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कोरोना का संकट काल : प्रबल इच्छा शक्ति के बने धनी

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🔲 आचार्यश्री विजयराजजी महाराज ने किया आह्वान

हरमुद्दा
रतलाम,14 अप्रैल। सही इच्छा शक्ति और संकल्प शक्ति जिसके पास होती है, वह कभी परास्त नहीं होता। इच्छा शक्ति की दुर्बलता ही मानव को पंगु बनाती है। कोरोना के इस संकट काल में हर मानव अपनी इच्छा शक्ति को संभाले। उसे जागृत और परिष्कृत करके ही इस महामारी से मुक्ति पाई जा सकती है।

यह आह्वान जिनशासन गौरव, प्रज्ञानिधि, परम श्रद्वेय आचार्यप्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने किया है। सिलावटो का वास स्थित नवकार भवन विराजित आचार्यश्री ने धर्मानुरागियों को प्रसारित धर्म संदेश में कहा कि इच्छा शक्ति के सामने कोई भी संकट ठहर नहीं सकता। दुर्बल इच्छा शक्ति कायरता और कमजोरी के लक्षण है, जबकि जो वीर और शूरवीर होते है, वे इच्छा शक्ति के महापुंज होते है। मनुष्य जो कुछ भी बनता है, अपनी इच्छा शक्ति और संकल्प शक्ति से ही बनता है। इच्छा शक्ति का धनी व्यक्ति अभाव को नहीं सदभाव को देखता है। सारी सकारात्मकता इच्छा शक्ति की बदौलत आती है। भय, आतंक और उपसर्गों का समाधान इच्छा शक्ति के द्वारा होता है। प्रबल इच्छा शक्ति यदि हो, तो पंगु व्यक्ति भी पहाड चढ जाता है। बिना हाथों का हुनर इच्छा शक्ति वालों के पास ही देखा जा सकता है। पुरूषार्थ का सही नियोजन एवं लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग इच्छा शक्ति के द्वारा ही प्राप्त होता है। जिस व्यक्ति की इच्छा शक्ति प्रबल होती है, वह जैसा चाहता है या सोचता है, वैसा बन जाता है।

इच्छाशक्ति से मिलती है सिद्धि

आचार्यश्री ने कहा कि इच्छा शक्ति वाले के पास हर कठिनाई से निकलने का मार्ग होता है। संसार में जितने भी मंत्र, तंत्र, यंत्र या विधाएं है, वे सारी इच्छा शक्ति से सिद्ध होती है। बिना इच्छा शक्ति जगाए घर के बाहर की छोटी सी नाली भी नहीं लांघी जा सकती। वैसे इच्छाएं मानव को भटकाती है, लेकिन इच्छा शक्ति ही मानव को सही रास्ता दिखलाती है। अंधकार से प्रकाश में लाने का श्रेय इच्छा शक्ति को ही जाता है। उन्होंने कहा कि जागृत इच्छा शक्ति वाले मानव न केवल खुद को वरन समूचे युग को अपनी इच्छा शक्ति के सांचे में ढाल सकते है। इच्छा शक्ति के पास छोटी-बडी सभी आपदाओं का समाधान है, बशर्तें उसे समझकर आजमाया जाए।

प्रबल इच्छा शक्ति वाले के शब्द कोष में बहानेबाजी का शब्द ही नहीं होता

आचार्यश्री ने बताया कि इच्छा शक्ति के दुर्बल व्यक्ति अवसरवादी होते है। अवसर के साथ वे अपना रंग बदलने में माहिर होते है, जबकि इच्छा शक्ति रखने वाले परिपक्व मानसिकता और अटल निर्णय के धनी होेते है। उनका अपना जज्बा होता है, वे कभी परिस्थितियों के सामने घुटने नहीं टेकते है। प्रबल इच्छा शक्ति वाले के शब्द कोष में बहानेबाजी का शब्द ही नहीं होता है। वे हर चुनौती को अपने जीवन का हिस्सा मानकर झेलते है और इच्छा शक्ति के सहारे मंजिल को प्राप्त करते है। उनके मन में अपने लक्ष्य के प्रति गहरी निष्ठा होती है। इसीलिए वे हवा के रूख के साथ अपना लक्ष्य नहीं बदलते है। इच्छा शक्ति रखने वाले ही अपना स्वर्णिम इतिहास बनाते है और दूसरों के प्रेरक एवं आदर्श बनते है।

महात्मा गांधी की इच्छा शक्ति ने विदेशी गुलामी से आजाद करवाया

आचार्यश्री ने कहा कि आज के परिवर्तित काल में अपनी इच्छा शक्ति को स्वस्थ एवं मजबूत बनाए रखने की महती आवश्यकता है। इच्छा शक्ति के ऐसे धनी पुरूषों को याद किया जाए,जो सारी दुनिया के लिए मिसाल बने। दरअसल इच्छाओं में संयम का जुडना ही इच्छा शक्ति है। असंयमी इच्छाएं विनाश को बुलावा देती है, जबकि संयम की परिधि में जीने वाली इच्छाएं विकास की निशानी बनती है। महात्मा गांधी की इच्छा शक्ति ने ही भारत को विदेशी गुलामी से आजाद करवाया था। उनकी इच्छा शक्ति ने उस समय कितने ही लोगों के दिलों में इच्छा शक्ति का शंखनाद किया। आज ना केवल उन ऐतिहासिक पुरूषों को याद करने की जरूरत है, वरन अपनी सुस्त, कमजोर और दुर्बल इच्छा शक्ति को ताकतवर बनाने की भी महती आवश्यकता है। इससे ही हम प्रबल इच्छा शक्ति के धनी बनकर कोरोना के इस महासंकट विजयी हो सकते है।

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