एयू बैैंक और स्टेट बैैंक में खोले गए। इसी तरह सब्जी का ठेला लगाने वाले संदीप सिरोदिया के नाम पर सिद्धेश्वर एक्सियोम नामक कंपनी बनाकर पंजाब नेशनल बैैंक और फिनेकल में खाते खुलवाए गए।
40-50 बैैंक खाते-कई राज्यों तक फैला घोटाला
पुलिस ने जब रतलाम में खोले गए इन बैैंक खातों के लेनदेन की जांच की तो पता चला देश के विभिन्न राज्यों के करीब 40-50 बैैंक खातों के माध्यम से इन खातों में रुपयों का लेन देन होता रहा है। किसी राज्य के बैैंक खाते में इन खातों में रुपए जमा किए जाते और फिर किसी अन्य राज्य के अन्य बैैंक खातें में ट्रांसफर कर दिए जाते। पुलिस इन सभी राज्यों में फैले 40-50 बैैंक खातों की डिटेल एकत्रित कर रही है।
घोटाला करने वाले असल में कोई और है, यह तो मात्र प्यादे
एसपी लोढा ने बताया कि रतलाम पुलिस द्वारा पकडे गए तीनों आरोपी इस घोटाले के सबसे नीचे वाले वाले प्यादे है। पकडे गए लोगों के बैकग्राऊंड और हैसियत से साफ नजर आता है कि वे इतना बडा घोटाला नहीं कर सकते। असल घोटाला करने वाले कोई और है,जिन्होने इन आरोपियों को लालच देकर अपने काम में लगाया। इसी तरह गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने गरीब व्यक्तियों को रुपयों का लालच देकर उनके नाम पर बैैंक खाते खुलवाए और फर्जी कंपनियां खडी की।
जानकारी की जा रही है एकत्र
एसपी श्री लोढा के मुताबिक फर्जी कंपनियां बनवाकर उनके माध्यम से करोडों की हेराफेरी करने वालों की तलाश पुलिस द्वारा की जा रही है। विभिन्न राज्यों के जिन बैैंक खातों की जानकारी सामने आई है,उनकी सारी डिटेल बैैंकों से एकत्र की जा रही है। तभी पता चलेगा कि इस बडे घोटाले के पीछे कौन है?
भ्रष्टाचार या हवाला रैकेट का हो सकता है सारा खेल
पिछले दिनों देश में सामने आए कई घोटाले इसी तर्ज पर हुए है,जिनमें कई फर्जी कंपनियां खडी करके काले धन को इधर से उधर ट्रांसफर किया गया है। पुलिस का अनुमान है कि इन बैैंक खातों के माध्यम से लेन देन की गई रकम भी इसी तरह किसी बडे घोटाले या भ्रष्टाचार की काली कमाई हो सकती है। यह भी हो सकता है कि यह किसी हवाला रैकेट से जुडा मामला हो।
बैैंक अधिकारियों चुप्पी पर घूम रही शंका की सुई
फर्जी कंपनियों और बैैंक खातों के इस घोटाले की प्रारंभिक जांच में बैैंक अधिकारियों की चुप्पी पर शंका की सुई घूम रही है एसपी श्री लोढा के मुताबिक बैैंक शाखा के किसी खाते में कुछ ही दिनों में करोडों का लेनदेन हो रहा हो, तो बैैंक मैनेजरों को इस बात की सूचना आयकर विभाग व अन्य विभागों को साझा करना चाहिए। लेकिन बैैंक प्रबन्धकों ने इस तरह के संदिग्ध लेनदेन की कोई सूचना आयकर विभाग या अन्य विभागों को नहीं दी। पुलिस इस एंगल से भी मामले की जांच कर रही है।
करोडों रुपए फ्रिज
एसपी श्री लोढा ने बताया कि मामले की जांच के दौरान रतलाम में खोले गए बैैंक खातों की जमा राशि करीब साढे छ: करोड रुपए को पुलिस ने फ्रिज करवाएं है। कुछ अन्य स्थानों पर भी इस घोटाले से जुडे बैैंक खातों को फ्रिज किया गया है।
इनकी रही सराहनीय भूमिका
इस घोटाले की जाँच में थाना प्रभारी औ. क्षै रतलाम राजेन्द्र वर्मा, प्रभारी सायबर सेल उप निरीक्षक अमित शर्मा, अशोक दीक्षित, ध्यान सिंह सोलंकी, प्रधान आरक्षक मनमोहन शर्मा, लक्ष्मीनारायण सुर्यवंशी, हिम्मत सिंह, आरक्षण विपुल भावसार, मयंक व्यास, राहुल पाटीदार, तुषार सिसौदिया की सराहनीय भूमिका रही।