की बोर्ड पर नाचती है दिलीप की उंगलियां
🔳 विडंबना योग्यता की नहीं होती है कद्र
हरमुद्दा
शाजापुर, 11 दिसंबर। वर्तमान समय इंटरनेट सेवाओं का है। वह दिन अतीत का हिस्सा हो चुके, जब पोस्टमेन सायकिल की घंटी बजाता हुआ गली मोहल्लों और देहातों में डाक बांटा करता था। आज संदेशों का आदान-प्रदान आश्चर्यजनक गति से होने लगा है और ऐसे में ईमेल सेवाओं की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। इसके जरिए युवक-युवतियां शासकीय एवं स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं। कार्यकुशलता ही योग्यता का मापदंड है।
तले अंगुली दबाने लगते हैं इनके कार्य से प्रभावित होकर
शाजापुर शहर में वैसे तो अनेक कम्प्यूटर ऑपरेटर है, लेकिन दिलीप नागर जैसा कोई नहीं।
जब दिलीप जी की अंगुलियां कम्प्यूटर के की बोर्ड पर जिस गति से चलती है, वह हर किसी को दांतों तले अंगुली दबाने लगता है। इन्होंने बीए करने के अलावा स्वयं के बल पर कम्प्यूटर में दक्षता प्राप्त की। इनकी टायपिंग गति एक मिनट में 100 शब्द है। इनकी खूबी यह है कि आप बोलते जाइए और यह मात्राओं की गलती किए बिना तीव्र गति से टाइप करते जाते हैं। श्री नागर ने लगभग दस वर्ष तक नईदुनिया समाचार पत्र के अलावा दैनिक भास्कर, हरिभूमि, बुनियाद, एक्सप्रेस न्यूज, प्रदेश वाॅच, अक्षरविश्व, राष्ट्रीय हिन्दी मेल के स्थानीय कार्यालयों में कम्प्यूटर ऑपरेटर का कार्य किया है, लेकिन अंत में यही पाया कि स्वयं का व्यवसाय ही जीविकोपार्जन के लिए सर्वोत्तम है। आज यह अपना स्वयं का ऑनलाईन व्यवसाय कर जीविका अर्जित कर रहे हैं।
सामान्य योग्य की कद्र नहीं, मिली नहीं नौकरी
यदि कोई प्रतियोगिता का आयोजन करें तो निश्चित रूप से श्री नागर उसमें सर्वप्रथम आने की योग्यता रखते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में योग्य व्यक्तियों की कोई कद्र नहीं होती। अनेक प्रयत्नों के बाद भी इन्हें नौकरी नहीं मिल पाई। जबकि इनसे कहीं अधिक अयोग्य व्यक्तियों को शासकीय सेवा में भर्ती कर रखा है। सामाजिक कार्यों में भी दिलीप रूचि लेते रहे हैं। नागर समाज की विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इनका गहरा हस्तक्षेप रहता है। इस समाज के वह राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं।