फ्रांस, अमेरिका व इटली के साधक भी कर रहे रतलाम में विपश्यना साधना, समापन 5 को

🔲 फेसबुक में प्रोडक्ट मैनेजर हैं अमेरिका से आए एंड्रियू मक्सों

हरमुद्दा
रतलाम, 27 फरवरी। पिपश्यना यानी सत्य की उपासना को लेकर लोगों में रुझान बढ़ रहा है। इसी को अपनाकर गौतम बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्त किया था। इसके फायदों के चलते ही विपश्यना साधना शिविरों में साधकों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।

इसका प्रत्यक्ष प्रमाण रतलाम-बांसवाड़ा राजमार्ग पर जिला मुख्यालय से करीब 17 किलोमीटर दूर धामनोद में स्थित धम्मरत विपश्यना ध्यान केंद्र पर जारी 10 दिवसीय शिविर में देखने को मिल रही है। यहां साधनारत 25 शिविरार्थियों में भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा अमेरिका, फ्रांस और इटली के लोग भी शामिल हैं।

देश में 75 स्थायी केंद्र

आचार्य डॉ. एन.एस. वाधवानी ने बताया विपश्यना ध्यान के पूरे भारत में लगभग 75 स्थायी केंद्र हैं। इनमें धामनोद गाँव से सटी पहाड़ी की ढलान पर स्थित स्थानीय केंद्र भी शुमार है। यहां बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटे साधक-साधिकाएं रोज दिन में 13 से 14 घण्टे ध्यान का अभ्यास कर रहे हैं।

विदेशों से भी आए हैं साधक

इस बार के शिविर की खास बात यह है कि इसमें ईसाई (कैथोलिक) धर्म की शिक्षा ग्रहण करने वाले थॉमस रिवोल्ट फ्रांस से आए हैं। अमेरिका के एंड्रियू मक्सों स्नातक हैं और फेसबुक में प्रोडक्ट मैनेजर हैं। इनके अलावा इटली की एना रोकाँ भी 10 दिवसीय साधना कर रही हैं जो फिलहाल भारत भ्रमण पर हैं। वहीं डॉ. आनन्द चौहान नोएडा से बिजी शेड्यूल से समय निकाल कर विपश्यना ध्यान सीखने आए हैं। शिविर का समापन 5 मार्च को सुबह 7 बजे होगा।

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