शास्त्र सम्मत निर्णय : देश के विद्वानों की एक राय 31 अक्टूबर को ही दीपावली उत्सव, अन्य दिन लक्ष्मी पूजन शास्त्र सम्मत नहीं

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सभागार में ‘दीपावली निर्णय’ विषय पर हुई विशेष धर्मसभा

कुछ जिलों को छोड़कर मध्य प्रदेश में पहले से ही तय था 31 अक्टूबर

तथाकथित स्वयंभू विद्वानों के बहकावे में ना आए आमजन

देश भर के ज्योतिष आचार्य, विद्वान का शास्त्र सम्मत निर्णय

नासा को फॉलो करने वालों के निर्णय पैदा करते हैं भ्रम की स्थिति

हरमुद्दा
जयपुर/ बनारस/रतलाम 16 अक्टूबर। अखिल भारतीय विद्वत परिषद द्वारा 15 अक्टूबर को जयपुर स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित धर्मसभा में देश के सौ से अधिक प्रमुख विद्वानों, ज्योतिषाचार्यों और धर्माचार्यों की उपस्थिति में यह निर्णय हुआ कि दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। धर्मसभा की अध्यक्षता वयोवृद्ध ज्योतिषाचार्य प्रो. रामपाल शास्त्री ने की।

धर्म सभा में उपस्थित विद्वान

धर्मसभा में पंचांग सम्मत तिथियों के सूक्ष्म अध्ययन एवं धर्मशास्त्रों पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस वर्ष संपूर्ण भारत वर्ष में 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार को ही दीपावली मनाना शास्त्र सम्मत है। इसके अतिरिक्त किसी अन्य दिन दीपावली मनाना धर्म शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं होगा। भारत और जितने भी पश्चिमी देश हैं, उनमें 31 अक्टूबर को ही दीपावली होगी।धर्मसभा में देश के करीब 100 प्रख्यात ज्योतिषाचार्य, धर्मशास्त्री और संस्कृत विद्वान शामिल हुए।

मंगलवार को ही बनारस में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद एवं श्री काशी विद्वत परिषद के पंचांगकारो, ज्योतिषियों और विद्वानों की  बैठक हुई जिसमें ने भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली उत्सव मनाने का निर्णय देशभर के लिए दिया है

सभी हुए सहमत

प्रो. रामपाल शास्त्री

धर्मसभा के अध्यक्ष महाराज आचार्य संस्कृत कॉलेज, जयपुर के पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. रामपाल शास्त्री ने कहा- दिवाली मनाने को लेकर जिन लोगों के भी विवाद थे। वे अब पूर्ण रूप से इस बात को लेकर सहमत हो गए हैं कि दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

भ्रम या संशय की संभावना अब नहीं

धर्मसभा में यह भी स्पष्ट किया गया कि 31 अक्टूबर को प्रदोषकाल से मध्यरात्रि तक व्यापिनी कार्तिकी अमावस्या के समय ही लक्ष्मी पूजन करना शुभ और शास्त्र सम्मत रहेगा। सभा के अनुसार इस निर्णय के बाद दीपावली पर्व को लेकर किसी प्रकार के भ्रम या संशय की संभावना नहीं रहनी चाहिए।

एकरूपता और धार्मिक अनुशासन

दीपावली मनाने को लेकर धर्मसभा में लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य पूरे देश में एकरूपता और धार्मिक अनुशासन को बढ़ावा देना है ताकि सनातन धर्म के अनुयायी शास्त्रानुसार दीपावली का महापर्व सही समय पर मना सकें।

तथाकथित स्वयंभू विद्वानों ने की भ्रम की स्थिति पैदा

ज्योतिषाचार्य दुर्गाशंकर ओझा

रतलाम शहर में पिछले 91 साल से “ज्योतिष जंत्री श्री हनुमान तिथि दर्पण”  का प्रकाशन चल रहा है। पिछले 50 वर्ष से जंत्री का संपादन करने वाले संपादक ज्योतिषाचार्य एवं कर्मकांड भूषण  दुर्गाशंकर ओझा का कहना है कि शास्त्र सम्मत निर्णय 31 अक्टूबर का ही था, लेकिन तथाकथित स्वयंभू विद्वानों ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी थी। ऐसे लोगों के कारण ही सनातन धर्म में परिहास की स्थिति बनती है। आमजन को चाहिए कि वह विद्वान पंडितों के पास ही जाए।  उनके निर्णय को मान्यता दें। तथाकथित और  स्वयं को महिमा मंडित करने वाले ऐसे लोगों के पास न जाए जो कि शास्त्रों के ज्ञाता और जानकार नहीं है। अपने विवेक से भी कार्य लेना चाहिए। किसकी बात माने और किसकी नहीं।

सूर्य सिद्धांत से कभी भ्रम पैदा नहीं हुआ

पूर्व कुलपति प्रो. अर्कनाथ चौधरी

सोमनाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी, गुजरात के पूर्व कुलपति प्रो. अर्कनाथ चौधरी ने कहा- हमारे देश में त्योहार की तिथि का निर्धारण धर्मशास्त्री सूर्य सिद्धांत के आधार पर करते हैं। उसके अनुसार कभी कोई भ्रम पैदा नहीं हुआ। इस बार भी दीपावली को लेकर कोई भ्रम नहीं था। इस पर विवाद दृक गणित (खगोलीय गणना करने की एक पारंपरिक पद्धति) से तैयार किए गए पंचांगों ने किया है। जो पंचांग नासा की गणनाओं को फॉलो करते हैं, उन्होंने भ्रमित किया है।

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