खरी खरी : वे पहले एक और एक 11 थे, मंत्री बनने के बाद हो गए 111, वह बढ़ गए 100 गुना, मगर शहर का घर आंगन चमक-दमक से सुना, उन्होंने तो और भी कर दिया पद की गरिमा को लाचार
1 min readहेमंत भट्ट
⚫ शहर के उन मतदाताओं को खुश फहमी तो पाल लेनी चाहिए कि उनके विधायक, कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उनके पॉवर 100 गुना बढ़ गए हैं, मगर दुख इस बात का है कि शहर का घर आंगन अभी भी चमक दमक से सुना है। भले ही उनके मान सम्मान में वृद्धि हुई हो लेकिन शहर की गरीमा तो दिन-ब-दिन घटती जा रही है। हंसी तो तब आती है जब शहर का प्रथम नागरिक उस व्यक्ति का कहना मानता है जो गंदगी फैलाने का गुनाह करता है। उसकी मांग पर माननीय है कि पहुंच जाते हैं, उसका चालान कटवाने। वह क्या आपके जनप्रतिनिधि के खास और क्या आपके माननीय, बधाई हो शहरवासियों। बहुत जल्द ऐसा भी हो सकता है कि कैबिनेट मंत्री को जब पुलिस गिरफ्तार करेगी तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री वहां पर मौजूद रहे।⚫
वैसे मौसम तो शुभकामनाएं देने और खुशियां बांटने का चल रहा है मगर वे अपने आप को मियां मिट्ठू बनाने में लगे हैं। कोई भी मौका मिलता है, अपने आप को अव्वल जताने की कोशिश करते रहते हैं, हालांकि मौका मिलता नहीं है, वह मौका खुद बनाते हैं और अपने आप को प्रतिष्ठित करते हैं। अभी दीप मिलन का आयोजन चल रहा है। हर छोटे-मोटे उनकी नजरों में आने के लिए जा रहे हैं। वह जो कह रहे हैं, सुन रहे हैं, मगर बोल कुछ नहीं रहे हैं। इन दिनों अपने आपको फूल कर कुप्पा मान रहे हैं कि उन्होंने विजयवर्गीय गुटके विधायक को तोड़ लिया और अपने गुट में शामिल कर लिया। वे यह कहने से भी नहीं चुके कि मंत्री बनने के पहले तो हम दोनों एक और एक ग्यारह थे, मगर अब हम साथ हो गए हैं तो 111 हो गए हैं। इसके क्या-क्या मायने हो सकते हैं, यह बुद्धिजीवियों और समझदारों को बताने की आवश्यकता नहीं है। मगर उन्होंने अपने आप को 100 गुना पॉवरफूल मान लिया है। भले ही वह पॉवर शहर के लिए काम ना आए। पॉवर उनका महिमा मंडन ही करता रहे। जिस गोद के कारण इतना उछल कूद हो रहा है, वह कभी भी खिसक सकती है, यह तो बुद्धिजीवी वर्ग यह जानता हैं। और जिस गोद को सुना कर रहे हैं, उस गोद में इनको भी बैठना पड़ सकता है।
जो काम है अधूरा वह कब होगा पूरा?
भले ही उनका पॉवर विधायक से कैबिनेट मंत्री बनने के सफर में 100 गुना बढ़ गया हो मगर शहर का पॉवर तो घट ही रहा है। कई दीपावली व दशहरा उत्सव निकल चुके मगर शहर के घर आंगन की चमक-दमक लगातार फीकी पड़ती जा रही है। जो कहते हैं, वह होता नहीं है। बस बने रहने के लिए कभी वहां गए, कभी यहां गए। मिलने मिलाने में समय हुआ पूरा, जो काम है अधूरा वह कब होगा पूरा? उसके लिए हर बार कहते हैं, अब होगा पूरा, तब होगा पूरा। चाहे शहर का सुभाष नगर ओवरब्रिज हो या फिर सगोद रोड फोरलेन का कार्य। इसी तरह अन्य कई बड़े-बड़े प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं। इसके कारण लोग परेशान हो रहे हैं, मगर उनकी सेहत पर कोई असर नहीं है, कोई कुछ भी बोले। सागोद रोड पर गोपाल नगर से ब्रिज तक 6 साल से सड़क उबड़ खाबड़ है। रोशनी नहीं है। कोई ध्यान देने वाला नहीं, जब भी पूछते हैं तो कहते हैं रेलवे का टेंडर हो गया है, जल्द रेलवे ब्रिज का कार्य शुरू करेंगे। माना कि वह रेलवे ब्रिज का कार्य शुरू करेंगे लेकिन ब्रिज तक का तो कार्य पूरा हो जाना चाहिए। लाइट हो जानी चाहिए थी, मगर यह किसे बताएं। आमजन परेशान, परेशान और परेशान है।
गाड़ियां हो रही स्लिप, स्कूली बच्चे खा रहे धूल
