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सामाजिक सरोकार : जिद में पर्यावरण प्रेमियों ने नहीं दिया ध्यान, अब बुजुर्गजन हो रहे परेशान, शिकायत का भी नहीं हो रहा समाधान

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बगीचे में मकान की दीवार के सहारे रौपे गए पौधे बन गए पेड़

पेड़ों के कारण मकान की खिड़की तक नहीं खुल रही है अब

पेड़ों के सहारे कीड़े मकोड़े कर रहे मकान में प्रवेश

मामला वार्ड नंबर 48 का

हरमुद्दा
इंदौर, 2 अगस्त। जब पौधारोपण कर रहे थे, तभी मकान के रहवासी ने उनसे निवेदन कर कहा था कि दीवार से पौधे दूर लगाएं,  मगर पर्यावरण प्रेमियों की जिद के चलते ध्यान नहीं दिया। दीवार के सहारे ही पौधे रोप कर चले गए। अभी पौधे पेड़ बनकर मकान की खिड़कियों में बाधा बने हुए हैं। खिड़कियां नहीं खोल पा रहे हैं। हवा का आवागमन नहीं हो पा रहा है। मुद्दे की बात यह है कि बुजुर्ग परेशान है। शिकायत करने के बावजूद भी समाधान नहीं हो रहा है।

यहां पर बात हो रही है वार्ड नंबर 48 के कैलाश पार्क गीता भवन मंदिर पीछे की। बगीचे में जब पौधारोपण किया जा रहा था, तब मकान के रहवासी बृजमोहन माथुर ने निवेदन कर कहा था कि दीवार से पौधे जरा दूर लगाएं, ताकि बड़े होने पर यह मकान की खिड़कियों में परेशानी उत्पन्न ना करें। मगर पर्यावरण प्रेमियों की जिद के चलते उनकी एक न सुनी गई।

शायद उन्होंने सोचा नहीं था कि यह पौधे भी बन जाएंगे पेड़

वह अपनी अड़बाजी में पौधे लगाकर चले गए। शायद उनकी मंशा यही रही होगी कि पौधे तो बड़े होंगे नहीं, तो किस के लिए उनकी बात सुनना, मगर उनकी यह मंशा भी अधूरी रह गई और पौधों ने पेड़ का रूप ले लिया।

पेड़ अब बन गए हैं रहवासी के लिए मुसीबत

वहीं पेड़ अब मकान रहवासी माथुर परिवार के लिए बाधा बने हुए हैं। उनके घर की खिड़की नहीं खुल पा रही है। हवा का आवागमन नहीं हो पा रहा है।  दीवार के सहारे अशोक सहित विभिन्न प्रजातियों के बड़े-बड़े पेड़ हो गए हैं जो कि मकान के रहवासी के लिए मुसीबत बन गए हैं। दीवार का उपयोग नहीं हो पा रहा है। पेड़ों की टहनियों मकान के ऊपर फैल रही है, जिसके चलते कीड़े मकोड़े घर में आ रहे हैं जो कि घर में घुसकर घर वालों को भी परेशान कर रहे हैं। अब पेड़ मुसीबत बन गए हैं। जिम्मेदार उनकी छटनी भी नहीं करते हैं।

कोई राहत भरी कार्रवाई नहीं

इतना ही नहीं बगीचे से निकलने वाला कचरा भी घर के पास ही जलाया जाता है, जिसका धुंआ भी घर में आ जाता है और परेशान होते है। कचरा जलाकर वातावरण को प्रदूषित किया जा रहा है। नगर निगम कर्मचारियों और क्षेत्रीय पार्षद को भी इस मुद्दे से अवगत कराया गया, किंतु कोई राहत भरी कार्रवाई नहीं की गई। सिर्फ आश्वासनों  के अलावा आज पर्यंत कुछ नहीं मिला। नगर निगम के अधिकारी और उद्यान प्रभारी भी इस मामले में मौन साधे हुए हैं जबकि इसकी शिकायत भी की गई है। जिसका समाधान नहीं किया गया है।

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