ब्रह्मांड में अनेकों विलक्षण एवं अद्भुत घटनाएं होगी घटित सूर्य ग्रहण के दौरान
🔳 वैज्ञानिक दृष्टिकोण में खास है सूर्य ग्रहण
🔳 शासकीय जीवाजी वेधशाला में ग्रहण दिखाने के विशेष इंतजाम
हरमुद्दा
उज्जैन/रतलाम, 24 दिसंबर। वैज्ञानिकों के लिए सूर्य ग्रहनव अवसर किसी उत्सव से कम नहीं होता, क्योंकि ग्रहण ही वह समय होता है, जब ब्रह्मांड में अनेकों विलक्षण एवं अद्भुत घटनाएं घटित होती है, जिससे कि वैज्ञानिकों को नए नए तथ्यों पर कार्य करने का अवसर मिलता है। उज्जैन स्थित शासकीय जीवाजी वेधशाला में सूर्य ग्रहण को दिखाने के विशेष इंतजाम किए गए हैं
वलयाकार सूर्य ग्रहण का समय एवं स्थान
शासकीय जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने “हरमुद्दा” को बताया कि 26 दिसंबर गुरुवार को सूर्य ग्रहण सुबह 8 बजे प्रारंभ होगा। मध्य स्थिति 10 बजकर 47 मिनट 07 सेकंड पर होगी। समाप्ति दोपहर 1 बजकर 35 मिनट 6 सेकंड पर होगी।डॉ. गुप्त ने बताया कि यह वलयाकार सूर्य ग्रहण है। पूर्णता की स्थिति में सूर्य 96.9 फीसद ढक जाएगा। पूर्णता की अवधि 3 मिनट 34 सेकंड होगी। भारत में कन्नूर, कोझिकोड, मदुरै बंगलोर, त्रिचूर में पूर्ण ग्रहण देखा जा सकेगा। यह ग्रहण अफ्रीका के उत्तर पूर्वी भाग, उत्तर पूर्वी रूस को छोड़कर संपूर्ण एशिया एवं ऑस्ट्रेलिया के उत्तर पश्चिम भाग में देखा जाएगा।
संपूर्ण मध्यप्रदेश में नजर आएगा आंशिक सूर्यग्रहण
उज्जैन में सूर्य ग्रहण का प्रारंभ 8 बजकर 9 मिनट 3 सेकंड पर होगा। मध्य स्थिति 9 बजकर 26 मिनट 6 सेकंड पर होगी तथा समाप्ति 10 बजकर 58 मिनट 7 सेकंड पर होगी। इस प्रकार उज्जैन में 2 घंटे 49 मिनट तक आंशिक सूर्यग्रहण होगा। उज्जैन में सूर्य का 61.5 प्रतिशत भाग ढका रहेगा संपूर्ण मध्यप्रदेश में आंशिक सूर्यग्रहण ही नजर आएगा।
सूर्यग्रहण देखने के समय यह करें
🔳 सूर्य की केवल प्रक्षेपित छवि ही देखनी चाहिए।
सूर्य की छवि को एक पिनहोल के जरिए छाया वाली दीवार पर प्रक्षेपित करें।
🔳 एक छोटे दर्पण को कागज के टुकड़े से ढके इस कागज में 1 से 2 सेंटीमीटर व्यास का छिद्र बनाइए। कागज लगे इस दर्पण का प्रयोग कर दीवार पर सूर्य की प्रक्षेपित छवि को देखिए।
🔳 सूर्य की छवि को प्रक्षेपित करने के लिए एक छोटे टेलिस्कोप या बाईनोक्युलर का प्रयोग किया जा सकता है।
आंशिक रूप से ग्रहण लगे सूर्य का प्रत्यक्ष दर्शन केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गए और सुरक्षित होने पर प्रमाण वाले फिटर से करना चाहिए। पिनहोल खरोच वाले फिल्टर का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
🔳 इसके लिए गहरे रंग का (14 नंबर का) वेल्डर ग्लास सर्वोत्तम है। ग्रहण को देखने के लिए केवल अपनी एक आंख का इस्तेमाल करें।
🔳 अच्छा तो यह होगा कि ग्रहण देखने वालों को ग्रहण की पूर्ण दशा के आरंभ और समाप्ति की जानकारी देने के लिए अनुभवी व्यक्ति साथ हो।
सूर्य ग्रहण देखने के लिए ऐसा बिल्कुल नहीं करें
🔳 सूर्य ग्रहण की आंशिक या वलयाकर स्थिति को कोरी आंखों से देखने का प्रयास कतई ना करें। टेलीस्कोप या बाइनाक्यूलर से सूर्य को कभी ना देखे।
🔳 किसी भी ऐसे फिल्टर का इस्तेमाल ना करें जो सूर्य की दृष्टि तीव्रता को कम कर देता है। धूम्र युक्त ग्लास, रंगीन फिल्म, सनग्लास, नान सिल्वर ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म, फोटोग्राफिक न्यूट्रल डेंसिटी फिल्टर या पोलराइजिंग फिल्टर एक्सरे फिल्म का इस्तेमाल न करें। ये सुरक्षित नहीं होते हैं।
🔳 नेत्र गोलको पर लगाए जाने वाले सौर फिल्टर का इस्तेमाल भी ना करें जो सस्ते टेलिस्कोप के साथ बेचे जाते हैं।
उज्जैन वेधशाला में कर सकते हैं खगोलीय घटना का अवलोकन
डॉ. गुप्त ने बताया कि सूर्य ग्रहण को दिखाने के लिए उज्जैन की शासकीय जीवाजी वेधशाला द्वारा व्यापक व्यवस्था की गई है। सोलर फिल्टर युक्त चश्मे के माध्यम से ग्रहण को दिखाया जाएगा। आमजन अधिक से अधिक संख्या में वेधशाला में आकर इस खगोलीय घटना का अवलोकन कर सकते हैं।