धर्म संस्कृति : 1500 से अधिक नागरिकों ने किया चार-चार पीढ़ियों का सामूहिक श्राद्ध तर्पण
⚫ रतलाम जिले का सबसे बड़ा निशुल्क महालय श्राद्ध तर्पण
⚫ शहीद सैनिकों का भी स्मरण
हरमुद्दा
रतलाम, 2 अक्टूबर । सर्वपितृ अमावस्या पर रतलाम जिले का सबसे बड़ा नि:शुल्क सामूहिक श्राद्धकर्म आयोजित हुआ, जिसमें 1500 से अधिक नागरिकों ने दिवंगत चार-चार पीढ़ियों के परिजनों का विधि-विधान से श्राद्ध तर्पण किया । यहाँ शहीद सैनिकों एवं कोरोना के दिवंगतजनों का भी स्मरण करते हुए महालय श्राद्ध किया गया।
आयोजक – श्री योग वेदांत सेवा समिति, युवा सेवा संघ. महिला उत्थान मंडल एवं मांगल्य मंदिर धर्मक्षेत्र द्वारा संतश्री वाटिका, चंपाविहार, सागोद रोड पर बुधवार को सामूहिक श्राद्ध कर्म विद्धान एवं संयमी ब्राह्मण पंडित शारदाप्रसाद मिश्र, महर्षि संजय शिवशंकर दवे, भागवताचार्य चेतन शर्मा एवं पंडित सोमेशजी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ । यहाँ गौ-मुख से मंगवाए गए गंगाजल, महांकाल उज्जैन से आए पूजा के पान, कामधेनु गौशाला के पंचामृत से सामूहिक श्राद्धकर्म किया गया । इस दौरान नागरिकों ने अपने दादा और नाना के पक्ष के चार-चार ज्ञात पीढ़ियों के साथ अन्य दिवंगतजनों का भी श्राद्ध तर्पण किया। कार्यक्रम में प्रसाद स्वरूप कुबेर की पोटली का वितरण भी किया गया। महापौर प्रहलाद पटेल सहित अन्य प्रमुखजन कार्यक्रम में शामिल हुए। जोधपुर से आई महाप्रसादी के साथ सभी को भोजन प्रसादी दी गई।
दिवंगतजनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त
इस अवसर पर पंडित शारदाप्रसाद मिश्र ने सर्वपितृ अमावस पर श्राद्धकर्म की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि परिवार के सभी ज्ञात और अज्ञातजनों का सामूहिक श्राद्ध करने के मूल में उद्देश्य यही होता है कि पितृजनों का आशीर्वाद मिले। जिन्हें अपने पूर्वजों की परलोकगमन की तिथियाँ ज्ञात नहीं होती है, वे सर्वपितृ दर्श अमावस्या के दिन श्राद्ध करते है। भारतीय संस्कृति में दिवंगतजनों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का यह 16 दिवसीय सबसे बड़ा पर्व है । रतलाम जिला स्तरीय नि:शुल्क सामूहिक श्राद्ध में शामिल होकर नागरिकों ने इस पावन प्रवाही वैदिक परम्परा का निर्वहन किया है । कार्यक्रम का संचालन रविन्द्र जादौन ने किया। आभार रुपेश साल्वी ने माना ।