शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार : दबंग विधायकों का दबंगई के साथ दबाव मंत्री बनाने के लिए
🔲 सिंधिया समर्थकों के चलते हो सकती है मंत्री पद से उनकी छुट्टी
🔲 अब विधायक नहीं मंत्री के कहलवाने की चाहा उनकी
🔲 कसावट में तेजी
🔲 कयासों और अटकलों ने पकड़ा जोर
हरमुद्दा
भोपाल, 3 जून। देश प्रदेश जहां कोरोनावायरस से लड़ रहा है। हर एक को अपने जीवन की चिंता है लेकिन मध्य प्रदेश की भाजपा की राजनीति में अपना दबदबा रखने वाले इन दिनों मंत्रिमंडल में स्थान लेने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। दबाव बनाए रहे हैं। अपने रिलेशन का पुरजोर फायदा उठाने की भरसक कोशिश में लगे हुए हैं। मंत्री पद पाने की लालसा में चारों तरफ से घेराबंदी करने वाले कितने सफल होते हैं यह तो मंत्रिमंडल के विस्तार वाले दिन ही पता चलेगा। लेकिन यह बात तय है कि राजनीति के दबंग विधायक अब विधायक नहीं, मंत्री के कहलाने की मंशा रख रहे हैं। ऊपरी पकड़ किसी भी स्थिति में ढीली करना नहीं चाहते हैं। अपने चहेतों के लिए कई वरिष्ठ बैठकों का दौर राजधानी में कर रहे हैं। जिसकी भनक खबर नवीसों को लगते देर नहीं लगती।
मुद्दे की बात तो यह है कि मंत्रिमंडल में जगह पाने की आस लिए बीजेपी के ज्यादातर विधायक और पूर्व मंत्रियों ने भोपाल में डेरा जमा रखा है। मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों से पहले नेताओं और प्रदेश संगठन के बीच बैठकों के दौर लगातार जारी हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बंगले पर पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन और पूर्व मंत्री विजय शाह के बीच एक अहम बैठक हुई। मंगलवार को गुपचुप तरीके से हुई बैठक के बाद कयासों और अटकलों ने ज़ोर पकड़ लिया है। इसे लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
संभावित रणनीति की अटकलें
हालांकि, बैठक के बाद तीनों नेताओं ने इसे सौजन्य मुलाकात बताया है। इन नेताओं का कहना कि लॉक डाउन के बाद से उनकी मुलाकात सम्भव नहीं हो सकी थी, लेकिन यह माना जा रहा है कि तीनों ही नेता संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर रणनीति बना रहे हैं। इसे राजनीति के जानकार दबाव की राजनीति के दृष्टिकोण से भी देख रहे हैं, ताकि गुटों की ताकत दिखाकर मंत्रिमंडल में जगह पक्की की जा सके।
पुराने विधायक हैं तीनों, सता रहा है डर सिंधिया समर्थकों से
खास बात यह है कि चाहे बात गोपाल भार्गव की करें, गौरीशंकर बिसेन या फिर विजय शाह की। यह तीनों ही 6 से 7 बार के विधायक हैं और शिवराज सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इस बार भी यह तीनों मंत्रिमंडल में जगह पाने के खुद को स्वाभाविक दावेदार मानकर चल रहे हैं, लेकिन सिंधिया समर्थकों के मंत्री बनाए जाने की संभावना के बीच बीजेपी के कुछ पूर्व मंत्रियों के नाम कटना तय है। यही वजह है कि अपनी ताकत दिखाने के लिए यह नेता एक साथ बैठकें कर सियासी तौर पर संकेत देने की भी कोशिश कर रहे हैं।
छोटे से मंत्रिमंडल में भी सिंधिया समर्थक
शिवराज मंत्रिमंडल में अभी सिर्फ पांच मंत्री शामिल हैं, जो सबसे छोटा मंत्रिमंडल है। इनमें से भी दो सिंधिया समर्थक हैं, जो दल बदलकर आए हैं। पिछले करीब महीने भर से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन बार-बार यह तारीख बढ़ती गई। खुद मुख्यमंत्री ने कहा था कि मंत्रिमंडल का विस्तार 17 मई के बाद हो जाएगा, लेकिन 3 जून तक भी विस्तार को लेकर कोई खबर नहीं है। संभावना यह जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री आने वाले दिनों में दिल्ली का दौरा करेंगे और केंद्रीय संगठन से मुलाकात के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार संभव होगा।