व्यथा : मैं गुनगुनाना चाहता हूं, वे चाहते हैं मैं दौड़ लगाऊं
⚫ आशीष दशोत्तर
आदरणीय सर/मैडम,
आप मेरी आंसर शीट देखकर दुःखी हो रहे होंगे, लेकिन मेरी हाथ जोड़कर विनती है कि आप चाहे मेरी आंसर शीट चेक मत करना लेकिन मैं जो यहां लिख रहा हूं उसे एक बार पढ़ना ज़रूर।
आदरणीय , आप सोच रहे होंगे कि मैं इस विषय में इतना कम ही क्यों लिख पाया । यह मेरी पसंद का विषय नहीं है, न कभी था । मैं इस विषय को लेना भी नहीं चाहता था परंतु मेरे पैरंट्स ने दबाव देकर मुझे यह विषय दिलवा दिया । मैं साल भर उनसे विनती करता रहा कि मुझे इस विषय में कुछ समझ नहीं आ रहा है । मैं साइंस नहीं पढ़ना चाहता । मुझे आर्ट्स में रुचि है। मुझे वही विषय दिलवा दो, परंतु पैरंट्स ने मेरी एक न सुनी।
अलबत्ता मेरी ट्यूशन भी लगवा दी ।
सर , जब मुझे विषय में कुछ समझ ही नहीं आ रहा था तो मेरे ट्यूटर भी क्या करते? साइन थीटा , कोस थीटा कभी मुझे मेरे अपने लगे ही नहीं । मैं चाहता था कि किसी पुरानी इमारत की नक्काशी देखूं । यह पता करूं कि उसे किसने बनवाया । वह कौन सी स्थापत्य कला का नमूना है , लेकिन यहां त्रिकोणमिति के तीनों कोणों के बीच में घिरा पड़ा हूं ।
वर्ष भर न मैं इस विषय को समझ सका न मेरी इसमें कोई रुचि जागृत हुई । मुझे यह विषय बहुत नीरस विषय लगा , जिसमें कोई जीवन धड़कता नज़र नहीं आया। हो सकता है यह मेरा विचार हो लेकिन जब मैं किसी विषय से जुड़ा ही नहीं तो उसे पढ़ूंगा किस तरह और उसमें लिखूंगा भी क्या ? पेरेंट्स का मुझ पर काफी दबाव है । वे चाहते हैं कि मैं कैसे भी इस परीक्षा को पास कर लूं । अब आप ही बताइए , मैं आख़िर किस तरह इस परीक्षा को पास करूं।
अब मेरे सामने एक ही रास्ता है कि मैं या तो अपने माता-पिता को निराश कर दूं या फिर आपकी मदद लूं ।
सर , मैंने इस आंसर शीट में हर क्वेश्चन के नंबर डालकर उसके बाद कुछ खाली जगह छोड़ी है । इस विश्वास के साथ कि आप मुझे पास करवाने में सहायता करेंगे । मैं समझता हूं कि यह बहुत ग़लत काम है लेकिन फिर भी आपसे यह निवेदन कर रहा हूं। मैं यह भी जानता हूं कि आप ऐसा हरगिज़ नहीं करेंगे क्योंकि कोई भी शिक्षक विद्यार्थी की भावना को कितना ही समझे वह कभी यह नहीं कर सकता कि विद्यार्थी के कॉपी में स्वयं उत्तर लिख । उसे नंबर दे । परंतु सर मेरे लिए इसके अतिरिक्त कोई चारा नहीं है । आप मेरी स्थिति को समझेंगे और इस आंसर शीट में उत्तर न भी लिखें तो कम से कम आपके पास प्रवेश के लिए आने वाले हर विद्यार्थी से यह अवश्य पूछें कि उसके मन का विषय कौन सा है । वह क्या पढ़ना चाहता है । अगर मेरे पेरेंट्स की तरह सभी पेरेंट्स अपने बच्चों पर ऐसा दबाव डालते रहे तो उन बच्चों की हालत भी मेरी तरह हो जाएगी।
बच्चा हिरण की तरह कूदना चाहता है और पेरेंट्स उसे बिल्ली की तरह पेड़ पर चढ़ाना चाह रहे हैं । वह हाथी की तरह ज़ोर से चिंघाड़ना चाहता है और माता-पिता चाहते हैं कि बच्चा खरगोश की तरह दौड़ जाए।
सर , आप आप मेरी स्थिति को समझ रहे होंगे। परीक्षा हाल में बैठकर में इतना सब कुछ इसीलिए लिख पा रहा हूं क्योंकि वर्ष भर मैंने बहुत कुछ सहन किया है । माता-पिता के दबाव के आगे मैं कुछ बोल नहीं पाया । स्कूल में टीचर्स ने मेरी स्थिति को समझा नहीं , इसलिए अपने मन के भीतर उठ रहे विचारों को आपके सामने इस आंसर शीट में लिख रहा हूं । यदि मैंने कहीं कुछ ग़लत लिखा हो तो आप मुझे क्षमा करना। मुझे आप पास नहीं कर पाएंगे , इसका अफ़सोस भी मत करना, परंतु आप स्वयं को मेरे पेरेंट्स की जगह रखकर और मुझे अपने बेटे की जगह रखकर एक बार यह सोचना अवश्य कि मैं इस एग्जाम में असफल हो रहा हूं तो इसमें मेरा क्या कसूर है?
उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन करते हुए शिक्षक के सामने आई इस कापी में लिखा पढ़कर मूल्यांकनकर्ता विचारमग्न था कि मूल्यांकन किस का करें, विद्यार्थी का, माता-पिता का या फिर स्वयं का?
⚫ 12/2, कोमल नगर
रतलाम
मो. 9827084966