मुद्दे की बात : वाह रे ! जिम्मेदार वाह !, रोजी रोटी छीनकर तोड़ी दुकानें, अब सड़क तक बना दिया महात्मा गांधी उद्यान, जबकि दुकानें थी पीछे, जिम्मेदारों ने कर दिया तीन से चार फीट अतिक्रमण उद्यान के नाम पर
⚫ बनाया बहाना यातायात में बाधक बन रही थी दुकानें
⚫ जिला प्रशासन और नगर निगम ने चलवाया बुलडोजर
⚫ समदड़िया ग्रुप को लाभ दिलाने के लिए उजाड़ा महात्मा गांधी उद्यान
⚫ दशकों की दुकानों पर बुलडोजर चलाकर बना दिया गांधी उद्यान
⚫ न्यायालय की ली शरण व्यापारी वर्ग ने
⚫ कोर्ट में कहा नगर निगम ने, यातायात में बाधक थी दुकानें, जन सुविधा के लिए की कार्रवाई
हेमंत भट्ट
रतलाम, 13 अप्रैल। नगर निगम तिराहे पर दशकों से जो दुकान चल रही थी, उन पर बुलडोजर चला कर लोगों की रोजी-रोटी छीन ली। प्रभावी जब न्यायालय की शरण में गए तब नगर निगम के जिम्मेदारों ने न्यायालय में जवाब दिया कि दुकानें यातायात में बाधक बन रही थी, जन सुविधा के लिए उन्हें तोड़ा गया। जिस जगह की दुकानें तोड़ी गई थी, वहीं 17 महीने के बाद महात्मा गांधी उद्यान बना दिया गया, वह भी पुरानी दुकानों की जगह से तीन-चार फीट आगे तक। और सालों से बना हुआ महात्मा गांधी उद्यान दे दिया उजाड़ने के लिए समदड़िया ग्रुप को, ताकि वह गोल्ड पार्क बनाकर कमा सके।
बात 18 नवंबर 2022 की है जब जिला प्रशासन ने नगर निगम के सहयोग से दुकानों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की। नगर निगम के सामने शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय परिसर के पास से लेकर गांधी उद्यान तक कई दुकानें सालों से चल रही थी। कोई पंचर बनाने वाला था, तो कोई ऑटो पार्ट्स बेचने वाला, फोटो कॉपी करने वालों तो फोटो बनाने वाला, चाय पिलाने वाला, तो बैंड बजाने वाला, मोबाइल की एसेसरीज बेचने वाले, तो पान बेचने वाले, सब के सब एक झटके में हटा दिए गए। प्रशासन का कहना था कि यह सभी अतिक्रमण है।
कलेक्टर ने दिए थे आदेश
उल्लेखनीय है कि 14 नवंबर 2022 को ही कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने निर्देश दिए कि रिडेंसिफिकेशन कार्य के तहत रतलाम शहर में निर्मित किए जाने वाले गोल्ड पार्क के लिए चिह्नित भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाए।
राह आसान करने के लिए कार्रवाई करता प्रशासनिक अमला
समदड़िया ग्रुप के लिए राह आसान
मुद्दे की बात तो यह है कि समदड़िया ग्रुप के लिए जिला प्रशासन ने गोल्ड पार्क की राह आसान करते हुए नगर निगम के सामने बरसो पुराने दुकानदारों की दुकानों को उजाड़ दिया। उनकी कोई सुनने वाला नहीं था। दुकानदारों का कहना था कि 40 सालों से दुकान कर रहे थे।
कोरोना काल में पेनल्टी के साथ की नगर निगम ने वसूली
व्यापारी कन्हैयालाल राठौड़ ने बताया कि 40-42 साल से दुकान चल रही थी। करीब 20 साल से नगर निगम किराया भी वसूल रही है। जब नगर निगम कंप्यूटराइज्ड हुआ तो कंप्यूटर से रसीदें मिलने लगी। यहां तक की कोरोना काल में दुकानें बंद होने के बावजूद व्यापारियों से किराया भी पेनल्टी के साथ वसूल किया। सभी दुकानों में बिजली के मीटर भी थे।
