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लोकसभा स्पीकर ताई का गढ़ इंदौर, 30 साल से सांसद

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हरमुद्दा डॉट कॉम

नई दिल्ली। 16 वीं लोकसभा में स्पीकर के दायित्व का निर्वहन करने वाली सुमित्रा महाजन “ताई” मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की 30 सालों से सांसद है। इंदौरी ने कभी भी उन्हें निराश नहीं किया है।

इंदौर मध्य प्रदेश की वो लोकसभा सीट है जिसने इस देश को लोकसभा अध्यक्ष दिया। कहने को तो ये मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी है, लेकिन राजनीतिक नजरिए से भी यह शहर बेहद खास है।

16वीं लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन इंदौर लोकसभा सीट से ही चुनकर आती हैं. इंदौर की जनता को ‘ताई’ से बेहद लगाव है, तभी तो यहां के लोग 8 बार से उनको अपना सांसद बनाते आए हैं. सुमित्रा महाजन को इस सीट से कभी निराशा नहीं मिली।

1989 से सीट केवल ताई की

1989 में उन्होंने यहां से पहला चुनाव लड़ा और फिर क्या था उसके बाद से तो यह सीट उन्हीं की हो गई. 1989 से लगातार वो यहां से सांसद हैं.2014 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 4 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

इंदौर देश की हाईप्रोफाइल लोकसभा सीटों में से एक है. यहां पर साल 1957 में पहला चुनाव हुआ. कांग्रेस के खादीवाला को इस चुनाव में जीत मिली. 1957 से 1984 तक तो इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस को ही जीत मिली. पर एक बार जब बीजेपी ने सुमित्रा महाजन को इस सीट पर उतारा फिर तो इसके बाद से यह सीट उन्हीं की हो गई.

सुमित्रा महाजन ने 1989 के चुनाव में कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराया. बता दें सुमित्रा महाजन इससे पहले इंदौर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से वो लगातार तीन विधानसभा चुनाव हार चुकी थीं. सुमित्रा महाजन लगातार 1989 के चुनाव से यहां पर जीतती आ रही हैं.

कांग्रेस ने उनको हराने की हर कोशिश की, लेकिन उसकी सारी कोशिश नाकाम ही साबित हुई. ताई के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन 8 बार से इंदौर की सांसद हैं. सुमित्रा इससे पहले 1982-85 में इंदौर महापालिका में पार्षद रह चुकीं हैं.

1989 के पहले तक कांग्रेस ने इस सीट पर 6 चुनावों में जीत हासिल की. लेकिन 1989 से उसको यहां पर जीत नसीब नहीं हुई है. सुमित्रा महाजन हर चुनावों में अपनी जीत को और मजबूत करती आईं हैं. 2014 के चुनाव में तो उन्होंने 5 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी.

वर्तमान में वे भारत के लोकसभा की अध्यक्ष हैं. वे इस पद पर आसीन होने वाली भारत की दूसरी महिला हैं. इंदौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. महेश्वर, भगवानपुरा, पानसेमल, कसरावाड़, सेंधावा, बदवानी, खरगौन, राजपुर यहां की विधानसभा सीटें हैं. यहां की 8 में से 6 सीटों पर कांग्रेस और 1 पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि 1 सीट पर निर्दलीय विधायक है.

सामाजिक ताना-बाना

इंदौर को मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है. इंदौर शहर जनसंख्या की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा शहर है.यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है.इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहां भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं. यह एक औद्योगिक शहर है. यहां लगभग 5,000 से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं. इंदौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है.

2011 की जनगणना के मुताबिक इंदौर की जनसंख्या 34,76,667 है. यहां की ज्यादातर आबादी शहरी क्षेत्र में रहती ही. इंदौर की 82.21 फीसदी आबादी शहरी और 17.79 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. यहां की 16.75 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति के लोगों की है, जबकि 4.21 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जनजाति के लोगों की है. यहां पर 22,02,105 मतदाता हैं. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में यहां पर 21,15,303 मतदाता थे, इसमें से 10,08, 842 महिला और 11,06,461 पुरुष मतदाता थे. 2014 में इस सीट पर 62.25 फीसदी मतदान हुआ था.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को हराया था. सुमित्रा महाजन को 8,54,972(64.93 फीसदी) वोट मिले थे.सत्यनारायण को 3,88,071(29.47 फीसदी) वोट मिले थे. सुमित्रा महाजन ने इस चुनाव में 4,66,901 वोटों से जीत हासिल की. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी. उसके खाते में 2.67 फीसदी वोट पड़े थे.

इससे पहले 2009 के चुनाव में सुमित्रा महाजन ने सत्यनारायण पटेल को हराया था. सुमित्रा महाजन को 3,88,662 (48.77 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं सत्यनारायण को 3,77,182(47.33 फीसदी) वोट मिले थे. सुमित्रा महाजन ने इस चुनाव में 1,11480 वोटों से सत्यनारायण को मात दी थी. वहीं बसपा के रहीम खान इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

8 बार इंदौर लोकसभा सीट पर जीत हासिल कर चुकीं 75 साल की सुमित्र महाजन 16वीं लोकसभा की स्पीकर हैं. उनकी गिनती देश के दिग्गज नेताओं में होती है. वो पहली ऐसी महिला सांसद है जो लगातार पांच बार से ज्‍यादा चुनाव जीतीं।

महाजन ने इंदौर यूनिवर्सिटी से एमए और एलएलबी की. उन्होंने 1989 में अपने ससुराल इंदौर से पहली बार चुनाव लड़ा. मराठी परिवार से ताल्लुक होने के चलते सुमित्रा की मराठी वोटों पर अच्छी पकड़ रही है. सुमित्रा वाजपेयी सरकार में 1999 से 2004 तक राज्‍यमंत्री रहीं।

सुमित्रा महाजन को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 26.02 करोड़ हो गई थी। इसमें से उन्होंने 21.61 यानी मूल आवंटित फंड का 84.46 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 4.41 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया।

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