सामाजिक सरोकार : सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर की सजा निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन
⚫ मामला है 2000 का
⚫ दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल ने दर्ज कराया था प्रकरण
⚫ 5 महीने का कारावास और 10 लाख रुपए का जुर्माना की सजा
हरमुद्दा
रतलाम, 4 जुलाई। युवाम द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर ख्यातिप्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर की सजा को रद्द करने के लिए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन अतिरिक्त कलेक्टर शालिनी श्रीवास्तव को दिया गया। अदालत ने पाटकर को 5 महीने का कारावास और 10 लाख रुपए के जर्मनी की सजा सुनाई है।
ज्ञापन में महामहिम राष्ट्रपति महोदया से अनुरोध किया गया कि मेघा पाटकर को दी गई सजा को रद्द करने के लिए त्वरित हस्तक्षेप कर शासन को निर्देशित करें।
5 माह का कारावास और 10 लाख रुपए जुर्माना
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 2001 में विनय कुमार सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराए गए आपराधिक मानहानि मामले में पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने उन्हें 10 लाख रुपये बतौर हर्जाना सक्सेना को देने का आदेश दिया है। वीके सक्सेना वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल हैं। कोर्ट ने कहा कि पाटकर की उम्र और स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को देखते हुए उन्हें अधिक सजा नहीं दी जा रही है। जज ने कहा कि सजा 30 दिनों तक स्थगित रहेगी।
नवंबर 2000 में “देशभक्त का असली चेहरा” शीर्षक से प्रेस नोट हुआ था जारी
पर्यावरण विद् डॉक्टर खुशाल सिंह पुरोहित ने हरमुद्दा से चर्चा में बताया कि वीके सक्सेना ने 25 नवंबर 2000 को देशभक्त का असली चेहरा शीर्षक से एक प्रेस नोट में उन्हें बदनाम करने के लिए पाटकर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। प्रेस नोट में पाटकर ने कहा हवाला लेन-देन से दुखी वी.के.सक्सेना खुद मालेगांव आए, एनबीए की तारीफ की और 40,000 रुपये का चेक दिया। लोक समिति ने भोलेपन से तुरंत रसीद और पत्र भेजा, जो ईमानदारी और अच्छे रिकॉर्ड रखने को दर्शाता है। लेकिन चेक भुनाया नहीं जा सका और बाउंस हो गया। जांच करने पर बैंक ने बताया कि खाता मौजूद ही नहीं है।
यह थे मौजूद
इस अवसर पर युवाम संचालक पारस सकलेचा, प्रसिद्ध पर्यावरण विद डॉ. खुशाल सिंह पुरोहित, सह संचालक धर्मेंद्र मंडवारिया, पीयूष बाफना, नवीन मेहता, दिनेश कटारिया, सुमित पोरवाल, मनीष पांचाल आदि उपस्थित थे।