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साहित्य सरोकार : समाज की बेहतरी और मनुष्यता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध आयोजन

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‘सुनें सुनाएं’ के चौबीसवें सोपान में पढ़ी गई महत्वपूर्ण रचनाएं

हरमुद्दा
रतलाम, 1 सितंबर। मनुष्यता पर आए ख़तरे से सारी दुनिया चिन्तित है। हर कोई मानवता की और समाज की बेहतरी के लिए यथा जतन कर रहा है। सुनें सुनाएं में चयनित रचनाएं भी इन्हीं कोशिशों का हिस्सा हैं। आयोजन में चयनित रचनाएं समाज की बेहतरी  और मनुष्यता की रक्षा के लिए खुद को प्रतिबद्ध करती हैं।


यह  विचार सुनें सुनाएं  के 24 वें सोपान में उभर कर सामने आए । दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इस बार मुख्य सोपान के साथ अन्य रचनाओं का पाठ भी किया गया । इस आनंद उत्सव में शहर के बुद्धिजीवियों ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया और आयोजन को सार्थक करते हुए यह विश्वास जताया कि रचनाएं कभी बूढ़ी नहीं होतीं। न वे थकती हैं । न उन्हें झुर्रियां पड़ती हैं। उनकी ऊर्जा और क्षमता में कोई कमी नहीं आती। सृजन के पहले  क्षण में जैसी आती हैं आजीवन वैसी की वैसी बनी रहती हैं।

इन्होंने किया रचना पाठ

मीनू की ढाणी पर हुए आयोजन में अशोक कुमार शर्मा द्वारा राहत इन्दौरी की रचना ‘ लोग हर मोड़ पर ‘ का पाठ, श्रीमती रीता दीक्षित द्वारा रामधारी  सिंह ‘दिनकर’ की रचना  ’कोई अर्थ नहीं ’ का पाठ, अनीस ख़ान द्वारा अज्ञात रचनाकार की रचना ‘ क्या फ़र्क पड़ता है ‘ का पाठ,  महावीर वर्मा* द्वारा श्री मोहित कटारिया की रचना ‘ओ किस्सागो’ का पाठ,जयवंत गुप्ते द्वारा श्री भरत व्यास की रचना ‘हरी-हरी वसुन्धरा ‘ का पाठ, कीर्ति कुमार शर्मा द्वारा प्राण वल्लभ जी गुप्त की रचना ‘ धरती का है ब्याह,बाराती बादल आए ‘  का पाठ, श्रीमती नूतन मजावदिया द्वारा डॉ. आगम भटनागर की रचना ‘किसलिए चुप बैठे हो तुम.’ का पाठ, डा. गायत्री तिवारी द्वारा श्री गोपाल दास ‘नीरज’ की रचना ‘मैं पीड़ा का राजकुंवर हूं ‘ का पाठ, राजीव पंडित द्वारा डॉ. जयकुमार ‘जलज’ की रचना ‘ प्यार लो विद्यार्थियों मेरे ‘ का पाठ , नरेन्द्र सिंह पंवार द्वारा डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला की रचना ‘ दरवाज़ा खोलो जहांपनाह ‘ का पाठ किया गया।

इनका सहयोग रहा

आयोजन को सार्थक बनाने में रवि बोथरा, ललित चौरडिया , आई.एल. पुरोहित, दिनेश जोशी, श्रीराम दिवे, नरेंद्र त्रिवेदी, अशोक दीक्षित, गोविंद काकानी, डॉ.  प्रदीप सिंह राव, रजनी व्यास, सुरेंद्र सिंह कोठारी, हरेंद्र सिंह कोठारी,  जितेंद्र सिंह”पथिक”,  जमीर फारुकी, सुभाष यादव, प्रतीक यादव, प्रो. रतन चौहान, डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, कीर्ति कुमार शर्मा, श्याम सुंदर भाटी, प्रकाश गंगराड़े, मुस्तफा भाई आरिफ , डॉ. गीता दुबे, डॉ. गायत्री तिवारी, अशोक शर्मा, अनीता शर्मा, मुकेश पुरी गोस्वामी, कविता व्यास, एच.एस. मंसूरी, अलक्षेद्र व्यास, प्रो. अभय पाठक, विष्णु बैरागी, जयवंत गुप्ते, महावीर वर्मा, विजय सिंह रघुवंशी , मयूर व्यास, दिनेश राजपुरोहित, ओमप्रकाश मिश्र,  सुमति पांडे, नरेंद्र सिंह पंवार, दुर्गेश सुरोलिया डॉ. श्वेता विंचुरकर, डॉ. दीप व्यास, डॉ.नरेंद्र कुमार गुप्ता, राकेश पोरवाल, संजय कोटिया, रणजीत सिंह राठौड़, नरेंद्र सिंह डोडिया, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, भावेश ताटके, नीरज शुक्ला,  स्मिता शुक्ला, अनंत शुक्ला,  जी.एस. खींची, प्रकाश मेहता, दिनेश कटारिया,  इंदु सिंन्हा,  अनीता दासानी, विनोद झालानी, प्रकाश हेमावत, लक्ष्मण पाठक सहित सुनें सुनाएं के साथियों का सहयोग रहा।

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