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याराना निभाने में पीछे नहीं रतलामी, कहीं यह गलती कोरोना को न दिलादे घर-घर से सलामी

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🔲 राहत वाला लॉक डाउन : मनमानी का नतीजा 13 दिन में 6, और एक दिन में तीन संक्रमित

🔲 निभाएंगे याराना तो नहीं छोड़ेगा कोरोना

🔲 आंकड़े दे रहे हैं चेतावनी

🔲 राहत वाला लॉक डाउन 18 से 31 तक

🔲 गले में मास्क की फैशन

🔲 अब परीक्षा देने की बारी शहरवासियों की

हरमुद्दा
रतलाम, 1 जून। राहत वाले लॉक डाउन के चौथे चरण में लोगों ने बहुत मनमानी की। इसका नतीजा आखरी दिन सामने आया। 13 दिन में केवल 6 मरीज पॉजीटिव आए, वहीं आखरी 1 दिन में ही 3 मरीज पॉजीटिव आ गए। यह भी किसी एक मोहल्ले या परिवार के नहीं अपितु शहर के विभिन्न क्षेत्रों के हैं। लापरवाही का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि कोरोना वायरस का संक्रमण लापरवाही में कितनी तेजी से फैल रहा है। यदि याराना
निभाएंगे तो कोरोना नहीं छोड़ेगा। अभी तक तो प्रशासन ने जीवन शैली और व्यापार का सबक सिखा दिया है। अब परीक्षा देने की बारी शहरवासियों की है।

राहत वाले लॉक डाउन का चौथा चरण 18 मई से शुरू हुआ। प्रारंभिक दौर में लोगों ने दो-चार दिन अच्छे से पालन किया। लेकिन फिर वही अपनी मनमानी पर उतर आए। खासकर व्यापारी वर्ग।

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चाहे वह किराने वाले हो या फिर ठेला गाड़ी में फल सब्जी बेचने वाले या फिर अन्य।अधिकांश लोगों ने लॉक डाउन के नियमों की धज्जियां उड़ाई। मुंह पर लगाने का मास्क गले में लटकाकर सामान बेचते रहे। वही खरीददार को भी नहीं टोका गया। नतीजतन सोशल डिस्टेंसिंग केवल शब्द मात्र रह गया। शुरुआती दौर में तो दुकानदारों ने ग्राहकों के हैंड सेनीटाइज भी किए लेकिन राहत वाले लॉक डाउन में दो-चार दिन ऐसा चला उसके बाद यह नियम भी खूंटी पर टांग दिया गया।

यह क्षेत्र लापरवाही वाले

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शहर के धानमंडी, चांदनी चौक, चौमुखीपुल, घांसबाजार, माणकचौक, बजाजखाना, नीमचौक, न्यू क्लाथ मार्केट, नाहरपुरा, शहर सराय जैसे भीड़भाड़ वाले बाजारों में लॉक डाउन की पूरी-पूरी धज्जियां उड़ाई गई।

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अधिकांश व्यापारी वर्ग मास्क को गले में लटकाकर ग्राहकों से संपर्क करते रहे। गले में मास्क लटकाने का फैशन बन गया।

जरा सी छूट में मनमानी

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जिला प्रशासन ने कहा था कि दुकानें तो खुलेगी लेकिन होम डिलीवरी के लिए, लेकिन दुकानों से सामग्री न केवल बेची गई अपितु दुकानों पर ही लोगों ने चाय नाश्ता भी करना शुरू कर दिया। यहां तक की कचोरी, समोसे, सहित अन्य वस्तुएं खुले में पड़ी रही और लोग आराम से खाते रहे। चाय की चुस्कियां लेने के बाद पान और गुटके की पिचकारियां यत्र तत्र सर्वत्र नजर आने लगी।

एक कारण यह भी डिस्टेंसिंग फेल होने का

सोशल डिस्टेंसिंग को फेल होने करने में महत्वपूर्ण भूमिका दुकानदारों की रही है। दुकानदारों ने सामानों को सड़क तक रख दिया। खरीदारों को धूप में खड़ा होना पड़ा। रोहिणी की धूप से बचने के लिए लोग सीधे दुकान में जा घुसे। नतीजतन सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हो गई। धानमंडी क्षेत्र तो इस मामले में अव्वल रहा जितनी लापरवाही यहां पर की गई। उतनी अन्य जगह नहीं हुई।

अमला हुआ नाकाम साबित

पुलिस प्रशासन और यातायात विभाग भी भीड़भाड़ वाले क्षेत्र के दुकानदारों से नियमों का पालन नहीं करवा पाया। माइक वन और माइक टू वायरलेस सेट पर निर्देश देते रहे मैदानी अमले को, लेकिन मैदानी अमला यातायात को सुगम कराने में नाकाम ही साबित हुआ। लोडिंग अनलोडिंग का कार्य बीच सड़क पर चलता रहा। परिणाम स्वरूप आवागमन में काफी दिक्कत हुई और मार्ग अवरुद्ध रहे। ना चाहते हुए भी लोगों के वाहन एक जगह जमा होने लगे। इस तरह भी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई।

कोरोना वायरस रिपोर्ट पर एक नजर

18 मई को जब राहत वाला लॉक डाउन लागू हुआ था, तब से 30 मई तक केवल 6 पॉजीटिव मरीज आए, उसमें एक की मौत हुई। लेकिन 31 मई को एक ही दिन तीन मरीज आ गए। परिणाम स्वरूप 10-12 दिन में संक्रमित की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा संख्या बढ़ गई। 13 दिन में 205 सैंपल लिए गए, औसत एक दिन में 15 सैंपल। जबकि 31 मई को 24 सैंपल लिए गए।

आंकड़ों की चेतावनी, की नादानी तो होगी परेशानी

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डॉ. रत्नदीप निगम का कहना है कि हर दिन लिए जाने वाले सैंपल व उनकी रिपोर्ट बता रही है कि यदि यही रवैया चलता रहा तो संक्रमितों की संख्या बढ़ने में देर नहीं लगेगी। जबकि अब तो बाहर से आने वालों का सिलसिला भी बिना पास के शुरू हो जाएगा। तो फिर क्या हश्र होगा? इसका अंदाजा लगाएंगे तो हैरान हो जाएंगे। इसलिए आमजन बाजार में उतनी ही देर रहें जितना वक्त सामान की खरीदारी में लग रहा है। अन्य लोगों से मेल-जोल बढ़ाने का सिलसिला अभी शुरू नहीं करेंगे तो ही बेहतर होगा, वरना 31 मई को आई दोस्तों की कहानी। हर गली मोहल्ले में सुनाई देगी। क्योंकि रतलाम वालों की दिक्कत यही है कि वह याराना निभाने में पीछे नहीं हटते हैं। यह याराना कहीं कोरोना का साथी न हो जाए।

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