उच्च न्यायालय की ली दुकानदारों ने शरण
कार्रवाई से आहत होकर प्रभावित दुकानदारों में से कुछ ने उच्च न्यायालय इंदौर मध्य प्रदेश की शरण ली। याचिकाकर्ता ने दुकानों के पुनर्निर्माण और याचिकाकर्ताओं को मुआवजा/क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए राहत की मांग की थी।
अब हो गया पक्का निर्माण भी
कोर्ट में पर नगर निगम द्वारा जवाब दिया गया कि याचिकाकर्ता स्थायी पट्टा धारक नहीं हैं। वास्तव में उन्हें अस्थायी, छप्पर, लकड़ी या टिन-शेड से बनी अस्थायी दुकानें/गुमटी बनाने की अनुमति दी गई है। कोई स्थायी निर्माण नहीं है। किसी भी प्रकार की अनुमति है। प्रभावित व्यापारियों का कहना है कि मगर अब पक्का निर्माण हुआ है। ऑफिस बनाया गया है। ऐसी लगे हुए हैं। मतलब साफ है कि रोजी-रोटी छीनकर दौलत वालों के यहां जिम्मेदार अधिकारी दुम दिला रहे हैं।
यह बताया कोर्ट को नगर निगम के जिम्मेदारों ने
नगर निगम के जिम्मेदारों ने कोर्ट में बताया कि अस्थायी दुकानें/गुमटी शहरी क्षेत्र में प्रमुख स्थान पर स्थित हैं और संबंधित क्षेत्र में यातायात के सुचारू संचालन में बाधा उत्पन्न करती है, जिससे व्यापक सार्वजनिक असुविधा होती है। इस कारण से संबंधित क्षेत्र में ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई रहती है। आम जनता को होने वाली असुविधा को देखते हुए आवंटित अस्थायी दुकानों/गुमटियों को ध्वस्त करने का उचित निर्णय लिया गया है।
कोर्ट में बताया दुकानों को यातायात में बाधक और अब बना दिया सड़क महात्मा गांधी उद्यान सड़क तक
मुद्दे की बात यह है कि जब हाई कोर्ट इंदौर में नगर निगम के जिम्मेदारों ने दुकानों को यातायात में बाधक बताया है तो फिर उस स्थान पर गांधी उद्यान निर्माण की अनुमति कैसे दे दी गई। इतना ही नहीं पूर्व में जिन दुकानों पर बुलडोजर चलाया गया था। वह सड़क से काफी अंदर थी मगर महात्मा गांधी उद्यान का तो दुकानों से भी तीन-चार फीट आगे सड़क तक निर्माण किया गया है।
पहले बिजली के खंबे के अंदर दुकानें थी, जबकि गांधी उद्यान बिजली के खंबे से भी आगे निकल गया है। दुकानदारों की न केवल रोजी-रोटी जिम्मेदारों द्वारा छीनी गई अपितु तीन से चार फीट और सड़क पर अतिक्रमण भी कर लिया।
दिया था कलेक्टर को जनसुनवाई में आवेदन
इस संबंध में भी प्रभावित व्यापारी वर्ग कस्तूरबा नगर निवासी बद्रीलाल पिता शिवनारायण राठौड़, दीनदयाल नगर निवासी कन्हैयालाल पिता बद्रीलाल राठौड़, लक्ष्मणपुरा निवासी लुकमान हुसैन पिता गुलाम रसूल ने 20 फरवरी 24 को ही कलेक्टर को एक आवेदन जनसुनवाई में दिया था। जिसमें शंका जाहिर की गई थी कि नगर निगम तिराहे से जिन दुकानों को हटाया गया है, वहां पर महात्मा गांधी उद्यान बनाने की तैयारी चल रही है। उस आवेदन को दिए भी करीब 2 महीने पूरे होने आए हैं, मगर गांधी उद्यान फिर भी बन गया। शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।