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प्राचीन सिद्धक्षेत्र में भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाएगी आज

🔳 शहर सराय स्थित प्राचीन मंदिर में होंगे धार्मिक कार्यक्रम

🔳 अंतरंग भजन मंडल देगा प्रस्तुति
हरमुद्दा
रतलाम, 11 दिसंबर। शहर के एकमात्र प्राचीन श्री दत्तात्रेय मंदिर में दत्तात्रेय जयंती उत्सव धार्मिक उल्लास एवं भक्ति भावना के साथ मनाया जाएगा। दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर मंदिर में विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे। अंतरंग के भजन मंडली द्वारा रात्रि में भजन की प्रस्तुति दी जाएगी।
भगवान श्री दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर बुधवार को सेवा मंडल ट्रस्ट द्वारा मंदिर में सुबह भगवान का अभिषेक पूजन किया जाएगा। शाम को 6:00 बजे भगवान की महाआरती कर प्रसाद वितरण किया जाएगा। श्री दत्तात्रेय मंदिर में अंतरंग मंडल द्वारा भव्य भजन संध्या का आयोजन रात को 08.30 बजे किया गया है। मंडल के सुहास चितले स्वरों के माध्यम से अपनी प्रस्तुति देंगे। उल्लेखनीय है कि अंतरंग मंडल संस्था की स्थापना भी दत्त जयंती के दिन ही हुई थी।

भगवान की है चमत्कारिक प्रतिमा

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धर्मनिष्ठ भैरूलालभेरुलाल राठौड़ ने “हरमुद्दा” को बताया कि हिंदू धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रचलित विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय ने जन्म हुआ। शहर सराय स्थित प्राचीन मंदिर में भगवान की चमत्कारिक प्रतिमा है। क्षेत्र के लोग जो काफी निम्न एवं गरीब तबके के थे वे। भगवान के आशीर्वाद से उनके बच्चे आज पढ़ लिखकर सुखी और संपन्न है। जिनकी भगवान के प्रति श्रद्धा है, वह साधन संपन्न हैं और जो स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं, उन्हें भगवान सबक भी सिखाते हैं। यह प्राचीन सिद्ध क्षेत्र है। एक वर्ष से मंदिर का जीर्णोद्धार भी चल रहा है। धर्मालुओं के सहयोग से काफी विकास कार्य हो चुका है। मंदिर में धर्मालु के लिए सभामंडप बनाया गया है। पहले पतरे शेड था, जर्जर होने के कारण भक्तों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।

सीखने की भावना रखनी चाहिए हमेशा : चितले

भजन गायक सुहाष चितले का कहना है कि जहां से भी अच्छी बातें सीखने को मिले, हमें उसे अंगीकार करना चाहिए। सीखने में कोई छोटा बड़ा नहीं मानना चाहिए। भगवान दत्तात्रय ने भी ऐसा ही किया था उन्होंने अपने जीवन में 24 गुरु बनाए थे। भगवान दत्तात्रेय कहते थे कि जिस किसी से भी जितना सीखने को मिले, हमें अवश्य ही सीखने का प्रयत्न अवश्य करना चाहिए। उनके 24 गुरुओं में कबूतर, पृथ्वी, सूर्य, पिंगला, वायु, मृग, समुद्र, पतंगा, हाथी, आकाश, जल, मधुमक्खी, मछली, बालक, कुरर पक्षी, अग्नि, चंद्रमा, कुमारी कन्या, सर्प, तीर (बाण) बनाने वाला, मकडी़, भृंगी, अजगर और भौंरा (भ्रमर) हैं।

आयोजन में शामिल होने का आह्वान

सेवा मंडल ट्रस्ट के प्रकाश मजावदिया, भेरुलाल राठौर, रवींद्र साठे सहित अन्य ने धर्मालुओं से दत्त जयंती महोत्सव में शामिल होने का आह्वान किया है।

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