सागोद रोड मार्ग पर ब्रिज के यहां पर दंपति ने अपने लाडली को खोया है। जाम की स्थिति बनी रहती है। नगर निगम गड्ढों में मुरम डालता है, मुरम से धूल उड़ती है। गिट्टी से गाड़ियां स्लिप हो रही है, मगर उनकी बला से, कोई मरे या जीए, हड्डी पसली तुड़वाए। फिर भी इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह तो सब सुरक्षित है, उनके लाल हंस खेल रहे हैं। उनके नाती पोते मजे में। शहर के बच्चे परेशान होते रहे। पिसते रहे। स्कूल जाने के दौरान धूल खाते रहे। गड्ढों में गिरते रहे। सुभाष नगर वाला क्षेत्र तो ऐसा लगता है मानो यहां पर कई सालों से आक्रमण चल रहा हो। घर तहस-नस हो गए हो। कई बार तो ऐसा लगता है कि यह रतलाम का हिस्सा ही नहीं है।
यह तो गलत है चाहे कोई कुछ भी कहे
पार्षद पति ने बेवकूफी का सबूत देते हुए बता दिया कि भाजपा के पार्षद शहर के प्रति कितने संजीदा हैं, उनके पति कितने वफादार, उनकी सोच और चिंतन का स्तर कैसा हैं। कुछ दिन पहले ही महापौर जी ने आमजन के हाथों में एक चाबी दे दी थी कि जो भी कचरा सड़क पर फेंके, उसका फोटो वीडियो बनाकर मुझे व्हाट्सएप करें। मैं ₹50 बतौर इनाम दूंगा । नाम गुप्त रखूंगा और कचरा फेंकने वाले पर अर्थ दंड किया जाएगा। फिर क्या था? आम जन तो बहुत चतरे और जागरूक हैं। पार्षद पति को ही पकड़ लिया, दूसरे वार्ड में अपने वार्ड का कचरा डालते हुए। इसमें भी उनकी अकड़ देखो, महापौर जी आएंगे तो ही चालान कटवाउंगा। इसमें हास्यास्पद और मुद्दे की बात यह रही कि शहर के प्रथम नागरिक माने जाने वाले महापौर की पद की गरिमा को पार्षद पति के सामने लाचार होते देखा है। कल से तो कैबिनेट मंत्री गुनाह करते हुए पकड़ा जाएगा, तो वह मांग कर डालेगा मुख्यमंत्रीजी आएंगे या प्रधानमंत्री जी आएंगे तो ही में गिरफ्तार होऊंगा, यह क्या बात हुई? आखिर कुछ तो पद का लिहाज करना सीखिए। मगर यह बात तो 100 फीसदी सच है कि चाहे कोई कुछ भी कहे मगर ऐसा साथ तो कतई नहीं देना चाहिए था जो कि हुआ।
रसूखदारों की मांग वह भी मंजूर
दीपावली उत्सव के मद्दे नजर यातायात व्यवस्था की दृष्टि से पुलिस प्रशासन ने दो पहिया वाहनों को व्यस्ततम क्षेत्र माणक चौक में जाने से रोक दिया। काफी अच्छा भी किया क्योंकि दुकानदार है कि 3 फीट की जगह भी सड़क पर चलने के लिए नहीं छोड़ते हैं और वह चाहते हैं कि उनके ग्राहक दो पहिया वाहनों पर आए तो यह कैसे संभव होगा? सड़क पर सामान जमाने वाले इस तमाम व्यापारियों ने पुलिस प्रशासन के सामने विरोध कर दिया। अब पुलिस भी क्या करें? राजनीतिक रसूखदार वाले व्यापारियों के लिए नियम को शिथिल किया और दो पहिया वाहन को जाने की अनुमति दे दी। दो पहिया वाहन वाले जा तो रहे हैं मगर रेंगते हुए। खरीदारी करने की सोच रहे, मगर वहां पार्क करने की जगह नहीं, क्योंकि जगह इन व्यापारियों ने सामान से रोक ली है। आमजन की सुविधा के मार्ग पर दुकानदार डाका डाल रहे हैं और जिम्मेदार मौन बने हुए हैं, उनको बढ़ावा दे रहे हैं। आखिर ऐसा ही रहा तो आखिर कैसे सुधरेंगे शहर की यातायात के हालात? कैसे लोग सुरक्षित घर पहुंचेंगे समझ से परे है। कैसे बाजार से जरूर की वस्तुएं खरीदेंगे।
इनकी हरकत, उनकी ऑनलाइन खरीदारी
पार्किंग लाइन तक वाहन पार्क करने की जगह है और व्यापारी उसके आगे तक सामान रख रहे हैं। उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। पार्किंग लाइन पर आधा पहिया भी बाहर रहा तो पुलिस चालान काट रही है। मगर दुकानदारों का नजूल की जमीन पर पक्का अतिक्रमण। सड़क पर अतिक्रमण वह नजर नहीं आता। नजर आते है तो सिर्फ शहरवासियों के वाहन। व्यापारियों की ऐसी ही हरकत के कारण लोग ऑनलाइन खरीदारी को बढ़ावा दे रहे हैं। क्षेत्र के दुकानदारों को अवसर दे रहे हैं। मुख्य बाजारों में बने मठाधीश को धता बता रहे हैं।