स्वाद और विवाद दोनों छोड़ने लायक : राजेश मुनि
हरमुद्दा
रतलाम 8 फरवरी। स्वाद और विवाद दोनों छोड़ने लायक है। स्वाद छोड़ने से तन को लाभ होता है तो विवाद छोड़ने से मन लाभान्वित होता है। धार्मिक स्थान एक तरह से स्वच्छता का घर होता है। हम जिसे बाथरूम कहते हैं, उसमे तन धोया जाता है। जबकि धार्मिक स्थल पर मन को धोया जाता है।
यह बात अभिग्रहधारी, उग्र विहारी, तप केसरी श्री राजेशमुनि जी ने कही। नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दोस्त रबड़ के समान होना चाहिए। पेन का लिखा मिटाया नहीं जा सकता, लेकिन पेंसिल का लिखा मिटाया जा सकता है। आपकी गलती जो बताएं, उसे हितेषी समझना चाहिए। इसका कारण यह कि नमक में कभी कीड़े नही पड़ते, जबकि मिठाई में कीड़े पड़ते हैं। कड़वी बात कहने वाला बुरा जरूर लगता है,,लेकिन उसमें हमारा हित छुपा रहता है। चापलूसी करने वाले मीठे बोल जरूर बोलते हैं, मगर हमारा कोई फायदा नहीं कर सकते।
धर्म सभा को सेवाभावी श्री राजेंद्रमुनिजी म.सा. ने भी संबोधित किया। संचालन सौरभ मूणत ने किया। उन्होंने बताया कि मुनिश्री के प्रवचन प्रतिदिन श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रातः 9 :15 से 10: 15 बजे तक आयोजित हो रहे है।
तप सम्राट की उपाधि की अनुमोदना
धर्मसभा में अभिग्रहधारी, उग्र विहारी, तप केसरी राजेशमुनि को मुमुक्षु परी दुग्गड़ के दीक्षा महोत्सव में राष्ट्र संत श्री कमलमुनिजी कमलेश द्वारा तप सम्राट की उपाधि दिए जाने पर अनुमोदना की गई। रतलाम श्री संघ, श्री धर्मदास मित्र मंडल ट्रस्ट, श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल, गुरु श्री सौभाग्य प्रकाश युवक मंडल, सौभाग्य जैन महिला मंडल,श्री सौभाग्य अणु बहु मंडल एवं श्री सौभाग्य प्रकाश बालिका मंडल ने मुनिश्री उपाधि की अनुमोदना करते हुए मुनिश्री के तप और तपोबल में लगातार वृद्धि होने की शुभकामनाएं दी। ज्ञातव्य है कि मुनिश्री बेले की लगातार तप कर अभिग्रहपूर्वक पारणा करते है। इस तप के लिए उनका नाम लिम्का वर्ल्ड रिकार्ड बुक में दर्ज हुआ है।