मानव द्वारा प्रकृति का अधिकाधिक दोहन : देवड़ा
🔳 प्रकृति संरक्षण, संबंध और पुनर्जीवन पर व्याख्यान
हरमुद्दा
रतलाम, 18 दिसंबर। मनुष्य का आश्रय, भोजन और जीवन यापन आदि विभिन्न क्रियाएं प्रकृति पर ही निर्भर है, परन्तु पिछले कुछ वर्षों से मानव ने प्रकृति का अधिकाधिक दोहन करना आरम्भ कर दिया है, जिसके कारण भूमण्डलीय तपन, जल वायु परिवर्तन ओजोन क्षय एवं आदि समस्याएं बढ़ गई है।
यह विचार डॉ. मायारानी देवडा ने व्यक्त किए। डॉ. देवड़ा भारत रत्न राजीव गांधी स्मृति समारोह के अन्तर्गत शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रतलाम में प्रकृति संरक्षण, संबंध और पुनर्जीवन पर आयोजित व्याख्यान में मुख्यवक्ता के रूप में मौजूद थी।
प्रकृति के साथ मित्रता की जरूरत
डॉ. देवड़ा ने कहा कि दिनों दिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। मानव जीवन खतरे में दिखाई देता है। अत: आवश्यकता है कि प्रकृति के साथ मित्रता की, स्नेहिल संबंधों की। आओं हम सब मिलकर प्रयास करें, उर्जा व प्लास्टिक कम उपयोग करें, पॉलीथिन से दूरी बढ़ाएं। पानी का बचाव करें। अधिक पौधे लगाएं।
आयोजन में काफी संख्या में छात्र एवं प्राध्यापक मौजूद थे। संचालन डॉ. रामकुमार मौर्य ने किया। आभार डॉ. शकुन्तला जैन ने माना।