विश्व ध्यान दिवस पर विशेष : ध्यान साधना क्षेत्र में गुरु गोरखनाथ का योगदान महत्वपूर्ण
⚫ नैतिकता के साथ अपने आचार, विचार, व्यवहार और संस्कार अच्छा रखना और मन में अहिंसा, करुणा व अच्छी भावना रखना है। ईश्वर सेवा, गुरु सेवा , दिव्यांग, अनाथ, ग़रीब लोगों की सेवा और अन्नदान अपने जीवन में अपनाना है। हम सकारात्मक सदभावनिक विचार के साथ जीवन जियेंगे और ध्यान करेंगे…यह संकल्प करें। ⚫
⚫ ध्यानगुरु रघुनाथ येमुल गुरुजी
गिरनार के भगवान गुरु दत्तात्रय भगवान गुरु गोरखनाथ महाराज और मेर गुरु के कृपा आशीर्वाद से पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर के मार्गदर्शन से मैं सकारात्मक सदभावनिक विचार से ध्यान का पॉजिटिव इमोशनल थॉट मेडिटेशन PET मेडिटेशन का प्रचार प्रसार का संकल्प लिया है।सकारात्मक सदभावनिक विचार से जियेंगे और ध्यान करेंगे विश्वशांति की प्रार्थना करेंगे । ध्यान का मतलब मन को शांत और केंद्रित कर आत्म जागरूकता व आंतरिक शांति प्राप्त करना है।
सकारात्मक सदभावनिक विचार
भगवान गुरु गोरखनाथ महाराज हठयोग के आचार्य है और हास्य योग के प्रेरक और शुरुआत किया, वे कहते है … हंसते खेलते ध्यान की कला सीखो। हसीबा खेलिबा धरीबा ध्यानम…सोहम क्रिया ,नाड़ी विज्ञान ,चक्र साधन। ऐसे अनेक प्रकार की योग ध्यान साधना है । हर पल सकारात्मक सदभावनिक विचार से जियो और ध्यान करो ।
पॉजिटिव इमोशनल थॉट लाइफ एंड मेडिटेशन ( PET Meditation ) ध्यान गुरु रघुनाथ गुरुजी का संदेश
जीवन में ध्यान के दो मार्ग है… संन्यासी ध्यान और दूसरा सांसरिक ध्यान। संन्यासी ध्यान में मनुष्य संसार को त्याग देता है, वैराग्य जीवन जीता हे । संसार की किसी प्रकार की जवाबदारी नहीं लेता । मन शांति, ख़ुद की, समाज की उन्नति, लोककल्याण विश्व कल्याण की भावना और आध्यत्मिक प्रगति के लिए ध्यान योग साधना करता है। संसारी मनुष्य घर परिवार समाज की जवाबदारी और कर्तव्य के साथ अपने कार्य , सेवा और अच्छे बुरे कर्म में जीवन जीता है । टेंशन, नैराश्य, स्ट्रेस दूर करने के लिए और मनशांति के साथ आनंदित रहने के लिए ख़ुद की समाज की उन्नति के लिए सामाजिक क्षेत्र में प्रगति के लिए ध्यान योग साधना करता है। इसके साथ ही मनुष्य की वृत्ति, प्रारब्ध कर्म और संस्कार , परिस्थिति अनुसार हिंसक शैतान वृत्ति, इन्सान की वृत्ति, संत की वृत्ति जैसा बन जाता है। परिवार के ख़ुशी के लिए अच्छे कर्म के साथ समाज को भी दान देना..जियो और जीने दो की राह पर चलना और समाजकल्याण की भावना रखना । सन्त, साधु, महंत की वृत्ति सभी के आनंद के लिए समाज और देश के लिए समर्पित होती है।
लोक कल्याण की भावना
हमें प्रेरणा लेकर सेवा और प्रार्थना सदैव अच्छे विचार अच्छे कर्म के साथ विश्व कल्याण लोक कल्याण की भावना रखना चाहिए। इस तरह के अलग अलग मनुष्य के वृत्ति प्रवृति के लिए अलग अलग ध्यान साधना के प्रकार हे । मानसिक अवस्था, शारीरिक अवस्था, पंचेन्द्रिय की अवस्था स्ट्रेस, टेंशन नैराश्य, सुख दुख, परिस्थिति, भाव, चेतना जागृति चित्त, सोच जीवनशैली है। सभी का विचार करके अपने लिए ध्यान, योग, साधना का प्रकार आप चुने और करे। भगवान गुरु गोरखनाथ महाराज, भगवान महावीर, भगवान गौतम बुद्ध.. इस विविध प्रकार के मनुष्य की वृत्ति, मनुष्य का मन की अवस्था का विचार करके ध्यान योग साधना का अनेक प्रकार की खोज की। गुरु गोरखनाथ हठयोग का आचार्य हास्य योग की शुरुआत की । योग, ध्यान, साधना करने से पहले और बाद में निरंतर हर पल तन मन आत्मा तीनों की शुद्धि करना है। नैतिकता के साथ अपने आचार, विचार, व्यवहार और संस्कार अच्छा रखना और मन में अहिंसा करुणा व अच्छी भावना रखना है। ईश्वर सेवा, गुरु सेवा, दिव्यांग, अनाथ ग़रीब लोगो की सेवा और अन्नदान अपने जीवन में अपनाना है।
आज यह संकल्प करें
ध्यान योग साधना के पहले निरंतर ऊपर बताया जैसा जीवन जीना है, इसे वार्म अप क्रिया कहते है । इसी जीवनशैली के साथ हम सकारात्मक सदभावनिक विचार के साथ जीवन जियेंगे और ध्यान करेंगे..यह संकल्प करें। निरंतर ईश्वर, गुरु नामस्मरण, अच्छी सोच के साथ सभी लोगों के प्रति प्राणिमात्र के प्रति सदभावना से रहना है । सेवाभावी, दानी बनना है। इसके साथ पर्यावरण, पेड़, पौधे के संरक्षण संवर्धन करना है । जल को बचाना है। ध्यान और साधना से अपने जीवन में सुख, शांति और आनंद मिलेगा । हिंसा से, अहिंसा का मार्ग और मनशांति से विश्वशांति कार्य.. इस सकारात्मक सदभवानिक विचार से ध्यान विथ पॉजिटिव इमोशनल थॉट मेडिटेशन PET Meditation द्वारा होता है । इस का प्रचार प्रसार ध्यानगुरु रघुनाथ गुरुजी द्वारा नीति संप्रदाय के सिद्धी कर्मयोगी परिवार के माईपीसफ़ुलनेस कोर्स mypeacefulness course द्वारा किया जा रहा है।
⚫ प्रस्तुति : ध्यानगुरु रघुनाथ येमुल गुरुजी