शहर के लाखों रहवासियों पर मंडराया कोरोना संक्रमण का खतरा!
🔲 जिला एवं पुलिस प्रशासन नहीं झाड़ सकता अपनी जिम्मेदारी से पल्ला
🔲 आखिर 135 किमी की दूरी से बिना जांच शव कैसे आ गया रतलाम
🔲 4 अप्रैल को शाम 7 बजे निकला जनाजा, दर्जनों लोग हुए थे शामिल
🔲 क्या जिम्मेदारों पर नहीं होनी चाहिए रासुका और राष्ट्रद्रोह की कार्रवाई?
हेमंत भट्ट
रतलाम, 8 अप्रैल। एक पखवाड़े से भी ज्यादा समय से संयमित जीवनशैली से घर में रहकर लॉकडाउन का पालन कर रहे शहर के लाखों रहवासियों पर अचानक ही कोरोना संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। ऐसा कोरोना संक्रमित एक शव को इंदौर से रतलाम लाकर दफनाए जाने से हुआ है। प्रशासन और पुलिस के सख्ती के तमाम दावों के बावजूद वैश्विक महामारी की जद में रतलाम को लाने के मामले में कतिपय जनप्रतिनिधियों, तथाकथित पत्रकार के साथ ही प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध हो गई है।
मुद्दे की बात यह है कि जिले की सीमाएं सील होने के बाद भी कोरोना संक्रमण की आशंका वाले व्यक्ति का शव रिपोर्ट आए बिना ही इंदौर के अस्पताल से परिजन को कैसे सौंप दी गई। घोर आश्चर्य तो यह है कि शव 135 किमी से ज्यादा दूरी तय कर तमाम थानों और पुलिस चौकियों के सामने या क्षेत्र से होकर रतलाम भी आ गया और जिले के जिम्मेदारों को भनक तक नहीं लगी। जनाजा भी शाम 7:00 बजे निकला। इसमें शामिल दर्जनों लोग भी नजर नहीं किसी को नज़र नहीं आना सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है। सौ मुद्दे की एक बात कि यह यह बड़ी चूक है जिससे जिला और पुलिस प्रशासन अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन किसी के दबाव में कार्य कर रहा है?क्या इसके लिए जिम्मेदार अफसरों पर राष्ट्रद्रोह और रासुका की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? लाखों लोगों को संकट में डालने वाले अब भी पदों पर बने रहेंगे?
जानकारों के अनुसार यदि किसी कोरोना संदिग्ध के सैंपल की जांच रिपोर्ट लंबित है, तो उसे अस्पताल से बाहर नहीं जाने दिया जाता है। यदि ऐसे व्यक्ति की मौत हो जाए तो परिजनों को शव तब तक नहीं दिया जाता है, जब तक कि उसकी रिपोर्ट न आ जाए। उसे उसी शहर में दफनाना भी चाहिए वह भी पूरी एहतियात के साथ। बावजूद 4 अप्रैल को मृत रतलाम के मूल निवासी कोरोना संदिग्ध का शव न सिर्फ अस्पताल सें सौंप दिया गया वरन उसे रतलाम लाकर दफना भी दिया गया जो वास्तव में कोरोना संक्रमित था। इसकी पुष्ट प्रशासन ने भी की है।
चीख-चीख कर उत्तर मांग रहे यक्ष प्रश्न
🔲 बिना जांच रिपोर्ट आए इंदौर के अस्पताल से कोरोना संदिग्ध का शव कैसे दे दिया गया?
🔲 शव इंदौर में ही क्यों नहीं दफनाया गया? इसके लिए कौन कौन जिम्मेदार है?
🔲 लॉकडाउन व सीमाएं सील होते हुए भी शव रतलाम कैसे आया, क्या यह पुलिस-प्रशासन की चूक नहीं?
🔲 क्या प्रशासन और पुलिस का लॉकडाउन और नकाबंदी पब्लिसिटी मात्र था?
🔲 जनाजे में दर्जनों लोग कैसे शामिल हुए, हाट की चौकी के सामने से गुजरा तब पुलिस ने क्यों नहीं रोका?
🔲 शव रतलाम किन किन लोगों की मदद से आया, उन पर क्या कार्रवाई होग?
🔲 इंदौर से रतलाम तक कितनी चैकपोस्ट हैं। यहां चैक क्यों नहीं किया गया?
🔲 बिना प्रसाशन को सूचना दिए अंतिम संस्कार कैसे कर दिया गया?
किसी के दबाव में तो नहीं प्रशासन
इन सभी प्रश्नों के चलते ही शक की सुई जिला प्रशासन पर घूम रही है। सवाल उठ रहा है कि कहीं जिम्मेदारों ने कतिपय नेताओं के दबाव में आकर तो यह अनदेखी नहीं की। चर्चा है कि इस पूरे घटनाक्रम में क्षेत्र कतिपय पूर्व महापौर, कांग्रेस नेत्री व पूर्व पार्षद की भूमिक रही। दबाव रहा।
अब यह होना चाहिए
🔲 कानून के जानकारों का कहना है कि इसके लिए जवाबदार प्रशासनिक अधिकारियों पर राष्ट्रद्रोह व राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का प्रकरण दर्ज होना चाहिए। जिन जिन व्यक्तियों ने लापरवाही की है उसके विरुद्ध भी कार्रवाई होना चाहिए चाहे वह पत्रकार हो, जनप्रतिनिधि हो, अधिकारी-कर्मचारी हो या फिर कोई अन्य।
आखिर किस गुनाह की सजा मिली शहर के लाखों रहवासियों को
ज्वलंत मुद्दा तो यह है कि शहरवासियों को आखिर किस गुनाह की सजा मिल रही है। क्या उन्होंने जिला प्रशासन का पूरा सहयोग किया उसकी या फिर लॉकडाउन का पालन करने की। लोगों ने तो समाज सेवा में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य भी किया। प्रशासन की हर एक बात मानकर उसका पूरा सहयोग किया और अब भी कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री से हुई है बात, करेंगे कार्रवाई
इंदौर से मोहम्मद कादरी का शव निकालने से लेकर रतलाम में प्रवेश तक जिला प्रशासन की बड़ी चूक हुई है। जनाजे में भी काफी संख्या में लोग शामिल थे। तब पुलिस प्रशासन क्या कर रहा था? यह भी प्रश्न चिह्न लगा हुआ है। शांत शहर के लाखों शहरवासियों पर प्रशासनिक चूक के कारण संकट मंडराया है। पूरी जानकारी मुख्यमंत्रीजी को दी गई है। जिम्मेदार लोगों पर राष्ट्रद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई मुख्यमंत्रीजी द्वारा की जाएगी।
🔲 चैतन्य काश्यप, विधायक, रतलाम
जांच के बाद होगी जिम्मेदारों पर कार्रवाई
मोहम्मद कादरी का शव रतलाम में प्रवेश करने से लेकर दफनाने तक की कार्रवाई में जिला प्रशासन की भूमिका क्या रही है? इसकी जांच की जाएगी। तत्पश्चात जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी।
🔲 आनंद शर्मा, संभागायुक्त, उज्जैन