नियम से चलोगे तो जीवन में सफल रहोगे : आचार्य पुलक सागरजी

हरमुद्दा
रतलाम 10 फरवरी। हर व्यक्ति के जीवन में एक नियम होना चाहिए। जिस प्रकार हर व्यवस्था नियम से चलती है उसी प्रकार जीवन में भी नियम का महत्व है। अध्ययन के लिए स्कूल कॉलेज के नियम से चलना पड़ता है। सामाजिक व्यवस्था में समाज के नियम से रहना पड़ता है। अन्य कई कार्य भी इसी तरह नियमों से संचालित होते हैं। नियम से चलोगे तो ही जीवन में सफल रहोगे।
यह बात आचार्य पुष्पदंत सागरजी महाराज के यशस्वी शिष्य, राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108 पुलक सागरजी महाराज ने कही। गोशाला रोड आचार्यश्री सम्मति सागर त्यागी भवन (साठ घर का नोहरा) में सोमवार सुबह धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में यदि नियम नहीं हुए तो कहीं भी सफलता नहीं मिलेगी। अध्ययन के लिए भी यदि नियम से पढ़ाई ना हो तो व्यक्ति पास नहीं होता अपितु फेल हो जाता है। जन्म से ही हर व्यक्ति एक व्यवस्था और नियम से बंधा होता है। हर समाज में यह व्यवस्था होती है। इसलिए हर व्यक्ति को व्यवस्थानुसार ही जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। यदि समाज की व्यवस्था का पालन नहीं हुआ तो हम समाज में नहीं रह पाएंगे।

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व्यवस्थाएं थोड़ी तो पहचान भी खत्म हो जाएगी

आचार्यश्री ने कहा कि कोई जैन है अथवा कोई हिंदू है या कोई मुस्लिम है तो वह एक व्यवस्था के अन्तर्गत ही जाना जाता है। यदि व्यवस्था को तोड़ा तो पहचान नहीं रह पाएगी। हर समाज के जो नियम है वे ही व्यक्ति को पहचान दिलाते हैं। सामाजिक जीवन में नियम व्यवस्था में रूचि नहीं होती। लेकिन परिणामों में सबकी रूचि होती है। परीक्षा देना हो तो वह रूचिकर नहीं लगेगी लेकिन जब परिणाम आएंगे तो सबकी रूचि रहेगी।

नियमों के पालन में मिलता है सुख

उन्होंने कहा कि नियम सभी रूखे होते हैं, उनमें सुख का रस नहीं होता। सुख सिर्फ परिणाम ही देता है। इसलिए यदि सुख चाहिए तो नियमों का पालन अति आवश्यक है। धर्मसभा में कई धर्मालुजन उपस्थित थे। संचालन कमलेश पापरीवाल ने किया।

धर्मालुओं से आह्वान

मुनिश्री पुलकसागरजी सेवा समिति के संरक्षक चन्द्रप्रकाश पांडे, अध्यक्ष राजेश जैन भुजिया वाला एवं सचिव अभय जैन ने बताया कि आचार्यश्री के प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक होंगे। उन्होंने शहरवासियों से इनका अधिक से अधिक लाभ लेने की अपील की।

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