आंखों देखी : वह पढ़ा हुआ था सड़क पर, लोग देखते हुए जा रहे थे संवेदनहीन बनकर, मैं रुका, पहुंचाया अस्पताल, शुरू हुआ उपचार, 12 वर्षों से भटक रहा था मनोज
⚫ लड़खड़ा रही थी जबान, बराबर सुनाई नहीं दे रहे थे शब्द
⚫ नशे की आदत ने कर दिया सब कुछ बर्बाद
⚫ काफी मशक्कत के बाद चला परिजनों का पता
⚫ पहले तो कर दिया परिजनों ने आने से मना
⚫ अंतिम संस्कार के लिए भांजा ले गया उज्जैन मनोज को
गोविंद काकानी
रतलाम, 15 दिसंबर। कॉलेज रोड पर बीमारी एवं नशे की हालत में पड़े हुए लगभग 50 वर्षीय व्यक्ति को गुजरने वाले देखकर आगे बढ़ते गए। जब मेरी नजर पड़ी तो सहानुभूति पूर्वक मानव सेवा के तहत उस व्यक्ति को जिला चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड में 6 दिसंबर को भर्ती करवाया। काफी मशक्कत के बाद परिजनों का पता चला मगर उन्होंने पहले आने से इनकार कर दिया। 9 दिन तक इलाज किया मगर बचाया नहीं जा सका। जीते जी कोई नहीं आया। अंतिम संस्कार के लिए भांजा उज्जैन ले गया।
व्यक्ति को देखकर जिनमें कम ठिठक गए थे वह और कोई नहीं बल्कि वह समाचार लिखने वाले और जिला रोगी कल्याण समिति सदस्य गोविंद काकानी है। जो कि समाजसेवा और तिमरदारी में जाना पहचाना नाम है। हर मुद्दा को उन्होंने बताया कि व्यक्ति की हालत बहुत ही खराब थी। जबान लड़खड़ा रही थी। शब्द बराबर सुनाई नहीं दे रहे थे। ऐसे में लगातार इलाज शुरू करवाया। दवाइयां के असर से उसने जो जानकारी दी, उसके अनुसार मनोज राठौड़ (तेली समाज) निवासी कट्टी वाड़ा, जिला अलीराजपुर बताया। रतलाम में सुभाष नगर में बहन मंजू राठौड़ रहती है। (उसका स्वर्गवास बहुत समय पहले हो चुका है)
इसलिए परिजनों में किया आने से इनकार
मनोज के समाचार परिजनों तक पहुंचाने की कोशिश शुरू हुई। परिजनों से संपर्क हो गया। शुरू में परिजनों ने आने से मना कर दिया। बहुत निवेदन करने पर उनके साले प्रेमचंद राठौड़ निवासी सुभाष नगर ने आकर उनके खराब हालत को देख कर समाचार कट्टीवाडा तक भेजें परंतु सभी ने आने से मना कर दिया कारण मनोज राठौड बहुत अधिक शराब का सेवन करता था। नशे ने सब कुछ उजाड़ दिया।
अत्यधिक नशा करने के कारण पत्नी भी चली गई छोड़कर
अत्यधिक नशा करने के कारण उसकी पत्नी भी उसे छोड़कर चली गई। लगभग 12 वर्ष से ज्यादा समय से वह इधर-उधर भटकता रहा। पैसे मांग कर नशा करता रहा। जिला चिकित्सालय में उसका सीटी स्कैन करने पर मालूम पड़ा सर में रक्त जमा है। उसे हटाने के लिए महंगी दवाई की जरूरत है, जिसे काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के द्वारा प्रदान की गई परंतु अत्यधिक गंभीर हालत होने के कारण उसे 9 दिन तक इलाज के बाद भी बचाया नहीं जा सका।
मामा को लेकर भांजा गया उज्जैन
परिजन को पुनः निवेदन किया कि जीते जी नहीं आ पाए अब आप अंतिम संस्कार के लिए आ जाएं तो अच्छा रहेगा। आज सुबह भांजा कैलाश राठौड़ उज्जैन से, मनोज का साला श्री राठौड़ व उनके भाई शंभू लाल राठौड़ मैजिक लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे और शव को लेकर अंतिम संस्कार के लिए उज्जैन रवाना हुए। जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन, डॉक्टर, सिस्टर, वार्ड सेवा कर्मी, पुलिस प्रशासन, अस्पताल चौकी एवं काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से श्रद्धांजलि देकर रवाना किया।